शबरी जल प्रपात मात्र कोई स्थान नहीं, आदिवासी समुदाय का तीर्थस्थल है – आशीष-आँचलिक ख़बरें-अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

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चित्रकूट: मानिकपुर में प्रकृति की गोद में स्थित मनमोहक शबरी जलप्रपात का नाम कुछ दिन पहले ही अचानक तुलसी जल प्रपात कर दिया गया था। जिसको लेकर आज आदिवासी समुदाय के आशीष कुमार ने सांसद आर के सिंह पटेल और जिलाधिकारी अभिषेक आनंद को ज्ञापन सौंपा।
आशीष कुमार ने बताया की कुछ दिन पहले ही लखनऊ से वनविभाग की एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कुछ दिन पहले रानीपुर टाइगर रिजर्व के लिए पाठा क्षेत्र का दौरा किया गया था। जिसमे शबरी जल प्रपात का भी अवलोकन किया गया। जिसमे स्थानीय अधिकारियों और कुछ लोगो के द्वारा वनविभाग की टीम को मां शबरी के बारे में भ्रमित किया। जिसके फल स्वरूप वन विभाग की अधिकारी ने बिना स्थानीय स्तर पर प्रस्ताव मांगे बिना शबरी जल प्रपात का नाम बदल तुलसी जल प्रपात रख दिया गया। यह एकाएक नही हुआ साजिश के तहत हुआ, पहले वनविभाग के अंतर्गत मां शबरी की मूर्ति को खंडित कर अपमानित किया गया और फिर नाम बदला गया। मां शबरी इस क्षेत्र में रह रहे आदिवासियों की आराध्य है, इस क्षेत्र के तमाम आदिवासी परिवार इस प्रपात को तीर्थस्थल के रूप में देखते है। मां शबरी के अस्तित्व को मिटाने का प्रयास किया जा रहा। जिसे न तो बाबा तुलसीदास स्वीकार करेंगे न ही प्रभु श्रीराम। यदि समय रहते नाम नही बदला तो समस्त वनवासी समुदाय क्रमिक अनशन, भूख हड़ताल के लिए बाध्य होगा। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेवारी जिला प्रशासन की होगी।।
सांसद आर के पटेल ने कहा कि मां शबरी का स्थान उन्ही के नाम से जाना जाएगा, वनविभाग ने बिना किसी जनप्रतिनिधि का प्रस्ताव लिए नाम बदला जो समाजाहित में नही है। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने नाम न बदलने का निर्देश प्रेसवार्ता के दौरान जिला प्रशासन को दे चुके है। जिसका पालन करना जिला प्रशासन का काम है।

 

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