महिलाओं का आक्रोश: शराब की दुकान हटाने के लिए एसडीएम कार्यालय में जमा हुईं दर्जनों महिलाएं
अमरोहा में महिलाओं का विरोध: शराबी बना परेशानी का कारण
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के मण्डी धनौरा थाना क्षेत्र के गांधीनगर मोहल्ले में महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं। उनका कहना है कि उनके घरों के आसपास शराब की दुकानें खुलने से उनका जीवन नरक बन गया है। महिलाओं ने एक स्वर में एसडीएम कार्यालय में पहुंचकर शराब की दुकानों को हटाने की मांग की। उनका आरोप है कि शराबियों की वजह से न केवल उनके घर की शांति भंग हो रही है, बल्कि बच्चों की पढ़ाई पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। महिलाओं ने प्रशासन से ठोस कदम उठाने की अपील की है, वरना वे धरने पर बैठने को मजबूर होंगी।
गांधीनगर मोहल्ले का हाल: शराबी और गाली-गलौज से परेशान महिलाएं
यह मामला अमरोहा जिले के गांधीनगर मोहल्ले का है, जहां पहले से ही एक देसी शराब की दुकान संचालित है। महिलाओं का आरोप है कि शराब की दुकान के पास हमेशा शराबी जमा रहते हैं। उनका गाली-गलौज करना और झगड़े करना आम बात हो गई है। खासकर शाम के समय यह समस्या और बढ़ जाती है, जब शराबी नशे में धुत होकर मोहल्ले में गंदगी फैलाते हैं और महिलाओं को परेशान करते हैं। महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
विदेशी शराब की दुकान का दूसरा ठेका: बढ़ी हुई चिंता
इसी बीच, आबकारी नीति 2025-26 के तहत, गांधीनगर मोहल्ले में एक और विदेशी शराब की दुकान खोलने का फैसला लिया गया है। यह दुकान कब्रिस्तान के पास खुलने जा रही है, जो स्थानीय निवासियों के लिए एक और बड़ा झटका है। खासतौर पर इस फैसले से दोनों समुदायों—इसाई समाज और हिंदू समाज—में आक्रोश है। महिलाओं का कहना है कि शराब की दुकान खुलने से क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है, जिससे उनका और उनके परिवार का जीवन और भी अधिक मुश्किल हो जाएगा।
आरोप: बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव
महिलाओं ने एसडीएम से यह भी आरोप लगाया कि इस शराब की दुकान के पास बच्चों के कोचिंग सेंटर स्थित हैं। शराब की दुकान के आसपास शराबियों का जमावड़ा और उनका बदतमीजी भरा व्यवहार बच्चों के लिए एक बड़ा मानसिक दबाव बन गया है। कई बार बच्चों ने अपनी कोचिंग सेंटर छोड़ दी, क्योंकि वे शराबियों की गाली-गलौज और झगड़ों से डरते हैं। इससे बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता और उनका भविष्य भी प्रभावित हो रहा है। महिलाओं ने कहा कि उनका यह प्रयास बच्चों को सुरक्षित और शांति भरे माहौल में शिक्षा देने का है, लेकिन शराब की दुकान की वजह से उनका यह सपना टूट रहा है।
महिलाओं की चेतावनी: अगर नहीं हटती शराब की दुकानें, तो होगा बड़ा आंदोलन
महिलाओं ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने जल्द ही शराब की दुकानों को नहीं हटाया, तो वे धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगी। उनका कहना है कि उनका यह संघर्ष सिर्फ उनके परिवारों के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए है। उन्होंने एसडीएम से सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि गांधीनगर मोहल्ले में बच्चों के लिए बेहतर माहौल सुनिश्चित हो सके। महिलाओं का कहना है कि अगर प्रशासन ने इस मामले पर जल्द और सख्त कदम नहीं उठाया, तो इसके लिए जिम्मेदार प्रशासन और शासन होगा।
एसडीएम से उम्मीदें: ठोस कदम उठाने की मांग
महिलाओं ने एसडीएम से यह भी अपील की कि वे इस मामले में पूरी गंभीरता से कदम उठाएं। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने शराब की दुकानों को हटाने की दिशा में जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो वे और भी अधिक उग्र हो सकती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, वे विरोध करना जारी रखेंगी।
सामाजिक आक्रोश: शराबी और महिलाओं का संघर्ष
यह मामला सिर्फ शराब की दुकानों के खिलाफ नहीं है, बल्कि एक बड़ा सामाजिक संघर्ष बन गया है। महिलाओं का आरोप है कि शराब की दुकानों की वजह से पूरे मोहल्ले की सामाजिक स्थिति बिगड़ रही है। शराबियों के कारण महिलाएं घरों में ही बंद रहने को मजबूर हो रही हैं और उनकी जिंदगी की गुणवत्ता दिन-ब-दिन घटती जा रही है।
शराब की दुकानों के आसपास सुरक्षा की समस्या
शराब की दुकानों के आसपास सुरक्षा की भी बड़ी समस्या है। शराबियों की वजह से महिलाएं और बच्चे अक्सर डर के माहौल में रहते हैं। किसी भी वक्त विवाद और झगड़ा होने का खतरा रहता है। महिलाएं चाहती हैं कि प्रशासन शराब की दुकानों के खिलाफ कड़े कदम उठाए ताकि उनके मोहल्ले में शांति और सुरक्षा बहाल हो सके।
कहीं यह विरोध बढ़ तो नहीं जाएगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या महिलाएं प्रशासन की सुनवाई और सहयोग हासिल कर पाएंगी, या उनका यह विरोध और भी बढ़ जाएगा? अगर महिलाओं का यह आंदोलन और तीव्र हुआ तो इसका असर समाज के अन्य हिस्सों पर भी पड़ सकता है। साथ ही, प्रशासन के लिए यह एक चुनौती होगी कि वह स्थानीय निवासियों की चिंताओं को समझते हुए सटीक और प्रभावी कदम उठाए।
नए शराब के ठेके से उत्पन्न होने वाले विवाद
गांधीनगर मोहल्ले में शराब के नए ठेके को लेकर तनाव बढ़ना स्वाभाविक था। यह मामला अब सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे समुदाय में इसका विरोध किया जा रहा है। शराब की दुकान के पास पहले से ही समस्या थी, और अब दोबारा एक और दुकान का खुलना स्थानीय लोगों के लिए एक नई परेशानी का कारण बन गया है।
मांग: प्रशासन की कार्यवाही की आवश्यकता
महिलाओं ने अब अपनी मांगें साफ कर दी हैं—अगर प्रशासन ने समय रहते शराब की दुकानों को नहीं हटाया, तो उनका विरोध और आंदोलन और भी उग्र हो सकता है। उनका यह आंदोलन एक सामाजिक मुहिम बन सकता है, जिसमें महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए एकजुट हो सकती हैं। यह न केवल उनके मोहल्ले के लिए, बल्कि पूरे जिले के लिए एक उदाहरण बन सकता है।
संघर्ष की कहानी: एक समाज की आवाज़
यह संघर्ष सिर्फ एक मोहल्ले की समस्या नहीं, बल्कि पूरे समाज की आवाज़ बन सकता है। महिलाओं का यह आंदोलन यह भी दिखाता है कि जब कोई समाज एकजुट हो, तो वह अपने अधिकारों के लिए लड़ सकता है। अगर प्रशासन ने जल्दी कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन किसी बड़े बदलाव का कारण बन सकता है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी जल्दी और प्रभावी कार्रवाई करता है, ताकि महिलाओं के जीवन में शांति और सुरक्षा लौट सके।
प्रशासन के लिए एक कड़ी चुनौती
अंततः यह मामला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। महिलाओं का विरोध बढ़ता जा रहा है, और अगर प्रशासन ने इस पर उचित ध्यान नहीं दिया, तो यह मामला और गंभीर हो सकता है। अब यह प्रशासन पर निर्भर करता है कि वह किस तरह से इस मुद्दे का समाधान करता है, ताकि मोहल्ले के लोग, खासकर महिलाएं, शांति से अपना जीवन जी सकें।