जमीनों का एसडीएम ने दिए जांच के आदेश-आंचलिक ख़बरें-मनीष गर्ग

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आंचलिक समाचार का असर उमरी वार्ड नंबर 21 कुछ जमीनों का एसडीएम ने दिए जांच के आदेश बाकी सरकारी जमीनों में खेती की जा रही है उसमें रोक लगाने का कब होगा आदेश ?

कूटरचित दस्तावेजों की दम पर मैहर सीमेंट के सेल्स एंड परचेज के हेड रह चुके पीएम इंटोडिया का मेहर स्थित 2400 वर्ग फीट प्लाट नामांतरण से पहले ही बेच खाने के आरोपों की जांच शुरु हो गई है। एसडीएम धर्मेंद्र मिश्रा ने जांच की जिम्मेदारी तहसीलदार मानवेंद्र सिंह को सौंपी है। आरोपों आंचलिक समाचार के सामने स्थित इसी भूमि के मुताबिक इस मामले में शारदा सहकारी गृह निर्माण समिति के तबके अध्यक्ष मनोज रजक पिता सुदर्शन निवासी मैहर की भूमिका जांच के घेरे में है। फरियादी पीएम इंटोडिया पिता स्व. सोहनलाल की शिकायत पर एसडीएम ने जांच के आदेश दिए हैं। आरोप है कि फर्जीवाड़ा एक नहीं बल्कि लगभग साढ़े 5 एकड़ के 117 प्लाटों ( 2,385 हेक्टेयर की सौदेबाजी से जुड़ा हुआ है।
भूमिहीनों को नो प्रॉफिट नो लॉस पर आवासीय प्लाट उपलब्ध कराने के दावे के साथ 1998 में मैहर में मां शारदा सहकारी गृह निर्माण समिति बनाई गई थी। नगर ग्राम निवेश ने समिति को कालोनी निर्माण की स्वीकृति दी थी। वर्ष 1991 में डायवर्सन और 1992 में इसे कालोनाइजर का लाइसेंस मिला था। लिहाजा समिति द्वारा मेहर के उमरी पेला में साढ़े 9 एकड़ पर प्लाटिंग की गई। वर्तमान न्यायालय भवन मैहर में भूस्वामी को भनक नहीं चोरी से बिक गया प्लाट रुपए है। इन्हीं प्लाटों में से एक प्लाट नंबर-36 (आराजी नंबर-5/3/1ख) की रजिस्ट्री तबके अध्यक्ष से मैहर सीमेंट के तत्कालीन सेल्स एंड परचेज के हेड पोएम इंटोडिया ने भी कराई थी। इसी बीच इंटोडिया का ट्रांसफर राजस्थान हो गया। उधर, आरोप है कि समिति के अध्यक्ष मनोज रजक ने इंटोडिया के प्लाट की रजिस्ट्री सतना के सिंधी कैंप निवासी नरेश कैला पिता अमरनाथ के नाम पर करा दी।
क्या है पूरा मामला
विक्रेता मनोज रजक
इस प्रकरण पर कई अहम बिंदु जांच के विषय जांच के बिंदु है। सवाल है कि समिति के अध्यक्ष ने आखिर पहले से बिके प्लाट की एक बार फिर से रजिस्ट्री किस आधार पर करा दी ? जब समिति का गठन सिर्फ भूमिहीनों को ही आवासीय प्लाट उपलब्ध कराने के लिए किया गया था, तब इन नियमों का उल्लंघन करने की मजबूरी क्या थी? नरेश कैला के नाम पर प्लाट की रजिस्ट्री कराते समय विधि अनुसार आवश्यक तथ्य क्यों छिपाए गए? जैसे- रजिस्ट्री में इस तथ्य का उल्लेख क्यों नहीं किया गया कि भूमि कृषि योग्य है, आवासीय या व्यावसायिक है या फिर प्लाट है ?
प्लाट की बिक्री में कूटरचित दस्तावेजो
बड़ा झूठ
इतना ही नहीं मा शारदा सहकारी गृह निर्माण समिति के अध्यक्ष मनोज रजक ने सतना के सिंधी कैंप निवासी क्रेता नरेश कैला के नाम पर कराई गई रजिस्ट्री में इस सफेद झूठ को भी दर्ज कराया कि जमीन पहली बार बेची जा रही है। जबकि नरेश कैला को बेचने से पहले समिति इस प्लाट की रजिस्ट्री पीएम इंटीडिया को करा चुकी थी। डायवर्टेड भूखंड को भाट, पगार और पड़ती बता कर स्टांप ड्यूटी की भी चोरी की गई। मनोज रजक द्वारा नरेश कैला को कराई गई रजिस्ट्री में प्लाट को बस्ती से दूर भी बताया गया, जबकि स्वीकृत नक्शे से स्पष्ट है कि विक्रित प्लाट से आवासीय बस्ती लगी हुई।
फरियादी पीएम इंटोडिया
के दुरुपयोग की शिकायत
के आधार पर मामले की जांच की जिम्मेदारी तहसीलदार मानवेंद्र सिंह को सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट आते ही विधि अनुरूप कार्यवाही की
जाएगी। धर्मेंद्र मिश्र,
एसडीएम मेहर

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