इंदौर सहित पूरे मध्यप्रदेश में आंदोलन के समर्थन में विभिन्न किसान और मजदूर संगठनों ने मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन।
सैंचुरी मैनेजमेंट की मनमानी रोकने और जबरिया वीआरएस देने के मामले में हस्तक्षेप करें मध्य प्रदेश सरकार।
इंदौर – बिरला समूह के खरगोन जिले में स्थित सेंचुरी रेयान और डेनिम मिलके आंदोलनरत मजदूरों के आंदोलन के 1371 दिन पूरे हो चुके हैं । मिल प्रबंधन ज़बरदस्ती मजदूरों और कर्मचारियों को वीआरएस दे रहा है, जो ना तो नियमानुसार है और ना ही प्रदेश के मज़दूरों के हित में है । मजदूर श्रमिक जनता संघ के नेतृत्व में लगातार आंदोलन कर रहे हैं। जनता श्रमिक संघ की अध्यक्ष मेधा पाटकर ने भी श्रमिकों के समर्थन में भूख हड़ताल की थी ।
आज पूरे मध्यप्रदेश में विभिन्न किसान और मजदूर संगठनों ने जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर मांग की कि श्रमिक और प्रबंधन विवाद में मध्य प्रदेश सरकार तत्काल हस्तक्षेप करें, और बहुसंख्यक मजदूरों की मांग को पूरा करते हुए मिल को सुचारू रूप से चलवाएं तथा ज़बरदस्ती प्रबंधन द्वारा वीआरएस देने और नियम विरुद्ध मजदूरों के खातों में पैसे डालने के पर रोक लगाया जाये।
इंदौर में भी किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा ,हिंद मजदूर सभा, एआई यूटीसी, किसान खेत मजदूर संगठन ,आजादी बचाओ आंदोलन, लोहिया विचार मंच ,सोशलिस्ट पार्टी इंडिया, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया, युवा किसान संगठन सहित विभिन्न संगठनों की ओर से संभाग आयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया । ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से रामस्वरूप मंत्री, सोनू शर्मा, जयप्रकाश गुगरी, रविंद्र चौधरी ,राजेश पटेल, भारतसिंह यादव, भारतसिंह चौहान, दिनेश सिंह कुशवाह,अजय यादव, आदि शामिल थे ।
मुख्यमंत्री के नाम संभागायुक्त को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है किसेंचुरी यार्न/ डेनिम इकाई के श्रमिकों के द्वारा 1371 दिन से मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में एबी रोड पर ग्राम सत्राटी में आंदोलन किया जा रहा है। इसे किसी भी आदेश के तहत हटाना सही नहीं होगा। श्रमिकों के हकों से चल रहा यह संघर्ष संवैधानिक एवं न्याय संगत है।
ज्ञात हो कि 29 जून 2021 को कारखाना प्रबंधक द्वारा श्रमिक एवं कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के संबंध में अचानक नोटिस लगाकर श्रमिकों से कहा गया कि 13 जुलाई तक सभी श्रमिक एवं कर्मचारी वीआरएस ले लें। लेकिन 910 में से 800 से ज्यादा श्रमिकों ने वी आर एस लेने से लिखित तौर पर इंकार कर दिया। स्वैच्छिकक योजना अनैच्छिक रूप से थोपना अन्याय है।
पिछले 6 जुलाई को श्रमिक जनता संघ के पदाधिकारी और मुंबई की सेंचुरी यूनियन के पदाधिकारी तथा इंदौर में समाजवादी समागम के साथी मध्य प्रदेश के श्रम आयुक्त से मिले थे तथा वीआरएस को अनिवार्य सेवानिवृत्ति बदलने की आशंका जताई थी तब मध्य प्रदेश के श्रम आयुक्त ने विश्वास दिलाया था कि यदि मजदूर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने को तैयार नहीं है तो कोई भी मालिक उन्हें ज़बरदस्ती स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं दे सकता है लेकिन श्रम आयुक्त ने यह भी कहा था कि यदि ऐसा होता है तो श्रम विभाग मिल प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही करेगा लेकिन अभी तक श्रम आयुक्त की ओर से मिल प्रबंधन के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया है।जनता श्रमिक संघ की याचिका के चलते औद्योगिक ट्रिब्यूनल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर मिल बंद होने के बावजूद श्रमिकों को वेतन दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कुमार मंगलम बिड़ला समूह ने मिल बेचने का फर्जी विक्रय पत्र बनाकर जो धोखा किया था वह ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया । इसी तरह फिर से सेंधवा के श्री मनजीत सिंह को मिल बेचने का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है जो गैरकानूनी है।