हम सभी को गौरवान्वित करने वाली है।
रमेश परमार व शांति परमार को पद्मश्री सम्मान मिलने की घोषणा हम सभी को गौरवान्वित करने वाली है।
श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर । श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रागटै नीर।
सफलता के लिए कठिन परिश्रम तो करना अनिवार्य है, किंतु परिश्रम के साथ एक और गुण है जिस के होने से ही परिश्रम सार्थक हो पाता है। वह गुण है धैर्य।
इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए श्रीमती शांति परमार एवं रमेश परमार ने अपना जीवन यापन किया और कला के क्षेत्र में प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश में झाबुआ का नाम रोशन किया। पिछले 30 वर्षों से सतत साधना करने वाले इस दंपत्ति का आज पद्मश्री 2023 की सूची में नाम आना झाबुआ के लिए गौरव का विषय है।
रमेश जी व शांति जी की सतत साधना का व साधारण व्यक्तित्व का उदाहरण है कि पद्मश्री सम्मान की घोषणा से एक दिन पूर्व यानी कल तक वे केशव विद्यापीठ, झाबुआ के विद्यार्थियों को रामसेतु के पत्थर, शिलाएँ बनाना सीखा रहे थे। तथा उनकी धर्मपत्नी घर पर गुड़ियाओं का निर्माण कर रही थी। उन्हें दिल्ली से सूचना मिलने के बाद भी वे दोनों अपने कार्य में लगे रहे।
झाबुआ की कला पारंपरिक कला को संरक्षित व संवर्धित करने वाले रमेश जी व शांति जी को बधाई।