दीपक विश्वकर्मा
नगरपालिका की उदासीनता के कारण परेशान हो रहे नगरवासी बदलते मौसम एवं नगर क्षेत्र में व्याप्त गंदगी के कारण मच्छरों का प्रकोप इन दिनों अचानक बढ़ गया है जिसे नगर वासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है हालात यह है कि शाम होते ही लोगों के घरों खिड़की दरवाजों को बंद करना पड़ रहा है ताकि मच्छरों से बचाव हो सके नगरवासी मच्छरों से बचने के लिए कई तरह के साधनों का उपयोग कर रहे हैं रात में सोते वक्त मच्छरदानी का उपयोग नहीं किया जाए तो सोना मुश्किल हो जाता है मच्छरों के काटने से कई तरह के रोग फैलने का भी भय सताने लगा है लेकिन लोगों को इस प्रकोप से बचाने नगरपालिका ने अभी तक फागिंग नहीं कराई है लोगों में फैल रही गंभीर बीमारियां एक तरह गंदगी तो दूसरी तरफ बदलते मौसम के कारण मोहल्ले में मच्छरों की बाढ़ सी आ गई है.
मगर जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह बना हुआ है कहने को तो नगरपालिका के पास मच्छर भगाने के लिए फांगिंग मशीन है मगर उसका उपयोग अभी तक नहीं किया जा रहा है फिलहाल वह शोभा की वस्तु बनी हुई है नगर के कुल 15 वार्ड में मच्छरों का प्रकोप इस कदर बढ़ गया है कि लोगों को काफी फजीहत ओं का सामना करना पड़ रहा है इतना ही नहीं मच्छरों के काटने से लोगों में गंभीर बीमारी भी पैदा हो रही है रात में बिजली गुल होने पर मच्छर घरों के कमरे में भिन्न-भी नाते नजर आते हैं जैसे लोगों का घरों में रहना दुर्भाग्य हो गया है मच्छर अगरबत्ती भी हो रहे बेअसर मच्छरों के प्रकोप से बचने के लिए नगरपालिका से निराश लोगों को निजी व्यवस्था पर निर्भर रहना पड़ रहा है लोग इसके लिए कोई कंपनियों द्वारा उत्पादित अगरबत्ती मच्छर क्वायल व फास्ट कार्ड तथा अन्य प्रकार के मच्छरों से बचने वाले उत्पादन का सहारा ले रहे हैं लेकिन यह उपाय भी मच्छरों से बचाव के लिए सक्षम साबित नहीं हो रहा है मोहल्ले में भी भरे गंदे पानी में पनप रहे मच्छरों का आतंक घरों में रहने वाले लोग में गंभीर बीमारियों का कारण बनता जा रहा है जिससे बचाओ तो दूर नगर पालिका अधिकारी फार्किंग के लिए भी तैयार नहीं है अब देखना यह है कि जिम्मेदार अधिकारी कब तक देते हैं ध्यान या सोते रहेंगे कुंभकरण की नींद।