फर्जी वोटिंग का ‘खेला’: राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर लगाए गंभीर आरोप, पेश किए सबूत

Aanchalik Khabre
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चुनाव आयोग

मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी का आरोप

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव के आखिरी 5 महीनों में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जी नाम जोड़े गए। उन्होंने कहा:

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हमारे संविधान की नींव इस तथ्य पर टिकी है कि एक व्यक्ति को एक वोट मिलता हैक्या मतदाता सूची सही है?”

उनके अनुसार यह प्रक्रिया सुनियोजित तरीके से की गई, जिससे चुनाव नतीजों पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा।

शाम 5 बजे के बाद अचानक बढ़ा वोटर टर्नआउट

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मतदान के आखिरी घंटों में यानी शाम 5 बजे के बाद असामान्य रूप से टर्नआउट में वृद्धि हुई, जो सामान्य लोकतांत्रिक पैटर्न से मेल नहीं खाती।

सत्ताविरोधी लहर सेअछूतीभाजपा?

क्या भाजपा पर लागू नहीं होता लोकतांत्रिक चक्र?

राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि लोकतांत्रिक देशों में सत्ता-विरोधी भावना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन भाजपा लगातार इससे ‘अछूती’ क्यों रहती है?

भाजपा इकलौती ऐसी पार्टी है जो सत्ताविरोधी लहर से प्रभावित नहीं होती।

एग्जिट पोल बनाम नतीजे: ‘जादुईप्रक्रिया का संकेत

उन्होंने हरियाणा और मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि एग्जिट पोल, ओपिनियन पोल और आंतरिक सर्वे सभी कुछ और संकेत देते हैं, लेकिन अंतिम नतीजे उलट होते हैं – मानो कोई जादू चल रहा हो।

चुनाव आयोग पर पहले भी लगे हैं गंभीर आरोप: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारतीय चुनाव आयोग को हमेशा से एक निष्पक्ष संस्था माना जाता रहा है, लेकिन समय-समय पर उस पर भी सवाल उठे हैं। यहां कुछ प्रमुख उदाहरण:

1. ईवीएम हैकिंग पर सवाल

2019 लोकसभा चुनाव के बाद विपक्ष ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। कांग्रेस, सपा, बसपा और तृणमूल कांग्रेस ने मांग की कि बैलेट पेपर पर चुनाव हो।

  • ECI का जवाब: आयोग ने इन आरोपों को नकारते हुए ईवीएम को पूरी तरह सुरक्षित बताया और सार्वजनिक प्रदर्शन भी आयोजित किए।

2. वोटर लिस्ट में धांधली के उदाहरण

  • तेलंगाना 2018: एक याचिका पर चुनाव आयोग ने माना कि 22 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए, जिनमें से कई वैध थे।

3. आचार संहिता उल्लंघन पर पक्षपात का आरोप

  • 2019 चुनावों के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेताओं पर लगे आरोपों पर कार्रवाई नहीं की गई या देर से की गई।

4. चुनाव कार्यक्रम की समयसीमा पर संदेह

  • गुजरात 2017: कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा में जानबूझकर देरी की गई ताकि भाजपा लोकलुभावन घोषणाएं कर सके।

चुनाव आयोग की संवैधानिक स्थिति और प्रतिक्रिया

संवैधानिक अधिकार और ज़िम्मेदारी

भारत का चुनाव आयोग अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है, जिसका कर्तव्य है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना।

ECI की सफाई और सुधारात्मक कदम

  • ईवीएम पर डेमो प्रदर्शन
  • मतदाता सूची शुद्धिकरण (Electoral Roll Purification)
  • विशेष अभियान चलाकर फर्जी नामों को हटाने का प्रयास

चुनाव आयोग बार-बार राजनीतिक दलों को आश्वस्त करने का प्रयास करता रहा है कि चुनाव प्रणाली निष्पक्ष और पारदर्शी है।

निष्कर्ष: लोकतंत्र की नींव पर संकट या चेतावनी?

राहुल गांधी के आरोप केवल किसी एक चुनाव या राज्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे पूरे भारतीय लोकतंत्र की संरचना पर सवाल उठाते हैं। अगर उनके दावे सही हैं, तो यह एक व्यक्ति, एक वोट के सिद्धांत पर सीधा हमला है।

क्या करना चाहिए?

  • स्वतंत्र जांच की ज़रूरत: आरोपों की निष्पक्ष और सार्वजनिक जांच होनी चाहिए।
  • राजनीतिक सहमति: सत्ता और विपक्ष को मिलकर पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
  • चुनाव आयोग की जवाबदेही: संवैधानिक निकाय होने के नाते ECI को जवाबदेह और पारदर्शी प्रणाली सुनिश्चित करनी चाहिए।

यह सिर्फ एक राज्य की कहानी नहीं, पूरे लोकतंत्र की परीक्षा है

राहुल गांधी के आरोपों को राजनीति से हटकर लोकतंत्र की गुणवत्ता के प्रश्न की तरह देखा जाना चाहिए।
सिर्फ चुनाव आयोग की निष्पक्षता ही नहीं, पूरे लोकतांत्रिक ढांचे की साख इस बात पर निर्भर करती है कि हर चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय हो।

एक पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव ही एक स्वस्थ लोकतंत्र की असली पहचान है।

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