अपनी जन्मभूमि को स्वर्ग हम बनायेंग,हमारा जीवन प्रसाद बन जाये, कर्मयोगी प्रकृति पुत्र त्यागी जी का संदेश-आँचलिक ख़बरें-रमेश कुमार पाण्डे

Aanchalik Khabre
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स्वयं से करें सवाल जो हम कर रहे हैं वह किसके लिये उपयोगी है सिर्फ हमारे लिए या सम्पूर्ण जगत के लिये
कर्मयोगी प्रकृति पुत्र त्यागी जी स्वर्ग निर्माता
जीवन सिर्फ इतना नही जितना हमने समझ लिया है कि जन्म लिया खेल, मस्ती ,लङाई ,प्रेम,शादी,बच्चे इतना ही दिखता है जीवन तो यह बङी समस्या हो गयी फिर तो हमारा जीवन परहित में कितना उपयोगी है या नही यह बहुत महत्वपूर्ण है अगर हम सिर्फ किन्ही दो चार लोगो के इर्द गिर्द ही अपने प्रेम को बाट रहे हैं तो निश्चित ही हमारे प्रेम का सदुपयोग नही हो रहा या यू भी कह सकते है कि दुरुपयोग अवश्य ही हो रहा होता है इस संसार मे बहुत लोगो को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि दुनिया में क्या चल रहा है क्यो चल रहा है और कब तक चलेगा उसकी स्वयं की जिंदगी ही सब कुछ है उसके परिवार का दुख सुख ही दुनिया का दुख सुख है उसका परिवार या उसका शरीर ही उसकी दुनिया है थोङा इस पर विचार करे यदि ऐसा है तो कुछ तो गड़बड़ है कही तो परिवर्तन की आवश्यकता है अन्यथा हम बस अंधी दौड़ में काम वासना में लिप्त हुए औरों से होङ लगायें भागते चले जा रहे हैं मुझे सबसे धनवान,सबसे सुन्दर,सबसे बड़ी बातें करने वाला दिखना चाहते है कभी खुद से पूछे यह दिखाकर या यह पाकर भी आप पूर्ण हो गये या आज भी अधूरे है यह सत्य है कि पूर्ण तो कोई नही होता है अधूरापन ही जीवन को दिशा भी देता है और ज्ञान भी जगाता है लेकिन यदि हम कर्म को महत्व देते है तो हमारे द्वारा इस बात और कार्य का भी चिंतन परम आवश्यक है कि हम सबसे सच्चे बनें,WhatsApp Image 2022 02 26 at 6.38.55 PM 1सबके लिए जीने वाले बनें,दुनिया के ऐसे व्यक्ति बने जिसका जीवन दुनिया के लिये उदाहरण बने बिना पुस्तक पढ़े वह आपके जीवन दर्शन से प्रभावित हो अपना जीवन आप जैसा जीवन्त जीना है यह सच है यह प्रक्रिया बहुत लम्बी है इसका असर धीमा है मगर यह तो सभी जानते हैं कि धीरे धीरे जिस औषधि से आराम मिलता है वही अधिक कारगर होती है हमारा जीवन इतना लम्बा है कोई भी कितना भी कम जीता है 50 से 60 वर्ष तो जी ही लेता है क्या उसकी इतनी आयु मे उसके पास मान- सम्मान ,परिवार ,यश अपयश बस इतना है नही हमें थोङी यात्रा की दिशा तय करनी होगी सफलता विफलता की चिन्ता किये बगैर चल पङे तो पहुंचाने वाला भी संग संग चलता है बिलकुल उसी तरह जैसे हम किसी वाहन मे यात्रा करते है और वाहन चलाने वाला बङी लगन से हमें हमारे गंतव्य तक भेजने ललायित होता है यह हो सकता है कि इसमें उसका थोङा सा स्वार्थ हो लेकिन हमें परमात्मा ने स्वार्थी नही परमार्थिक कार्यो के लिये भेजा है यह भी सच है यह सबके गले भी नही उतरता उतरे भी कैसे सबने जीवन को बोझ जो समझ रखा है जिसने जीवन को मौज समझा जिसने जीवन को पूजा समझा उसकी का जीवन प्रसाद की भांति पवित्र हो जाता है और उस प्रसाद रूपी जीवन को पाने संसार ललायित होता है जिसे नही मिल पाता वह थोङा दुखी भी हो जाता है लेकिन स्वयं को तपा रहा होता है जो स्वयं को ही पुस्तक बना रहा होता है उसे दुनिया पढ़ती भी है उपयोग व अनुसरण भी करती है तो अपने जीवन को सीमित दायरे में न जीकर सम्पूर्ण धरा के लिये उपयोगी बनाएं आपमें अलौकिक शक्ति है ये शब्द सहज शब्द नही है किसी के हृदय की खनकती आवाज है जिसे किस तक पहुचाना है यह भी पृकृति ही तय करेगी अतः यदि यह भाव आप तक पहुच चुके हैं तो आज ही संकल्प लें कि लोग क्या करते है कहते है उससे कोई वास्ता नहीं हमें जो धर्म की उन्नति के लिये राष्ट्र हित में सकारात्मक सोच को कथनी से ऊपर उठकर करनी तक पहुचाना होगा जिससे सम्पूर्ण मानव जाति ही नही सम्पूर्ण पृकृति हमारे द्वारा किये इस पवित्र कार्य को फूलों की खुशबू की तरह बिखेर देगी और श्रेय हमें मिलेगा जबकि हमें परमात्मा ने निर्माता नही निमित्त बनाया है इसका सौभाग्य सबको नही मिलता ।
अपनी जन्म भूमि को स्वर्ग हम बनायेंगे
छोटे छोटे संकल्प ही बङे परिवर्तन करते है और बङे से बङे लोगो को भी उसे स्वीकार करने मजबूर कर देते है ।
सच है स्वर्ग निर्माण कठिन कार्य है लेकिन दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं ऐसा सुनने में आया है तो आइये एक स्वर्ग धरती पर संवारे हर हृदय को भगवान और हर शरीर को मन्दिर मानें और फिर जो परिवर्तन होगा वह अद्भुत अनंत अपार असीम आकाश की ऊंचाई तक होगा इसमे संसय नही है।
दुनिया का सबसे पवित्र ज्ञान तीर्थ स्वर्ग धाम का निर्माण करने संकल्पित कर्मयोगी प्रकृति पुत्र त्यागी जी राष्ट्र रक्षा विश्व कल्याण की भावना से ओतप्रोत इस चिंतन को समाज में परोस रहे हैं जिसे यह चिंतन उचित अनुचित लगता है वह अपने हृदय मे संकल्प लेकर आगे बढ़े उसके हर कार्य परमात्मा को समर्पित कर चल पडे उसका सम्पूर्ण जीवन प्रसाद जो जायेगा सारा प्रमाद नष्ट हो जायेगा।
कर्मयोगी प्रकृति पुत्र त्यागी जी (स्वर्ग निर्माता)
ज्ञान तीर्थ स्वर्ग धाम त्यागी जी आश्रम विश्व सेवा समिति विलायत कला कटनी मध्य प्रदेश।

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