ग़ाज़ीपुर। उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया। यहां एक निजी स्कूल में 15 वर्षीय छात्र की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। जब पिता अस्पताल पहुंचे और बेटे का शव फ्रीज़र में देखा, तो उसे गले लगाकर सहलाते रहे। इस भावुक पल को देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
फोन आया – “बेटा घायल है”… और जिंदगी बदल गई
आदित्य वर्मा, जो सिर्फ 15 साल का था, रोज़ की तरह घर से 25 किलोमीटर दूर सनबीम स्कूल पढ़ने गया था।
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दोपहर में पिता शिवजी वर्मा को फोन आया – “आपका बेटा घायल है।”
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घबराए पिता तुरंत रिश्तेदारों के साथ अस्पताल पहुंचे।
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जब मौत की खबर मिली तो शिवजी वर्मा स्तब्ध रह गए।
अस्पताल में बेटे का शव फ्रीज़र में देखने के बाद वे एकटक उसे निहारते रहे। न आंसू निकल रहे थे, न आवाज़। उन्होंने बेटे का सिर सहलाया… जैसे अब भी उसे दुलार रहे हों।
मां को घंटों बाद मिली खबर
घर पर मां गुड़िया देवी खाना बना रही थीं। उन्हें इस दर्दनाक घटना की जानकारी देर से दी गई। जब बेटे की मौत की खबर मिली, तो वे बेहोश हो गईं। पूरे घर और रिश्तेदारी में मातम पसर गया।
स्कूल परिसर में चाकूबाजी से सनसनी
घटना स्कूल की तीसरी मंज़िल पर बने शौचालय में हुई।
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छात्रों के दो गुटों में विवाद हुआ।
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उसी दौरान एक छात्र ने आदित्य पर चाकू से वार कर दिया।
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उसके सिर और सीने पर कई वार किए गए।
खून से लथपथ आदित्य लड़खड़ाते हुए क्लास की ओर आया। एक शिक्षिका ने उसे गोद में उठाकर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
स्कूल में अफरातफरी, अभिभावक सहमे
घटना के बाद स्कूल प्रशासन ने आनन-फानन में छुट्टी कर दी और अभिभावकों को मैसेज भेजा।
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कई अभिभावक डर के माहौल में अपने बच्चों को लेने पहुंचे।
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पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर छात्रों और शिक्षकों से पूछताछ की।
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CCTV फुटेज जब्त कर लिया गया है, जिसमें अहम सुराग मिले हैं।
क्या पहले से था विवाद?
पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि आदित्य और आरोपी छात्र के बीच पहले से तनाव था।
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15 अगस्त को भी दोनों के बीच कहासुनी हुई थी।
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शक है कि यह हमला पहले से सोचा-समझा हो सकता है।
सवालों के घेरे में स्कूल प्रशासन
परिजनों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने घटना को छिपाने की कोशिश की।
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पिता का कहना है कि जब वे अस्पताल पहुंचे, तो प्रशासन जानकारी देने से कतरा रहा था।
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सवाल उठ रहे हैं कि क्या समय रहते उचित कार्रवाई होती तो आदित्य की जान बचाई जा सकती थी।
छोटा बेटा था, होनहार था… अब सिर्फ यादें हैं
आदित्य दो भाइयों में सबसे छोटा था।
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बड़ा भाई 12वीं कक्षा में पढ़ रहा है।
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आदित्य पढ़ाई में तेज़ और भविष्य को लेकर उत्साहित था।
लेकिन अब परिवार के पास सिर्फ उसकी यादें रह गई हैं।
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