केरल की सबसे बड़ी ठगी:50,000 लोग ठगे गए: स्कूटी और लैपटॉप के नाम पर 1000 करोड़ की धोखाधड़ी
आधी कीमत का सपना और 1000 करोड़ का घोटाला: केरल की सबसे बड़ी ठगी की कहानी
सपनों की डील, बुरे सपनों में बदली: 50,000 परिवारों की कमाई डूबी
केरल पुलिस और ED की संयुक्त कार्रवाई, घोटाले की जांच जारी
“काव्या विनोद की आंखों में खुशी के आंसू थे।”
आखिरकार उसे आधी कीमत पर एकदम नई स्कूटी मिलने वाली थी। उसके मन में शहर में घूमने की आज़ादी और दोस्तों के साथ कॉलेज जाने की तस्वीरें बार-बार घूम रही थीं। पंचायत भवन में चल रहे कार्यक्रम में कई स्थानीय नेता और प्रतिष्ठित लोग मौजूद थे। काव्या को पूरा यकीन था कि उसने सही फैसला लिया है। आखिर इतने बड़े नेता और जाने-माने लोग एक झूठी योजना का हिस्सा कैसे हो सकते हैं?
उसे नहीं पता था कि उसका ये सपना जल्द ही बुरे सपने में बदलने वाला है।
आधी कीमत का लालच: सपनों की डील
यह कहानी अकेले काव्या की नहीं है। कोल्लम जिले की इस 23 वर्षीय छात्रा की तरह 50,000 लोग इस घोटाले का शिकार बने। स्कीम सीधी थी— सवा लाख की स्कूटी केवल 60 हजार में, 60 हजार का लैपटॉप सिर्फ 30 हजार में। घर की ज़रूरत का हर सामान— सिलाई मशीन, पानी की टंकी, खाद, मिक्सर— सब आधी कीमत पर।
लोगों को बताया गया कि यह योजना केंद्र सरकार और बड़ी कंपनियों के सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड से चलाई जा रही है। बस उन्हें आधी कीमत जमा करनी थी और बाकी रकम सरकार और कंपनियां मिलकर चुकाएंगी।
लोगों को ऐसा भरोसा दिलाया गया कि वे अपनी मेहनत की कमाई लेकर इस जाल में कूद पड़े। कई लोग तो कर्ज लेकर भी इस स्कीम में शामिल हुए।
एनजीओ की आड़ में ठगी का जाल
अनंथु कृष्णन— इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड था। उसने 2022 में नेशनल एनजीओ कन्फेडरेशन (NNC) नाम की संस्था बनाई। उसने यह दावा किया कि वह महिलाओं को सशक्त बनाने और मिडिल क्लास तथा निम्न आय वर्ग के परिवारों की मदद करने के लिए यह योजना लेकर आया है। इस संस्था से 2,000 से ज्यादा एनजीओ जुड़े थे, जो इस योजना का प्रचार-प्रसार कर रहे थे।
निवेशक अपने पैसे इन एनजीओ के जरिए अलग-अलग कंसल्टिंग एजेंसियों को देते थे। हर एजेंसी अनंथु के नियंत्रण में थी। लोगों को भरोसे में रखने के लिए शुरुआत में अनंथु ने कुछ लाभार्थियों को आधी कीमत पर सामान भी बांटा।
स्थानीय नेता, पंचायत सदस्य, और मशहूर हस्तियां भी इस योजना का हिस्सा बने। उन्हें इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि वे एक बड़े घोटाले का चेहरा बन रहे हैं।
कार्यक्रमों का खेल: भरोसे का तंत्र
अनंथु ने लोगों को विश्वास में लेने के लिए स्कूटी और लैपटॉप वितरण के विशाल कार्यक्रम आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में स्थानीय नेताओं, पंचायत सदस्यों, और यहां तक कि पुलिस अधिकारियों को भी बुलाया गया। लोगों को यह यकीन दिलाया गया कि जल्द ही उन्हें उनका सामान मिल जाएगा।
फोटो खिंचवाने और व्हाट्सएप ग्रुप में वीडियो शेयर करने का सिलसिला शुरू हुआ। इससे स्कीम में लोगों का भरोसा और मजबूत हो गया। कुछ ने तो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी इस योजना में शामिल कर लिया।
काव्या का संघर्ष: उम्मीदों का टूटना
काव्या ने भी अपने दोस्तों की सलाह पर इस योजना में 60,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए। शुरुआत में सब कुछ तेजी से हुआ— मेंबरशिप फीस जमा हुई, काव्या को व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया। फिर पहले दो महीने में कोई जवाब नहीं आया।
ग्रुप में कई लोगों ने सवाल पूछना शुरू किया। उन्हें जवाब दिया गया कि जल्द ही एक नया वितरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
“100 दिनों में आपको स्कूटी जरूर मिलेगी,” वकील की मौजूदगी में हलफनामे के जरिए यह वादा किया गया। लेकिन 100 दिन बीत गए, और स्कूटी का कोई नामोनिशान नहीं था।
व्हाट्सएप ग्रुप में हंगामा और खुलासा
नवंबर 2024 में पहली बार इस घोटाले की खबरें सामने आने लगीं।
व्हाट्सएप ग्रुप में लोगों ने शिकायतें करनी शुरू कर दीं। कई ने बताया कि उन्हें महीनों से कोई सामान नहीं मिला। पहले यह बात अनसुनी की गई, लेकिन धीरे-धीरे शिकायतें बढ़ती गईं।
पुलिस ने जांच शुरू की।
31 जनवरी 2025 को अनंथु कृष्णन को गिरफ्तार कर लिया गया। केरल क्राइम ब्रांच और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की संयुक्त जांच में यह खुलासा हुआ कि अनंथु ने निवेशकों के पैसों से कोच्चि के मरीन ड्राइव में लग्जरी अपार्टमेंट किराए पर लिए थे। उसने इडुक्की और कोट्टायम में पांच प्रॉपर्टीज में निवेश किया था।
राजनेताओं और हाई कोर्ट जज का नाम
अनंथु ने अपनी योजना को सफेदपोश दिखाने के लिए कई राजनेताओं, एनजीओ के सदस्यों और यहां तक कि हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को भी कार्यक्रमों में बुलाया।
इनमें से कई को घोटाले का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था। वे केवल आम लोगों की मदद करने के नाम पर शामिल हुए थे। लेकिन उनकी मौजूदगी ने इस स्कीम को और असली बना दिया।
पोंजी स्कीम का असली चेहरा
पुलिस ने इसे एक पोंजी स्कीम करार दिया।
शुरुआत में लोगों को लाभ दिया गया, ताकि वे और पैसा लगाएं। जैसे-जैसे स्कीम में निवेश बढ़ता गया, अनंथु ने सारा पैसा अपने खातों में ट्रांसफर कर लिया।
अभी तक 6,000 से ज्यादा लोगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
सिर्फ काव्या नहीं, हजारों लोग ठगे गए
काव्या जैसी कई कहानियां केरल के हर जिले में सुनाई दे रही हैं।
लोग अब भी अपनी मेहनत की कमाई के लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
सबक: लालच से बचें
इस पूरे मामले ने एक बड़ी सीख दी है—
अगर कुछ बहुत सस्ता और असलियत से दूर लगता है, तो शायद वह सच नहीं है।
सरकार और पुलिस लोगों को सतर्क रहने की सलाह दे रही है। किसी भी योजना में पैसा लगाने से पहले उसकी सच्चाई की जांच करना जरूरी है।
भविष्य की ओर: क्या उम्मीद बची है?
अनंथु कृष्णन अब पुलिस की गिरफ्त में है। उसके बाकी सहयोगियों से भी पूछताछ चल रही है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और क्राइम ब्रांच लगातार घोटाले की परतें खोल रहे हैं।
लेकिन जिन लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई गंवाई है, उनके लिए यह घाव आसानी से भरने वाला नहीं है।
क्या काव्या को कभी अपनी स्कूटी मिलेगी? क्या हजारों लोगों को उनका पैसा वापस मिलेगा?
इन सवालों के जवाब अभी भविष्य के गर्भ में हैं।
लेकिन एक बात साफ है— यह कहानी एक बड़ी चेतावनी है, एक ऐसा सपना जिसे सच मानने से पहले सोचना जरूरी है।