साधु-संतों का आशीर्वाद: मुख्यमंत्री योगी को बताया सनातन धर्म का रक्षक | Mahakumbh 2025

News Desk
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साधु-संतों का आशीर्वाद: मुख्यमंत्री योगी को बताया सनातन धर्म का रक्षक
महाकुंभ 2025: आस्था, भव्यता और सनातन संस्कृति का अनूठा संगम
माघ पूर्णिमा स्नान: करोड़ों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
त्रिवेणी संगम में उमड़ा जनसैलाब, दिव्यता से आलोकित घाट
महाकुंभ: सनातन की लहरों में आस्था की अमृत डुबकी
भक्तों को मिला आधुनिकता और परंपरा का अनूठा अनुभव

रात का तीसरा पहर था। घने कोहरे में लिपटी प्रयागराज नगरी की गलियां पूरी तरह जाग चुकी थीं। दूर से गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम तट पर उमड़ता जनसैलाब स्पष्ट नजर आ रहा था। हज़ारों दीपों की रोशनी से नहाई घाटों की पवित्रता, भक्तों की आस्था और संतों की तपस्या—सब मिलकर एक दिव्य ऊर्जा का सृजन कर रहे थे। यह नज़ारा किसी स्वप्न जैसा प्रतीत होता था।

माघ पूर्णिमा का महापर्व:

12 फरवरी का दिन। महाकुंभ का मुख्य स्नान पर्व—माघ पूर्णिमा। करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति की कामना की। साधु-संत, नागा संन्यासी, कल्पवासी, और आमजन सभी इस पावन अवसर का हिस्सा बनने के लिए पहुंचे। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह सनातन धर्म की विशालता और उसकी जीवंतता का उत्सव था।

त्रिवेणी संगम के संगम नोज समेत तमाम कच्चे-पक्के घाटों पर स्नानार्थियों की भीड़ थी। हर कोई पवित्र जल में डुबकी लगाकर स्वयं को भाग्यशाली मान रहा था। स्नान के बाद घाटों पर मंत्रोच्चारण, हवन, भजन, और धार्मिक अनुष्ठान पूरे क्षेत्र में दिव्यता बिखेर रहे थे।

इस बार का महाकुंभ सिर्फ भव्य नहीं था, यह सुरक्षित, डिजिटल, और सुव्यवस्थित होने के कारण भी विशेष बन गया। इसकी सफलता का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शिता और प्रबंधन क्षमता को दिया जा रहा है।

साधु-संतों की हर्षध्वनि:
साधु-संतों ने भी इस आयोजन को लेकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के नागा संन्यासी बंगाली बाबा ने कहा, “यह महाकुंभ कई मायनों में अनूठा है। साधुओं और आम भक्तों के लिए की गई व्यवस्थाएं अत्यधिक सराहनीय हैं। महाकुंभ में इतनी सुदृढ़ व्यवस्था वही कर सकता है जो सच्चा सनातनी हो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह साबित किया है कि वह वास्तव में सनातन के गौरव हैं।”WhatsApp Image 2025 02 12 at 8.30.00 PM 1 scaled

साधु-संतों के विचार:
अघोर तंत्राचार्य और किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर आर. मणिकंदन ने भी महाकुंभ की व्यवस्था की प्रशंसा की। उनका मानना है कि महाकुंभ में बिताया गया हर क्षण अमृत के समान है। उन्होंने कहा, “यहां साधु-संतों और स्नानार्थियों के लिए जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, वह अतुलनीय हैं। एक सच्चा सनातनी ही इस प्रकार के वृहद आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कर सकता है।”

उन्होंने संगम नोज पर अत्यधिक भीड़ बढ़ाने के बजाय नजदीकी घाटों पर स्नान करने की अपील की। उनका कहना था कि महाकुंभ क्षेत्र का हर घाट शक्ति त्रिकोण का हिस्सा है, जहां स्नान का उतना ही पुण्य मिलता है जितना संगम नोज पर।

संतों का काशी की ओर प्रस्थान:
माघ पूर्णिमा स्नान के बाद कई साधु-संत अब काशी की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। बंगाली बाबा ने बताया कि वसंत पंचमी के बाद से ही विभिन्न अखाड़ों के संत काशी जाने लगते हैं, जहां वे महाशिवरात्रि तक रुकते हैं और बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेलकर आगे की यात्रा पर निकलते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी की प्रशंसा करते हुए कहा, “योगी जी ने महाकुंभ को न केवल भव्य बनाया है, बल्कि इसे सुरक्षित और सुव्यवस्थित भी रखा है। उनकी नेतृत्व क्षमता वास्तव में सराहनीय है।”

‘जीवन धन्य हो गया’: साधुओं की भावनाएं
रघुवंश संकल्प सेवा संघ और अयोध्या के राम-वैदेही मंदिर के प्रमुख स्वामी दिलीप दास त्यागी ने महाकुंभ की अनुभूति को ‘जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य’ बताया। उन्होंने कहा, “माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने का अवसर मिला। ऐसा महसूस हो रहा है जैसे जीवन धन्य हो गया। यह महाकुंभ न केवल धर्म-अध्यात्म का केंद्र है, बल्कि यह मानवता, एकता, और सत्कर्म के मूल्यों को भी आत्मसात कराता है।”

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी और स्थानीय प्रशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं से स्वच्छता और सुरक्षा बनाए रखने की अपील की।

डिजिटल और सुरक्षित महाकुंभ:
इस महाकुंभ की एक और विशेषता इसकी डिजिटल उपलब्धियां थीं। भक्तों को आयोजन से जुड़ी हर जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध थी। इससे न केवल उन्हें दिशा-निर्देश मिले, बल्कि भीड़ प्रबंधन में भी मदद मिली। यह आयोजन आधुनिक तकनीक और सनातन परंपराओं का अनूठा संगम था।WhatsApp Image 2025 02 12 at 8.29.59 PM scaled

महाकुंभ को सुरक्षित बनाने के लिए चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई थी। घाटों पर मेडिकल कैंप, लापता बच्चों के लिए हेल्प डेस्क, और इमरजेंसी सेवाओं ने इसे हर दृष्टि से सुरक्षित बना दिया।

साधु-संतों का आशीर्वाद:
महाकुंभ में आए साधु-संतों का कहना था कि यह आयोजन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सनातन धर्म की सच्ची अनुभूति भी कराता है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सनातन धर्म का रक्षक और मार्गदर्शक बताया। उनके अनुसार, “योगी जी ने महाकुंभ को जिस तरह सफल बनाया है, वह हर सनातनी के लिए गर्व का विषय है।”

महाशिवरात्रि की तैयारियां:

अब महाकुंभ के बाद सभी की निगाहें महाशिवरात्रि पर हैं। काशी में नागा संन्यासियों का जमावड़ा होगा। वहां बाबा विश्वनाथ के दरबार में आशीर्वाद लेने और होली खेलने की तैयारियां जोरों पर हैं। बंगाली बाबा और अन्य साधु-संत काशी में अपने प्रवास के दौरान भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेंगे।

आस्था की नई परिभाषा:
यह महाकुंभ आस्था की परंपरा को एक नया आयाम देने वाला आयोजन साबित हुआ। यह दर्शाता है कि कैसे आधुनिकता और परंपरा एक साथ चल सकती हैं। डिजिटल महाकुंभ, सुरक्षित महाकुंभ और सुव्यवस्थित महाकुंभ ने हर भक्त को एक अनूठा अनुभव दिया।

साधु-संतों की उपस्थिति और उनकी प्रसन्नता ने इसे और भी विशेष बना दिया। सीएम योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में आयोजित इस महाकुंभ ने न केवल लाखों भक्तों की आस्था को मजबूत किया, बल्कि दुनिया भर में सनातन धर्म की महिमा को भी उजागर किया।

महाकुंभ केवल एक आयोजन नहीं है, यह सनातन धर्म की शक्ति और उसकी महानता का प्रतीक है। यह भव्यता, आध्यात्मिकता और सुरक्षा का अनूठा संगम था। साधु-संतों के हर्षोल्लास से यह स्पष्ट था कि यह आयोजन कई मायनों में यादगार रहेगा।

तो अगर आपने इस महाकुंभ में हिस्सा लिया, तो यकीनन आपका जीवन भी धन्य हो गया होगा। और यदि नहीं, तो अगली बार के लिए तैयार रहें—क्योंकि महाकुंभ की पवित्रता और उसकी भव्यता को महसूस करने के लिए एक बार आना तो बनता है।

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