हमीरपुर एक्सक्लूसिव:- भृष्टाचार के दलदल में डूबी मौदहा नगर पालिका

News Desk
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nagar palika maudaha gate 1

    [एक्सक्लूसिव रिपोर्ट]

टीम प्रगतिसगिल प्रेस क्लब हमीरपुर

नगर पालिका मौदहा मे चल रहे भ्रष्टाचार की शिकायत मे शिकायतकर्ता भी शामिल

मौदहा हमीरपुर। पालिका मे फैले भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमिततओं को लेकर यहां के एक दर्जन से अधिक सभासदो ने आलाधिकारियों को शिकायती पत्र सौपते हुये जांच उपरान्त कार्यवाही की मांग की है। बताते चले कि पनपते भ्रष्टाचार को लेकर विभागीय समस्याओं व तमाम शिकायतों का दौर पालिका मौदहा मे लम्बे समय से चल रहा है जिसकी शिकायते कभी बाहर से तो कभी पालिका के अन्दर से ही होती रहती है जो अक्सर कारण विशेष के चलते समाधान से पहले ही शान्त हो जाती है।
जिसपर पालिका के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले शिकायतकर्ता अपने अपने तर्को से लोगो को सन्तुष्ट करने का प्रयास भी करते है किन्तु लोग तो लोग है जो कारण विशेष को कमीशनखोरी का नाम देकर पालिका के जिम्मेदारो द्वारा किये घोटाले को दबाने व उठाने का माध्यम मानते है।
मामला कुछ भी हो पर कुछ माह पहले भ्रष्टाचार मे डूबी पालिका का मुददा यहां के दर्जनों सभासदो ने लगभग दो माह पूर्व भी उठाया था जो कुछ दिन बाद ही अपने आप साबुन के झाग की तरह बैठ गया। आरोप तो ये भी है कि भ्रष्टाचार की गंगा मे डूबी पालिका मे सभी शिकायतकर्ता सभासदो को डुबकी लगवाकर मामला शान्त कराया गया। जिसपर जांच से पहले ही बाकायदा लिखितरूप से सन्तुष्ट होने का पत्र भी सभासदो द्वारा जारी किया गया।
किन्तु कारण विशेष मे विध्न पडने के चलते भ्रष्टाचार मे डूबी पालिका की वित्तीय अनियमितताये दर्जनभर सभासदो को पुनः नजर आने लगी जिसकी शिकायत एक दर्जन से अधिक सभासदो ने आयुक्त महोदय सहित शासन प्रशासन के अन्य आलाओहदेदारों से करते हुये दोषियो पर कार्यवाही की मांग की है।
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शिवकुमार सोनी, उमेश ओमर, रामप्रकाश , किरण, शान्तिदेवी, दुर्गा, महेश कुमार गुप्ता, सज्जन कुमारी, छोटे लाल, शरमण सहित एक दर्जन से अधिक सभासदों के हस्ताक्षरयुक्त शिकायती पत्र मे आरोप लगाये गये कि पालिका मे वित्तीय घोटालों के नाम पर नालो की सफाई का ठेका 55 लाख मे दिया गया , पालिका को कूडा ढोने के लिये लगाये गये डम्फरों एवं जेसीबी के किराये और पहले से खुदे ओरी तालाब का बिना स्टीमेट बिना टेण्डर भुगतान हुआ तथा पालिका अध्यक्ष ने अपने रिश्तेदार एवं नजदीकियों का ठेकेदारी मे रजिस्ट्रेशन करवाकर फर्जी भुगतान भी करवाया है। उक्त सात बिन्दुओं पर अरोपो की शिकायत मण्डलायुक्त सहित अन्य अधिकारियों से भी सभासदों ने की है।
हालाकि इसी विभाग के विश्वसनीय सूत्र बताते है कि पालिका मे व्याप्त भ्रष्टाचार व शिकायतों पर चुप्पी साधने के लिये प्रत्येक काम की कुल राशि का 33 प्रतिशत का प्रसाद आपस मे बांटा जाता है। जिसमे सभासद व अध्यक्ष के हिस्से मे 15 प्रतिशत का प्रसाद चढता है तो अधीशाषी अधिकारी व जेई के हिस्से मे कुल काम का 10 प्रतिशत प्रसाद चढाया जाता है जबकि विभाग के बाबू व एई भी 5 प्रतिशत का प्रसाद लेकर भ्रष्टाचार को काली स्याही से दबाकर रखते है वहीं 5 प्रतिशत सम्बन्धित अन्य अधिकारी भी जांच को भ्रष्टाचार के दलदल मे दफनाने के लिये प्रसाद लेते है ताकि भ्रष्टाचार से सम्बन्धित किसी भी शिकायत पर क्लीन चिट दी जा सके। अब कौन सही और कौन गलत यह तो जांच का विषय है।

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