डर का माहौल, जहां सुरक्षा की जगह असुरक्षा हावी
सोचिए, आप हर दिन ऑफिस जाएं और वहां डर के माहौल में काम करें। यह डर किसी बाहरी खतरे का नहीं, बल्कि आपके ही वरिष्ठ अधिकारी का हो, जो हर वक्त आपकी गरिमा और आत्मसम्मान को कुचलता हो।
यही स्थिति बीते चार महीनों से उत्तर प्रदेश के नोएडा में तैनात महिला अफसरों के साथ हो रही है। अब जब यह दर्द हद से ज्यादा बढ़ गया, तो उन्होंने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ दी।
- डर का माहौल, जहां सुरक्षा की जगह असुरक्षा हावी
- मुख्यमंत्री को भेजा गया खत, खुला बड़ा राज
- “मेरी बात नहीं मानी, तो नौकरी खा जाऊंगा”
- वीडियो कॉल, घूरना और छिपकर देखना – कहां सुरक्षित हैं महिलाएं?
- सिस्टम के भीतर अन्याय – सबसे बड़ी विडंबना
- यह पहला मामला नहीं, और यही सबसे डरावनी बात
- इस बार चुप नहीं बैठना
- एक अफसर नहीं, पूरे सिस्टम की सच्चाई
- अब फैसला सिस्टम को करना है
मुख्यमंत्री को भेजा गया खत, खुला बड़ा राज
एक चिट्ठी, जो सीधे मुख्यमंत्री को भेजी गई, ने एक वरिष्ठ अधिकारी के चेहरे से नकाब हटा दिया है। यह चिट्ठी सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि इसमें लिखा हर शब्द पीड़ा, डर, अपमान और गुस्से से भरा हुआ है।
“मेरी बात नहीं मानी, तो नौकरी खा जाऊंगा”
महिला अधिकारियों का आरोप है कि नोएडा में तैनात एक IAS अधिकारी महीनों से उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं।
वे सिर्फ काम से जुड़े आदेश ही नहीं देते, बल्कि अपनी ताकत दिखाने के लिए घटिया भाषा का इस्तेमाल करते हैं। आरोप है कि वे कहते हैं –
“अगर मेरी बात नहीं मानी तो नौकरी खा जाऊंगा, कटोरा पकड़ा दूंगा।”
यह सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि सम्मान और आत्मविश्वास को कुचलने का तरीका है।
वीडियो कॉल, घूरना और छिपकर देखना – कहां सुरक्षित हैं महिलाएं?
महिला अफसरों ने यह भी आरोप लगाया है कि अधिकारी रात-रात भर उन्हें फोन और वीडियो कॉल करते हैं।
-
कभी ऑफिस बुलाकर घंटों खड़ा रखते हैं।
-
कभी छुपकर घूरते हैं।
-
यहां तक कि चोरी-छिपे उनके वीडियो बनाने की कोशिश करते हैं।
ऐसे माहौल में कोई भी महिला अफसर, जो खुद जिम्मेदार पद पर है, असुरक्षा और डर के साथ ही काम कर सकती है। विरोध करने पर फर्जी मामलों में फंसाने की धमकी दी जाती है।
सिस्टम के भीतर अन्याय – सबसे बड़ी विडंबना
यह सब उस सिस्टम के भीतर हो रहा है, जो खुद को न्याय, समानता और महिला सुरक्षा का जिम्मेदार मानता है।
सरकार “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और “महिला सशक्तिकरण” की बातें करती है, लेकिन उन्हीं अफसरों के बीच यह चेहरा उस सोच पर सवाल खड़ा कर देता है।
यह पहला मामला नहीं, और यही सबसे डरावनी बात
यह पहली बार नहीं हुआ है। कुछ समय पहले इसी विभाग में सात अधिकारियों को महिला उत्पीड़न के मामले में निलंबित किया गया था।
अब फिर एक नया मामला सामने आ गया है। सवाल यह है कि
-
बार-बार ऐसे लोगों को बचाया क्यों जाता है?
-
कार्रवाई क्यों नहीं होती?
अक्सर मामले ठंडे पड़ जाते हैं, जांच सालों चलती है और महिलाएं या तो तबादला मांग लेती हैं या नौकरी छोड़ देती हैं।
इस बार चुप नहीं बैठना
इस बार महिला अफसरों ने साफ मांग की है कि जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या राज्य महिला आयोग से कराई जाए, और वह भी गोपनीय तरीके से, ताकि और भी महिलाएं खुलकर सामने आ सकें।
यह सिर्फ उत्पीड़न का मामला नहीं, बल्कि सत्ता के गलत इस्तेमाल, डर के माहौल और भ्रष्टाचार का भी हिस्सा है।
एक अफसर नहीं, पूरे सिस्टम की सच्चाई
इस मामले में आरोपी कोई आम व्यक्ति नहीं, बल्कि एक वरिष्ठ IAS अधिकारी है। जिस कुर्सी पर बैठकर उसे लोगों की भलाई करनी चाहिए, वही कुर्सी अगर महिलाओं के लिए डर की वजह बन जाए, तो फिर उस पद का क्या मतलब?
एक अधिकारी का सम्मान तभी बच सकता है, जब वह दूसरों का सम्मान करे। पद का इस्तेमाल अगर दबाने, डराने और अपमानित करने में हो, तो यह सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की हार है।
अब फैसला सिस्टम को करना है
महिला अफसरों ने अपना दर्द बयान कर दिया है। अब बारी प्रशासन और सरकार की है —
क्या वे इस बार इस दर्द को सुनेंगे या फिर इसे भी पिछले मामलों की तरह दबा दिया जाएगा?
अगर अब भी कुछ नहीं बदला, तो आने वाले समय में कोई भी महिला अफसर इस सिस्टम पर भरोसा नहीं करेगी, और तब सवाल सिर्फ एक अफसर पर नहीं, बल्कि पूरे प्रशासन पर उठेंगे।
You Might Also Like – IAS कैसे बनें: तैयारी, टिप्स और मार्गदर्शन