Jhansi News: Illegal Sand Mining in टहरौली Jhansi, बालू माफिया का होंसला बुलंद
झांसी जिले के टहरौली तहसील के कुकरगांव बालू घाट का मामला इन दिनों सुर्ख़ियों में है। यहां पर illegal mining के जरिए बालू माफिया खुलेआम भारतीय मानक और कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अवैध खनन के इस खेल ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, बल्कि खनिज विभाग को भी लाखों रुपयों का चूना लगाया है। ये खेल दिन-रात जारी है और प्रशासन की कोशिशों के बावजूद, balu mafia अपनी धुन में लगे हुए हैं। आइए, इस घोटाले की गहराई में जाएं और जानें कि कैसे यह avaidh khanan हो रहा है और क्यों प्रशासन और खनिज विभाग इस पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं।
अवैध खनन: एनजीटी नियमों का उल्लंघन (Illegal Mining: Violation of NGT Rules)
कुकरगांव बालू घाट पर हो रहा illegal mining NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के नियमों के खिलाफ है। एनजीटी ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी नदी में खनन केवल निर्धारित उपकरणों और मानक प्रक्रियाओं के तहत किया जा सकता है। लेकिन यहां पर स्थिति पूरी तरह से उलट है। लिफ्टर जैसी प्रतिबंधित मशीनों से नदी का सीना चीरकर avaidh khanan किया जा रहा है। लिफ्टर मशीनें नदी के तटों और जलमंडल को नुकसान पहुँचाती हैं, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन पैदा होता है। इन मशीनों का इस्तेमाल सरकारी नियमों के खिलाफ है, लेकिन फिर भी ये माफिया बेधड़क अपना काम जारी रखे हुए हैं।
बालू माफियाओं की रात-दिन की गतिविधियां (The Balu Mafia’s Round-the-Clock Operations)
Balu mafia का खेल रात दिन जारी है। यह माफिया बिना किसी रोक-टोक के ओवरलोड ट्रकों को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। ये ट्रक बिना रॉयल्टी के चल रहे हैं, और बिना किसी सरकारी पहचान के। मतलब, avaidh khanan के इस कारोबार में सरकार को कोई राजस्व नहीं मिल रहा है। इसके अलावा, घाट संचालक द्वारा फर्म का बोर्ड भी नहीं लगाया गया है, जो एक और महत्वपूर्ण एनजीटी नियम है। जब भी कोई पत्रकार इस illegal mining की रिपोर्टिंग के लिए घाट पर जाता है, तो बालू माफियाओं के गुर्गे पत्रकारों से परमीशन मांगते हैं। यदि कोई पत्रकार उनके खिलाफ कुछ बोलता है, तो वे उस पर हमलावर हो जाते हैं। इस व्यवहार से यह स्पष्ट होता है कि इस पूरे खेल में कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण या प्रशासन की शह है।
अवैध खनन की आशंका: क्या प्रशासन और खनिज विभाग सो रहे हैं?
Illegal mining के इस खेल में बालू माफिया जिस तरह से लगे हुए हैं, वह यह सवाल उठाता है कि कहीं प्रशासन और खनिज विभाग इस avaidh khanan को बढ़ावा तो नहीं दे रहे हैं। प्रशासन के कई प्रयासों के बावजूद, balu mafia अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। एनजीटी के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन इसका कहीं कोई ठोस समाधान नहीं निकल रहा। अगर प्रशासन और खनिज विभाग इस पर सख्ती से कार्यवाही करते हैं, तो शायद इस illegal mining को रोका जा सकता है, लेकिन फिलहाल इस पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
अवैध खनन का पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impact of Illegal Mining)
Illegal mining न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से हानिकारक है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी खतरनाक है। जब लिफ्टर मशीनों से नदी का सीना चीरकर avaidh khanan किया जाता है, तो नदी का पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से बिगड़ जाता है। इससे न केवल जल स्तर में गिरावट आती है, बल्कि नदी की सफाई और जल जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है। नदी के तल को खोखला करना, जलजनित जीवन को प्रभावित करता है, और इससे जल प्रदूषण में भी वृद्धि होती है। इसके अलावा, ओवरलोड ट्रक सड़कों पर दौड़ते हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। इस खतरनाक खेल का असर केवल पर्यावरण पर नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों की जीवनशैली पर भी पड़ रहा है।
सरकार और प्रशासन की भूमिका (Role of Government and Administration)
अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार और प्रशासन इस पर कार्रवाई करेंगे या यह illegal mining यूं ही चलता रहेगा? क्या खनिज विभाग और स्थानीय प्रशासन को यह महसूस हो रहा है कि उनके कदमों के बिना यह avaidh khanan अपनी धुन में लगे रहेंगे? ये सवाल अब स्थानीय लोगों और पत्रकारों के दिमाग में हैं। प्रशासन को इस मामले में सख्ती से कदम उठाने होंगे, ताकि इस पर नियंत्रण पाया जा सके और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सके।
अवैध खनन का अंत कब होगा? (Conclusion: When Will Illegal Mining End?)
कुकरगांव बालू घाट पर हो रहा illegal mining, एनजीटी के नियमों का उल्लंघन और खनिज विभाग की लापरवाही इस बात का संकेत देती है कि सिस्टम में कहीं न कहीं खामी है। प्रशासन को इस मामले में सख्ती से कदम उठाने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी avaidh khanan संचालित न हो। अगर इस पर समय रहते कार्रवाई नहीं की जाती, तो इसका असर न केवल पर्यावरण पर पड़ेगा, बल्कि इससे सरकार की छवि भी धूमिल होगी। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन और खनिज विभाग इस पर कोई ठोस कदम उठाते हैं, या फिर यह illegal mining यूं ही चलता रहेगा।
झाँसी उत्तर प्रदेश से कलाम कुरैशी की रिपोर्ट देखते रहिये आपका अपना चैनल आंचलिक ख़बरें अपनों की खबर आप तक
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