भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रहे टैरिफ विवाद को लेकर सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंथा नागेश्वरन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले दो महीनों में यह मसला सुलझ सकता है। इससे भारतीय उद्योग जगत, खासकर निर्यातकों में नई उम्मीद जगी है।
दंडात्मक टैरिफ में कमी की संभावना
नागेश्वरन ने कहा कि अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए दंडात्मक (Penal) टैरिफ को वापस लेने की बातचीत जारी है। साथ ही, पारस्परिक (Reciprocal) टैरिफ को वर्तमान 25% से घटाकर लगभग 15% करने की दिशा में भी चर्चा हो रही है। यह कदम भारतीय वस्तुओं को अमेरिकी बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकता है और निर्यात को बढ़ावा दे सकता है।
- भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रहे टैरिफ विवाद को लेकर सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंथा नागेश्वरन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले दो महीनों में यह मसला सुलझ सकता है। इससे भारतीय उद्योग जगत, खासकर निर्यातकों में नई उम्मीद जगी है।
- दंडात्मक टैरिफ में कमी की संभावना
- निर्यातकों के लिए क्या मायने रखता है यह बदलाव
- विशेषज्ञों की राय और विश्लेषण
- निर्यातकों के लिए सुझाव
निर्यातकों के लिए क्या मायने रखता है यह बदलाव
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इसका सीधा असर कई क्षेत्रों पर पड़ेगा—जैसे वस्त्र, औद्योगिक उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान और कृषि आधारित उत्पाद।
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लागत में कमी: टैरिफ घटने से भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में सस्ते होंगे।
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बिक्री में वृद्धि: प्रतिस्पर्धी कीमतों से अमेरिकी ग्राहकों की मांग बढ़ेगी।
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व्यापार संतुलन: निर्यात बढ़ने से भारत का व्यापार घाटा कम हो सकता है।
विशेषज्ञों की राय और विश्लेषण
व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि यह वार्ता भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
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अमेरिका के साथ बेहतर व्यापारिक संबंध विदेशी निवेशकों को भी सकारात्मक संदेश देंगे।
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इससे भारत के “मेक इन इंडिया” और “निर्यात बढ़ाओ” अभियानों को गति मिल सकती है।
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हालांकि, यह देखना ज़रूरी होगा कि यह राहत सभी उत्पादों पर लागू होगी या सिर्फ़ कुछ चुने हुए क्षेत्रों तक सीमित रहेगी।
निर्यातकों के लिए सुझाव
इस मौके का लाभ उठाने के लिए निर्यातकों को कुछ कदम उठाने चाहिए:
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गुणवत्ता सुधारें: अमेरिकी बाजार में टिके रहने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों पर ध्यान दें।
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लॉजिस्टिक दक्षता: शिपिंग और सप्लाई चेन को मज़बूत करें ताकि ऑर्डर समय पर पूरे हों।
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नए बाजारों की तलाश: टैरिफ कम होने के बाद भी विविधता बनाए रखना ज़रूरी है, ताकि भविष्य में किसी भी व्यापारिक नीति बदलाव का असर कम हो। Also Read This-पीटर नवारो का ‘ब्राह्मण–तेल’ बयान”