Pahalgam Terror Attack : अब पानी को तरसेगा पाकिस्तान India ने Indus Water Treaty Suspended का लिया फैसला
Pahalgam Terror Attack में बेगुनाह सैलानियों पर बरसी आतंक की गाज ने सिर्फ खून ही नहीं बहाया, बल्कि पूरे देश की रगों में गुस्से की आग भर दी। इस क्रूर हमले ने भारत सरकार को वह कदम उठाने पर मजबूर किया, जिसे अब तक टाला जाता रहा था।
दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की हाई लेवल मीटिंग में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया—भारत ने 1960 की ‘Indus Water Treaty‘ को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्णय लिया।
यह कोई आम डिप्लोमैटिक स्टेप नहीं था। यह एक ऐसा पानी से वार था, जो पाकिस्तान की जड़ें हिला सकता है।
What is Indus Water Treaty: क्यों है ये संधि इतना महत्वपूर्ण?
Indus Water Treaty, जिसे हिंदी में सिंधु जल संधि कहा जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को कराची में साइन की गई थी। इस पर भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान की तरफ से राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे।
इस संधि में तय किया गया था कि भारत को तीन पूर्वी नदियां—रावी, ब्यास और सतलुज—का पानी मिलेगा। वहीं पाकिस्तान को सिंधु, चिनाब और झेलम जैसी पश्चिमी नदियों का जल इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया।
लेकिन सवाल उठता है—Persona Non Grata जैसे व्यवहार करने वाले पाकिस्तान को क्या अब भी इस जलस्रोत का लाभ मिलना चाहिए?
जम्मू कश्मीर अटैक के बाद क्यों टूटा भारत का सब्र?
Jammu Kashmir Attack, विशेषकर Pahalgam Terror Attack के बाद, भारत ने साफ कर दिया कि अब केवल कूटनीति से काम नहीं चलेगा। सीमापार आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की भूमिका किसी से छुपी नहीं है।
भारत सरकार ने कड़ा संदेश देते हुए कहा—अब आतंक और पानी साथ नहीं बह सकते।
भारत की रणनीति – Indus Water Treaty को रोकना क्यों है घातक वार?
Indus Water Treaty को स्थगित करना पाकिस्तान के लिए आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक त्रासदी का कारण बन सकता है। आंकड़ों के अनुसार:
- पाकिस्तान की 80% खेती योग्य भूमि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है।
- कराची, लाहौर, मुल्तान जैसे बड़े शहरों की पीने के पानी की जरूरतें सिंधु जल से पूरी होती हैं।
- तरबेला और मंगला डैम जैसे बड़े पावर प्रोजेक्ट्स भी इसी पानी पर टिके हैं।
- अब जब भारत ने इस पर नियंत्रण का निर्णय लिया है, तो जल, अन्न और ऊर्जा का संकट पाकिस्तान को बर्बादी की ओर ले जा सकता है।
Indus Water Treaty पर भारत की पुरानी असहमति – ये बस शुरुआत है
जनवरी 2023 और फिर सितंबर 2024 में भारत ने पाकिस्तान को दो बार नोटिस भेजा, जिसमें संधि की समीक्षा और उसमें बदलाव की बात कही गई।
अनुच्छेद XII (3) के तहत, भारत को यह अधिकार है कि वह पाकिस्तान के साथ संधि की समीक्षा करे। भारत ने इसी कानूनी प्रावधान के तहत पाकिस्तान को नोटिस भेजा।
यह सिर्फ तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता और सुरक्षा का प्रश्न बन चुका है।
जल-विद्युत परियोजनाओं को लेकर बढ़ी तनातनी
भारत ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में दो जल-विद्युत परियोजनाओं को गति देने का निर्णय लिया है:
1. किशनगंगा प्रोजेक्ट (330 मेगावाट) – बांदीपोरा में झेलम की सहायक नदी पर।
2. रतले प्रोजेक्ट (850 मेगावाट) – चेनाब नदी पर किश्तवाड़ में।
ये दोनों परियोजनाएं पर्यावरण के अनुकूल हैं और प्राकृतिक बहाव से बिजली उत्पादन करती हैं। लेकिन पाकिस्तान ने इन्हें सिंधु संधि का उल्लंघन बताकर विरोध जताया।
क्यों नहीं जा सकता ये विवाद अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण?
Indus Water Treaty के अनुच्छेद IX के तहत, विवाद सुलझाने के लिए तीन-स्तरीय ढांचा है:
- पहले दोनों देशों के सिंधु आयुक्त के स्तर पर बातचीत।
- फिर विश्व बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ की मदद।
- अगर तब भी हल न निकले, तभी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण।
पाकिस्तान ने इन स्टेप्स को दरकिनार कर सीधे Permanent Court of Arbitration में मामला उठाया, जो संधि के उल्लंघन की श्रेणी में आता है। भारत ने इसपर कड़ा विरोध जताया।
Shahpur Kandi Project: पानी की बर्बादी को रोकने की भारत की कोशिश
शाहपुर कंडी बांध परियोजना रावी नदी पर बनी है, जो भारत के अधिकार क्षेत्र में आती है।
1979 में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ था।
रणजीत सागर बांध पहले ही बन चुका है, अब उसी के अपस्ट्रीम पर शाहपुर कंडी बांध का निर्माण हो रहा है।
इसका उद्देश्य पाकिस्तान में व्यर्थ जा रहे पानी को रोककर भारत में सिंचाई और ऊर्जा में उपयोग करना है।
पाकिस्तान की बौखलाहट और युद्ध की धमकी
पाकिस्तान बार-बार Indus Water Treaty को छेड़ने पर युद्ध की धमकी देता रहा है। लेकिन अब भारत ने स्पष्ट कर दिया है—देश की सुरक्षा सर्वोपरि है, और पानी की एक-एक बूंद का इस्तेमाल अब सोच-समझकर होगा।
पानी के बहाव से अब बहेंगी सियासी लकीरें
भारत का Indus Water Treaty पर यह कदम केवल जल प्रबंधन का नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक बन गया है।
पाकिस्तान को अब तय करना है—आतंक के साथ या पानी के साथ? भारत ने मोर्चा खोल दिया है, और यह साफ संदेश दे दिया है कि अब पाकिस्तान को persona non grata की तरह व्यवहार सहना होगा
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