Jhansi: राष्ट्रीय सेवा योजना विशेष शिविर: छठवें दिन महिला सशक्तिकरण और स्वच्छता अभियान पर जोर

News Desk
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मैथिलीशरण गुप्त महाविद्यालय, चिरगांव, झाँसी में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की तीनों इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में सात दिवसीय विशेष शिविर का छठवाँ दिन पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस दिन का आयोजन श्री श्री 1008 श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में हुआ, जिसकी शुरुआत लक्ष्य गीत के सामूहिक गायन से की गई। लक्ष्य गीत के माध्यम से स्वयंसेवकों और स्वयंसेविकाओं में एक नई प्रेरणा का संचार हुआ। इसके उपरांत सभी स्वयंसेवकों एवं स्वयंसेविकाओं ने मंदिर परिसर में सफाई अभियान चलाया।

मंदिर परिसर की साफ-सफाई के दौरान स्वयंसेवकों ने न केवल गंदगी हटाने का कार्य किया, बल्कि लोगों को भी स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूक किया। स्वच्छता अभियान में सभी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और संकल्प लिया कि वे अपने आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छ बनाए रखने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। इस कार्य में स्वयंसेवकों ने झाड़ू, तसला, और अन्य सफाई उपकरणों का उपयोग किया तथा पूरे परिसर को स्वच्छ एवं सुंदर बना दिया।

इसके बाद, महिला अधिकार और सशक्तिकरण को लेकर एक जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। यह रैली मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर अवंतीबाई नगर होते हुए महाविद्यालय तक निकाली गई। रैली के दौरान स्वयंसेवकों एवं स्वयंसेविकाओं ने समाज में महिलाओं की समानता, शिक्षा, और सशक्तिकरण को लेकर विभिन्न नारे लगाए। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”, “शिक्षा है हर नारी का अधिकार”, “महिला सम्मान, देश का उत्थान” जैसे नारों ने पूरे वातावरण को जागरूकता से भर दिया।

रैली में स्थानीय नागरिकों ने भी रुचि दिखाई और स्वयंसेवकों के प्रयासों की सराहना की। कई लोगों ने इस पहल को सराहा और इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही। इस दौरान स्वयंसेवकों ने लोगों से संवाद भी किया और महिला सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया।

रैली के समापन के बाद सभी स्वयंसेवकों एवं स्वयंसेविकाओं ने महाविद्यालय परिसर में लौटकर दोपहर का सामूहिक आहार ग्रहण किया। भोजन के उपरांत अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय था – “महिला अधिकार एवं शिक्षा”। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापकों, कार्यक्रम अधिकारियों और स्वयंसेवकों ने भाग लिया तथा अपने विचार प्रस्तुत किए।

संगोष्ठी में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई दो के कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार गौतम ने महिला अधिकार और समानता पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं को केवल सहानुभूति की नहीं, बल्कि समान अवसरों की आवश्यकता है। जब महिलाओं को समान अवसर प्राप्त होंगे, तो वे समाज को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि नारी केवल परिवार का आधार नहीं होती, बल्कि वह समाज और राष्ट्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अशोक मुस्तरिया ने अपने संबोधन में राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरणों के माध्यम से बताया कि महिलाओं ने समय-समय पर समाज में परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, सावित्रीबाई फुले, कल्पना चावला जैसी महान महिलाओं के योगदान को रेखांकित किया और बताया कि जब महिलाओं को शिक्षा, समानता और अवसर मिलते हैं, तो वे किसी भी क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियाँ हासिल कर सकती हैं।

हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर शरद गुप्त ने महिला शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जब एक महिला शिक्षित होती है, तो वह पूरे परिवार को शिक्षित करने में सक्षम होती है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में महिला शिक्षा की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि हमें इसे प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को केवल औपचारिक शिक्षा तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास के अवसर भी प्रदान किए जाने चाहिए, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।

संगोष्ठी के दौरान इकाई तीन के कार्यक्रम अधिकारी संजीव कुमार, आकाश कुमार, वीरेंद्र कुमार, डॉक्टर हरीश कुमार, सोनू, यादवेंद्र यादव, दाता दीन, कुमारी सुनीता कृष्णा, श्रीमती कृष्णकांती, कुमारी गौरी दांगी एवं श्रीमती पूजा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि महिला अधिकारों और समानता को केवल कानूनों और सरकारी योजनाओं के माध्यम से नहीं सुधारा जा सकता, बल्कि इसके लिए सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि किस प्रकार महिला सशक्तिकरण से पूरे समाज का विकास संभव है।

कार्यक्रम में कई प्रेरणादायक कहानियाँ भी साझा की गईं, जिनमें उन महिलाओं का उल्लेख किया गया जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद समाज में अपना स्थान बनाया और सफलता प्राप्त की। उदाहरण के रूप में, कुछ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के संघर्ष और उनकी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया गया, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि यदि महिलाओं को अवसर दिए जाएँ, तो वे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं।

इस अवसर पर यह भी चर्चा की गई कि महिलाओं को केवल अधिकारों के प्रति जागरूक करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को यह समझना होगा कि महिलाओं की समानता से संपूर्ण समाज को लाभ होता है। कार्यक्रम के दौरान कुछ स्वयंसेवकों ने महिला सशक्तिकरण से संबंधित कविताएँ और उद्धरण भी प्रस्तुत किए, जिससे कार्यक्रम और अधिक प्रेरणादायक बन गया।

कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना की तीनों इकाइयों के कार्यक्रम अधिकारियों ने संयुक्त रूप से इसका संचालन किया। महाविद्यालय के प्राध्यापकगण, कर्मचारीगण, स्वयंसेवक एवं स्वयंसेविकाएँ पूरे समय उपस्थित रहे और अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। अंत में महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी अंजनी कुमार पांडेय ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होते हैं और महिलाओं के प्रति सम्मान एवं समानता की भावना को बढ़ावा देते हैं।

यह सात दिवसीय विशेष शिविर न केवल सामाजिक सेवा का माध्यम था, बल्कि यह स्वयंसेवकों के लिए भी सीखने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने का एक अवसर था। इस विशेष शिविर के माध्यम से स्वयंसेवकों को न केवल व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ, बल्कि उन्होंने सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की दिशा में भी एक प्रभावी भूमिका निभाई।

इस प्रकार, शिविर का छठवाँ दिन महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के संदेश को फैलाने में सफल रहा। इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि जब तक समाज में महिलाएँ सशक्त नहीं होंगी, तब तक संपूर्ण समाज का विकास संभव नहीं होगा।

 

 

 

 

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