झांसी में दावते इस्लामी इंडिया के फैजाने मदीना में एक महत्वपूर्ण धार्मिक एवं शैक्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान दावते इस्लामी इंडिया के अध्यक्ष मौलाना सिद्दीक मदनी ने मुख्य अतिथि मौलाना शफीक मदनी साहब का स्वागत किया। इस अवसर पर शहर की सुन्नी मस्जिदों के पेश इमाम, विभिन्न उलमा-ए-इकराम तथा नायाब शहर काजी हाफिज मुस्लिम साहब भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
इस प्रोग्राम के दौरान हाफिज कारी अकरम मदनी कुरैशी साहब ने तालीम और एजुकेशन पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस्लाम में शिक्षा को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है और इसे आत्मविकास एवं समाज की भलाई का एक प्रभावी साधन माना गया है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि दावते इस्लामी इंडिया के माध्यम से धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों ने बेहतरीन प्रगति की है।
मुख्य अतिथि मौलाना शफीक मदनी साहब ने बच्चों के भविष्य, उनकी तालीम और तबीयत को लेकर विशेष रूप से चर्चा की। उन्होंने देश और शहर में अमन और शांति बनाए रखने के लिए दुआ भी की। इस कार्यक्रम में 13 बच्चों को उनकी धार्मिक शिक्षा पूर्ण करने पर सम्मानित किया गया। उन्होंने हाफिज, कारी, और इमामत की शिक्षा पूरी कर ली थी, जिसके उपलक्ष्य में उनकी दस्तारबंदी की गई। साथ ही, उन्हें प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया।
यह कार्यक्रम शिक्षा और समाज सेवा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। मौलाना शफीक मदनी साहब ने इस बात पर जोर दिया कि ये बच्चे भविष्य में देश और दुनिया में इस्लाम की शिक्षाओं को फैलाने और समाज की भलाई के लिए काम करने में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि ये छात्र उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में कुरान का ज्ञान प्राप्त कर चुके हैं और आगे चलकर इस्लामिक शिक्षा को और अधिक व्यापक रूप से प्रसारित करेंगे।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य इस्लामिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना और बच्चों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाना था। मौलाना सिद्दीक मदनी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समाज में धार्मिक और नैतिक मूल्यों को मजबूत करने में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान ही एक ऐसा साधन है जो इंसान को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और इस्लाम में शिक्षा का विशेष महत्व है।
कार्यक्रम के अंत में मौलाना शफीक मदनी साहब ने सभी बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाएं और समाज को जागरूक करें। उन्होंने यह भी कहा कि दावते इस्लामी इंडिया आगे भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा ताकि अधिक से अधिक लोग धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त कर सकें।
इस अवसर पर मौजूद सभी विद्वानों और अतिथियों ने कार्यक्रम की सराहना की और इसे इस्लामी शिक्षा के प्रचार के लिए एक प्रेरणादायक पहल बताया। इस तरह के कार्यक्रम न केवल धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देते हैं बल्कि समाज में भाईचारे और शांति के संदेश को भी फैलाते हैं।
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इस कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन की तिलावत से हुई, जिसके बाद विभिन्न उलमा-ए-इकराम ने अपने विचार प्रस्तुत किए। हाफिज कारी अकरम मदनी कुरैशी साहब ने अपने भाषण में कहा कि शिक्षा केवल धार्मिक ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि हमें आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लाम ने हमेशा से ज्ञान प्राप्ति को बढ़ावा दिया है और हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को हर क्षेत्र में पारंगत करें।
मौलाना सिद्दीक मदनी ने इस अवसर पर कहा कि समाज में जागरूकता फैलाने और युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने कहा कि इस्लामी शिक्षण संस्थानों को आधुनिक तकनीकों से जोड़कर हमें बच्चों को बेहतरीन शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी सिखाना आवश्यक है ताकि बच्चे समाज में एक अच्छे नागरिक बन सकें।
मौलाना शफीक मदनी साहब ने इस अवसर पर उपस्थित सभी बच्चों और उनके माता-पिता को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करें और उन्हें अच्छे संस्कार दें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, बल्कि इसका उपयोग समाज की बेहतरी और इंसानियत की सेवा के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक शिक्षित समाज ही एक सशक्त और समृद्ध समाज होता है।
कार्यक्रम में बच्चों को सम्मानित करने के दौरान मौलाना सिद्दीक मदनी ने कहा कि यह बच्चे न केवल धार्मिक शिक्षा में आगे बढ़ेंगे, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम होंगे। उन्होंने इस्लामी शिक्षण संस्थानों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को एक ऐसे वातावरण में शिक्षा दें जहां वे नैतिक मूल्यों को आत्मसात कर सकें।
इस अवसर पर दावते इस्लामी इंडिया के अन्य गणमान्य सदस्य भी उपस्थित थे। सभी ने इस कार्यक्रम की सफलता पर खुशी व्यक्त की और इस तरह के आयोजनों को बढ़ावा देने की बात कही। मौलाना शफीक मदनी साहब ने अंत में सभी उपस्थित जनों का धन्यवाद किया और कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज को जोड़ने और आपसी भाईचारे को मजबूत करने में सहायक होते हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामी शिक्षा के प्रसार के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी इसे अपनाकर समाज में एक सकारात्मक भूमिका निभा सके।
अंत में, कार्यक्रम का समापन विशेष दुआओं के साथ किया गया, जिसमें देश और समाज की खुशहाली, अमन और तरक्की के लिए प्रार्थना की गई। सभी उपस्थित जनों ने इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग दिया और इसे इस्लामी शिक्षा के प्रचार में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह आयोजन धार्मिक शिक्षा को सुदृढ़ करने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हुआ।