बज़्मे हयात ए अदब ,काव्य गोष्ठी “मेरे दामन में तो फूलों के सिवा कुछ भी नहीं” में मौलाना मोहम्मद उमैर सिद्दीक़ी का सम्मान, किताब विमोचन और शायरी का जादू

Aanchalik Khabre
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बज़्मे हयात ए अदब

रविवार को काशाना ए हयात में आयोजित काव्य गोष्ठी में प्रसिद्ध शायरों ने अपनी ग़ज़लें पेश की, साथ ही मौलाना मोहम्मद उमैर सिद्दीक़ी को सम्मानित किया गया।

रविवार की देर शाम बज़्मे हयात ए अदब किठावां के तत्वावधान में मुफ़्ती अहमद उल्लाह नदवी की सदारत और क़ासिम हुनर सलोनी के निज़ामत में काशाना ए हयात में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका शीर्षक था- ‘मेरे दामन में तो फूलों के सिवा कुछ भी नहीं।’ मौलाना मोहम्मद उमैर सिद्दीक़ी नदवी के सम्मान में आयोजित इस गोष्ठी में उन्हें शालपोशी करके सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उनके द्वारा लिखी गई किताब “हिदायात ए रब्बानी” और ख़ुर्शीद अंबर प्रतापगढ़ी द्वारा संकलित ग़ज़लों के संग्रह “कुछ इरशाद हो जाए” का विमोचन भी हुआ।
काव्य गोष्ठी का आरंभ मौलाना मोहम्मद उमैर सिद्दीक़ी ने नात शरीफ़ पढ़कर की। उन्होंने शेर पढ़ा- रसूलों में रिसालत की सनद मानी नहीं जाती, अगर शान ए मोहम्मद पहले पहचानी नहीं जाती । उसके बाद ग़ज़ल के दौर का आग़ाज़ हुआ। ख़ुर्शीद अंबर प्रतापगढ़ी – इतना बेबाक न होता कभी लहजा तेरा, तुझको शायद मेरे बारे में पता कुछ भी नहीं। क़ासिम हुनर सलोनी- दिल पे ख़ुद अपने हुनर मारा है ख़ंजर मैंने, क्यों परेशां हो तुम्हारी तो ख़ता कुछ भी नहीं। डॉक्टर अनुज नागेंद्र- देखने में तो ये लगता है हुआ कुछ भी नहीं, जबकि होने को हुआ वो कि बचा कुछ भी नहीं। हाशिम उमर – सिर्फ़ धोखा ही दिया और दिया कुछ भी नहीं ,जाओ जाओ कि मुझे तुमसे गिला कुछ भी नहीं।नफ़ीस अख़्तर सलोनी- जल के हम राख हुए राहे वफ़ा में लेकिन, जो मुख़ालिफ़ हैं वो कहते हैं जला कुछ भी नहीं। शब्बीर हैदर- वो जो क़ानून का दुनिया में बनाते हैं मज़ाक़, उनकी इस दौर में क्यों जाने सज़ा कुछ भी नहीं। एजाज़ इदरीसी- देखते ही मुझे क्यों राह बदल देते हो,वाक़ई तुमको अगर मुझसे गिला कुछ भी नहीं। शान सलोनी- मैंने चाहा था जिसे वो न मिला शान मुझे,मेरे अफ़साने में किरदार नया कुछ भी नहीं । अम्मार सहर- इन तबीबों से कहो ख़ुद पे न इतराएं बहुत, न दुआएं हों जो शामिल तो दवा कुछ भी नहीं । तय्यार ज़फ़र- मुझको ये कहके गिरफ़्तार किया है उसने,आज के दौर में क्यों तेरी ख़ता कुछ भी नहीं। इसके अलावा आचार्य अनीस देहाती,डॉक्टर बच्चा बाबू वर्मा,आमिर क़मर,यासिर नज़र ने भी अपनी गज़लें प्रस्तुत कीं। इस मौक़े पर शाहबाज़ सलोनी,नौशाद अंसारी,रहमत अली, नसरुद्दीन,सेबू सलोनी,जावेद इदरीसी,नजम असग़र के अलावा काफ़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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