प्रयागराज का महाकुंभ! एक ऐसा पवित्र पर्व, जहां धरती और आकाश के बीच आस्था की लहरें बहती हैं। मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर लाखों-करोड़ों श्रद्धालु जब डुबकी लगाते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे पूरा ब्रह्मांड इस पवित्र जल में अपनी ऊर्जा को ताजा कर रहा हो। इसी अलौकिक माहौल में, शनिवार को संगम किनारे एक खास नज़ारा देखने को मिला—भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद महाकुंभ में पहुंचे और आस्था की डुबकी लगाई।
सुबह-सुबह प्रयागराज का आसमान हल्की ठंड में लिपटा हुआ था। गंगा के तट पर हलचल शुरू हो चुकी थी। श्रद्धालु घाटों पर स्नान कर रहे थे। मंत्रोच्चार की ध्वनि, घंटे-घड़ियाल की आवाज़, और चारों तरफ भक्ति की बयार बह रही थी। तभी अचानक माहौल में एक नई ऊर्जा दौड़ गई। हेलिकॉप्टर की गूंज ने सबका ध्यान खींचा। यह संकेत था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकुंभ मेले में आ चुके हैं!
प्रयागराज में पीएम मोदी का भव्य स्वागत
सुबह 10:30 बजे के आसपास प्रधानमंत्री मोदी का हेलिकॉप्टर नैनी स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल के मैदान में उतरा। यहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री **योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनका स्वागत किया। मोदी मुस्कुराते हुए हेलिकॉप्टर से बाहर निकले। भगवा रंग के वस्त्र, गले में रुद्राक्ष की माला, हाथ में भी एक माला, और सिर पर हिमाचली टोपी—प्रधानमंत्री का यह साधु-संतों सा रूप देखते ही बनता था।
अरैल घाट पर पहुंचते ही पीएम मोदी और सीएम योगी एक मोटर बोट में सवार होकर संगम की ओर बढ़े। नाव में दोनों नेताओं के बीच हल्की बातचीत चलती रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो खुद भी आध्यात्मिक जीवन के करीब रहे हैं, प्रधानमंत्री को महाकुंभ की विशेषताओं और व्यवस्थाओं के बारे में बताते रहे।
संगम तट पर भीड़ का उत्साह अपने चरम पर था। श्रद्धालु मोदी को देखने के लिए घाटों पर उमड़ पड़े। सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम थे, लेकिन माहौल में उमंग और भक्ति का भाव बना हुआ था।
संगम में आस्था की डुबकी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम किनारे पहुंचकर कुछ पल के लिए आंखें बंद कीं। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था के इस महान पर्व पर डुबकी लगाने का क्षण उनके लिए भी बेहद खास था। मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री ने अकेले ही पवित्र संगम में डुबकी लगाई।
माघ मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी का यह दिन पहले से ही धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है। गुप्त नवरात्रि भी चल रही थी, जो देवी आराधना के लिए विशेष समय होता है। इन सबके बीच प्रधानमंत्री का संगम स्नान और सूर्य को अर्घ्य देना एक अद्भुत दृश्य था।
डुबकी लगाने के बाद प्रधानमंत्री ने संगम किनारे करीब पांच मिनट तक सूर्य पूजा की। उन्होंने मंत्रोच्चार के बीच *सूर्य को अर्घ्य* दिया और गंगा माता की विधिवत पूजा-अर्चना की। पूरा माहौल पवित्रता और भक्ति से सराबोर हो गया।
साधु-संतों से मिलन और विशेष पूजा
संगम स्नान के बाद प्रधानमंत्री ने घाट पर मौजूद साधु-संतों से मुलाकात की। उन्होंने उनकी कुशलक्षेम पूछी और महाकुंभ में चल रहे धार्मिक अनुष्ठानों की जानकारी ली। साधु-संतों ने उन्हें आशीर्वाद दिया। प्रधानमंत्री ने *त्रिवेणी संगम* के इस अनोखे अवसर पर सभी साधु-संतों का सम्मान भी किया।
इस बीच, सीएम योगी ने प्रधानमंत्री को महाकुंभ मेले की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस बार मेले में 39 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। हर दिन लाखों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, और प्रशासन उनकी सुविधा के लिए 24×7 कार्यरत है।
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
प्रधानमंत्री के इस दौरे को लेकर सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए थे। *पैरामिलिट्री फोर्स* और *एसपीजी* के जवान पूरे मेला क्षेत्र में तैनात थे। हर कोने पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे। स्नान क्षेत्र में भी सुरक्षाकर्मी पूरी मुस्तैदी से तैनात थे, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो।
प्रधानमंत्री का यह दौरा मात्र 2 घंटे 30 मिनट का था, लेकिन इस दौरान उन्होंने प्रयागराज महाकुंभ की भव्यता को न सिर्फ महसूस किया, बल्कि देशभर के लोगों को इस महापर्व की महिमा का संदेश भी दिया।
महाकुंभ का दूसरा दौरा
दिलचस्प बात यह है कि 54 दिनों के अंदर प्रधानमंत्री मोदी का यह दूसरा दौरा था। इससे पहले 13 दिसंबर 2024 को वह प्रयागराज आए थे और करोड़ों रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास किया था। तब भी उन्होंने महाकुंभ मेले की तैयारियों की समीक्षा की थी।
प्रधानमंत्री का इस तरह लगातार महाकुंभ में आना न केवल उनकी धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं को कितना महत्व देते हैं।
कई प्रमुख हस्तियों का संगम स्नान
प्रधानमंत्री से पहले भी महाकुंभ में कई प्रमुख हस्तियां संगम में डुबकी लगा चुकी हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही महाकुंभ में पवित्र स्नान कर चुके हैं।
इसके अलावा, हाल ही में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक भी महाकुंभ पहुंचे थे। उन्होंने भी संगम में स्नान किया और भारतीय संस्कृति के इस अद्वितीय आयोजन की सराहना की।
महाकुंभ: सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं
महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है। यह भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और एकता का सबसे बड़ा उत्सव है। हर 12 साल में आने वाले इस पर्व में पूरी दुनिया के लोग शामिल होते हैं। महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान को मोक्ष की ओर पहला कदम माना जाता है।
महाकुंभ 2025 इसलिए भी खास है क्योंकि इस बार 144 साल बाद एक ऐसा विशेष योग बना है, जिसे बेहद शुभ और दुर्लभ माना जा रहा है। यही वजह है कि इस बार संगम में करोड़ों श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का इस महाकुंभ में आना न सिर्फ उनकी आस्था को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि देश के सबसे बड़े पर्व को राष्ट्रीय महत्व देने में वे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
वापसी से पहले मां गंगा का आशीर्वाद
संगम में स्नान और पूजा-अर्चना के बाद प्रधानमंत्री ने एक बार फिर मां गंगा की ओर देखा और हाथ जोड़कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे नाव के जरिए अरैल घाट लौटे। वहां से हेलिकॉप्टर में सवार होकर वे प्रयागराज हवाईअड्डे की ओर रवाना हो गए।
उनकी इस यात्रा ने पूरे देश में महाकुंभ की महिमा को एक नई पहचान दी है। यह दौरा भले ही कुछ घंटों का था, लेकिन इसकी गूंज देशभर में लंबे समय तक सुनाई देगी।
तो अगर आपने अब तक महाकुंभ में डुबकी नहीं लगाई है, तो यह सही वक्त है! मां गंगा की पवित्र धारा आपको बुला रही है। संगम की ओर चलिए और इस अलौकिक अनुभव का हिस्सा बनिए।