मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास:
भगवान श्रीराम ने सीता के कहने पर की थी मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज की स्थापना, भक्तों की पूरी होती है मुराद।
स्थान:
भारत में कई मनकामेश्वर मंदिर हैं, पर प्रमुख रूप से काशी (वाराणसी) का मनकामेश्वर मंदिर प्रसिद्ध है, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है। इसके अलावा उत्तराखंड (हरिद्वार, ऋषिकेश), लखनऊ, उज्जैन और मथुरा में भी मनकामेश्वर मंदिर स्थित हैं। यहाँ मुख्य रूप से काशी के मंदिर का इतिहास बताया जा रहा है।
नाम का अर्थ:
‘मनकामेश्वर’ शब्द दो भागों से बना है – मनका (इच्छा) और ईश्वर (भगवान)। इस प्रकार मनकामेश्वर का अर्थ है – इच्छाओं को पूर्ण करने वाले भगवान शंकर। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य पूरी होती है।
पौराणिक मान्यता:
- त्रेता युग की कथा: कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम माता सीता को वनवास के बाद अयोध्या वापस लेकर आए, तब उन्होंने काशी में भगवान शिव की पूजा करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने मनोकामना की पूर्ति हेतु इस स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया। तभी से यह ‘मनकामेश्वर’ कहलाया।
- एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहाँ तप किया था, जिसके बाद उनकी मनोकामना पूर्ण हुई थी।
इतिहास और स्थापत्य:
- इस मंदिर का प्राचीन काल से अस्तित्व माना जाता है। कालांतर में मुगल आक्रमणों के दौरान इस मंदिर को क्षति पहुँची, परंतु स्थानीय श्रद्धालुओं ने इसे पुनः स्थापित किया।
- मंदिर का वर्तमान ढांचा 18वीं शताब्दी में मराठा शासनकाल के दौरान पुनर्निर्मित हुआ था। इसमें नागर शैली की वास्तुकला झलकती है और शिवलिंग काले पत्थर का बना हुआ है।
- मंदिर में सावन मास में विशेष पूजा, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का आयोजन होता है।
हाफ पैंट, मिनी स्कर्ट और स्लीवलेस पर रोक:
हाफ पैंट, मिनी स्कर्ट और स्लीवलेस पहनने पर नहीं मिलेगी एंट्री, मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज के इस प्रसिद्ध मंदिर में लागू हुआ मनकामेश्वर मंदिर ड्रेस कोड, जानें वजह!
ड्रेस कोड का नियम:
संगम नगरी प्रयागराज में यमुना के तट पर स्थित प्राचीन और पौराणिक मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज में भक्तों से पूरे कपड़े पहनकर आने का अनुरोध किया गया है। हाफ पैंट, मिनी स्कर्ट और मंदिर में स्लीवलेस कपड़ों पर रोक लगाई गई है। इस पहल को लोगों ने सराहा है और अब अधिकांश भक्त पूरे कपड़े पहनकर ही आते हैं।
त्रेतायुग में भगवान राम और मनकामेश्वर मंदिर:
त्रेतायुग में भगवान राम को जब वनवास हुआ तो वह लक्ष्मण और सीता के साथ वनवास को निकले। रास्ते में प्रयागराज में अक्षयवट के नीचे उन्होंने विश्राम भी किया था। इसके पहले उन्होंने मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज में साधना और जलाभिषेक भी किया था।
श्रद्धालुओं की आस्था और मान्यता:
उन्होंने भगवान शिव से मार्ग में आने वाले बाधाओं से मुक्ति पाने की कामना भी की थी। यही कारण है कि आज भी यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में भगवान शिव का दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के दिन व सावन मास में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
महाकाल मंदिर की तरह ड्रेस कोड:
उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह ड्रेस कोड अब संगम नगरी प्रयागराज में यमुना के तट पर स्थित प्राचीन और पौराणिक मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज में भी ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। मंदिर में महिलाओं और युवतियों के छोटे और भड़कीले कपड़े पहनकर आने पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके साथ ही साथ पुरुषों को भी शालीन कपड़े पहन कर मंदिर में आने का निर्देश जारी किया गया है।
सावन में मंदिर ड्रेस कोड और रुद्राभिषेक:
इसके अलावा, 11 जुलाई से शुरू हुआ सावन मास में रुद्राभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी रुद्राभिषेक के लिए मंदिरों में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। श्रद्धालु भारतीय परिधान में ही मंदिर में रुद्राभिषेक कर सकेंगे। महिलाएं मंदिर में क्या पहनें इस पर भी गाइडलाइन जारी की गई है। महिलाएं साड़ी सलवार पहनकर मंदिर में आएंगी और पुरुष धोती-कुर्ता पहनकर ही रुद्राभिषेक करेंगे।
ड्रेस कोड लागू करने का उद्देश्य:
संगम नगरी प्रयागराज में यमुना के तट पर स्थित कामेश्वर तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज में श्रद्धालु भारतीय परिधान में ही अब रुद्राभिषेक कर सकेंगे। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि लोग भारतीय परिधान पहनकर शालीनता के साथ मंदिर में प्रवेश करें. इससे पूजा-अर्चना के दौरान मन का भटकाव ना हो और श्रद्धालुओं को पूजा का पुण्य प्राप्त हो सके|
महंत श्री धरानंद जी महाराज की अपील:
मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज के महंत ब्रह्मचारी श्री धरानंद जी महाराज के मुताबिक ऐसा देखा जा रहा था कि मंदिर में महिलाएं और युवतियां मनचाहे कपड़े पहन कर पूजा के लिए मंदिर आ रही थीं। इससे लोगों का जहां एक ओर ध्यान भंग होता है, वहीं पूजा भी बाधित होती है। उनके मुताबिक इन्हीं छोटे कपड़ों की वजह से आज समाज में लव जिहाद की भी घटनाएं बढ़ रही हैं. इसलिए इस प्रवृति पर रोक लगाना बेहद जरूरी हो गया था|
सुरक्षा और नियमावली:
उनके मुताबिक सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि के पर्व पर मंदिर में भारी भीड़ होती है। इसलिए भी यह गाइडलाइन जारी की गई है कि महिलाएं सोने चांदी के ज्यादा आभूषण पहनकर मंदिर में ना आएं। क्योंकि इससे छिनैती का भी खतरा रहता है। साथ ही लोगों से अपील की गई है कि शिवलिंग की पूजा विधि के बाद शिवलिंग के पास अधिक देर तक ना बैठें और पूजन के बाद तत्काल गर्भगृह से बाहर निकलें।
मंदिर में फोटो खींचना मना क्यों है:
मंदिर प्रशासन की ओर से जारी की गई गाइडलाइन में मंदिर परिसर में भी सेल्फी लेने और फोटो खींचने पर भी पाबंदी लगाई गई है. मंदिर के महंत ब्रह्मचारी श्री धरानंद जी महाराज के मुताबिक मंदिर की ओर से श्रद्धालुओं को निशुल्क धोती उपलब्ध कराई जाएगी जो रुद्राभिषेक के बाद उन्हें मंदिर प्रशासन को वापस करनी होगी |
ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर और अन्य मान्यताएं:
वहीं मनकामेश्वर मंदिर में ड्रेस कोड लागू किए जाने के फैसले का यहां आने वाले श्रद्धालु भी स्वागत कर रहे हैं. महिला और पुरुष दोनों श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रशासन के इस फैसले को सही ठहराया है. लोगों का भी यह कहना है कि मंदिर पूजा अर्चना की जगह है ना कि घूमने फिरने की जगह है. इसलिए यहां पर शालीन कपड़ों में ही आना चाहिए. इसके लिए महिलाओं के लिए जो भारतीय परिधान साड़ी और सलवार सूट है उसे पहन कर आना चाहिए. जबकि पुरुष भी पूरी तरह से शालीन कपड़ों में मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं| गौरतलब है, मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज के बारे में मान्यता है कि सतयुग में यहां पर शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हुए। मंदिर परिसर में ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर भी विराजमान हैं। यहां सच्चे हृदय से 51 दिनों तक दर्शन-पूजन से पितृ, आर्थिक सहित हर तरह के ऋण से मुक्ति मिलती है|
FAQ (Frequently Asked Questions):
Q1: मनकामेश्वर मंदिर में कौन-कौन से कपड़े वर्जित हैं?
Ans: मंदिर में मिनी स्कर्ट, स्लीवलेस टॉप, हाफ पैंट जैसे कपड़े वर्जित हैं। श्रद्धालुओं को शालीन भारतीय परिधान पहनने की सलाह दी गई है।
Q2: क्या पुरुषों के लिए भी ड्रेस कोड है?
Ans: हाँ, पुरुषों को धोती-कुर्ता या अन्य पारंपरिक परिधान पहनने की सलाह दी गई है।
Q3: ड्रेस कोड लागू करने का उद्देश्य क्या है?
Ans: धार्मिक मर्यादा बनाए रखना, पूजा में मन की एकाग्रता, और सामाजिक शालीनता को बढ़ावा देना।
Q4: मनकामेश्वर मंदिर का क्या पौराणिक महत्व है?
Ans: मान्यता है कि भगवान राम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। यह मंदिर मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है।
Q5: क्या मंदिर में मोबाइल से फोटो खींचना मना है?
Ans: हाँ, मंदिर परिसर में फोटोग्राफी और सेल्फी लेने की अनुमति नहीं है।