मेरठ: सरधना के सलावा गांव में साम्प्रदायिक तनाव, झड़प में नौ घायल, भारी पुलिस बल तैनात

Aanchalik Khabre
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सलावा गांव

मेरठ के सरधना क्षेत्र के सलावा गांव में मछली पकड़ने को लेकर दो समुदायों के बीच मंगलवार देर रात हिंसक झड़प हो गई। विवाद इतना बढ़ा कि धारदार हथियारों से हमला किया गया, जिसमें नौ लोग घायल हो गए। आठ लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। घटना के बाद से गांव में तनाव फैला हुआ है, जिसके चलते भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।


विवाद कैसे बढ़ा?

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, मछली पकड़ने को लेकर दोनों समुदायों के बीच कहासुनी हुई, जो देखते-देखते हिंसक झड़प में बदल गई। राजपूत समाज के लोग घायल हुए हैं। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि विवाद की शुरुआत केवल कहासुनी से हुई थी, लेकिन बाद में भीड़ ने उनके घरों पर पथराव किया और महिलाओं के साथ अभद्रता की।


प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए एसपी देहात राकेश मिश्रा और एसडीएम उदित नारायण सिंह मौके पर मौजूद हैं। प्रशासन ने गांव में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है।

  • पुलिस ने आठ आरोपितों की गिरफ्तारी का दावा किया है।

  • मुस्लिम पक्ष के घरों में फिलहाल केवल महिलाएं और बच्चे रह गए हैं।

  • गांव में शांति बहाल करने के लिए पुलिस लगातार गश्त कर रही है।


दोनों पक्षों के आरोप

  • राजपूत समाज का आरोप है कि मुस्लिम समुदाय ने तालाब की जमीन पर अवैध कब्जा कर मकान बना रखे हैं और गांव में बने मदरसे की जांच की भी मांग की गई है।

  • मुस्लिम समुदाय का कहना है कि मामला मछली पकड़ने के विवाद से शुरू हुआ और बाद में उनके घरों पर हमला किया गया।


डीएम और एसएसपी की अपील

घटना की गंभीरता को देखते हुए डीएम डॉ. वी.के. सिंह और एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा भी मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की।


आगे की स्थिति

ग्रामीणों के अनुसार, पूर्व विधायक संगीत सोम भी शाम पांच बजे गांव का दौरा करेंगे। प्रशासन हालात पर करीबी नजर बनाए हुए है।


विश्लेषण: गांवों में छोटे विवाद कैसे बनते हैं बड़े तनाव का कारण

सलावा गांव की घटना यह दिखाती है कि किस तरह छोटी-छोटी कहासुनी समय रहते न सुलझने पर साम्प्रदायिक तनाव में बदल सकती है। प्रशासन और स्थानीय नेतृत्व को चाहिए कि ऐसी परिस्थितियों में

  • तत्काल मध्यस्थता और संवाद स्थापित करें,

  • अफवाहों पर नियंत्रण के लिए फैक्ट चेक और जागरूकता अभियान चलाएं,

  • और समुदायों के बीच विश्वास बहाली कार्यक्रम शुरू करें।

इन कदमों से भविष्य में ऐसी घटनाओं को कम किया जा सकता है।

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