झाबुआ मध्य प्रदेश में नेहरू युवा केंद्र द्वारा मिलेट मेले का हुआ आयोजन

Aanchalik Khabre
4 Min Read
WhatsApp Image 2023 06 13 at 62049 PM 1

राजेंद्र राठौर
झाबुआ 13 जून, 2023। नेहरू युवा केंद्र झाबुआ के तत्वाधान एवं जिला युवा अधिकारी प्रीति पंघाल के निर्देशानुसार ग्राम पंचायत बनी में मिलेट मेला का आयोजन किया गया।
मेले का शुभारंभ मां सरस्वती के तस्वीर पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि कृषि अधिकारी गोपाल मुलेवा, जन अभियान परिषद के ब्लॉक समन्वयक प्रवीण पंवार, महिला बाल विकास सुपरवाइजर धर्मा सारेल, पंचायत सरपंच प्रतिनिधि कालूसिंह मचार, सचिव देवीलाल भाभर, शिक्षक अनिल वाखला, सोसायटी मैनेजर महेंद्रसिंह राठौर उपस्थित रहे।
युवा मंडल से नितिका और विनीता मेघसिंह पचाया द्वारा भीली भाषा में गीत के माध्यम से लोगो संदेश दिया गया। मेले में महिला समूह द्वारा बाजरे के आटे की रोटी, बाजरे की खिचड़ी, बाजरे का मीठा सत्तू आदि व्यंजन बना कर प्रदशनी लगाई गई एवं साथ ही मेले में रागी, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, जौ, सोयाबीन, चना आदि मोटे अनाजों की प्रदर्शनी लगाई गई।
राष्ट्रीय युवा स्वयंसेविका दीपिका गवली द्वारा बताया गया कि मिशन लाइफ के अन्तर्गत मिलेट मेला आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य मोटे अनाज के प्रयोग के प्रति ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाना है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 घोषित किया गया। मिलेट मेला के जरिए बाजरा से बने भोजन को बढ़ावा दिया जा रहा है। मैदा से बने भोजन लोगों की पाचन शक्ति को कमजोर करते हैं। इससे बहुत नुकसान होता है। इसीलिए मक्का, बाजरा, जौ से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए।

WhatsApp Image 2023 06 13 at 62050 PM

कृषि अधिकारी गोपाल मुलेवा द्वारा बताया गया कि बाजरा के उत्पादन और खपत को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने अप्रैल, 2018 में बाजरा को पोषक-अनाज के रूप में अधिसूचित किया, जिसमें पुनर्वा बाजरा,ज्वार, रागी,सांवा या सनवा बाजरा, कोदो बाजरा, छोटी कंगनी/हरी कंगनी बाजरा, कंगनी बाजरा, अनाज को शामिल किया गया। मोटा अनाज कम पानी और कम खर्चे में उगता मोटे अनाज की फसल को उगाने के फायदा यह है कि इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। यह पानी की कमी होने पर खराब भी नहीं होती है और ज्यादा बारिश होने पर भी इसे ज्यादा नुकसान नहीं होता है। मोटा अनाज की फसल खराब होने की स्थिति में भी पशुओं के चारे के काम आ सकती हैं। बाजरा और ज्वार जैसी फसलें बहुत कम मेहनत में तैयार हो जाती है।
जन अभियान परिषद् के ब्लॉक समन्वयक प्रवीण पंवार द्वारा बताया गया की साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है। मोटे अनाज के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है, ताकि इसे अपनी डाइट में जोड़कर सेहत को बेहतर बनाया जा सके। गेंहू-चावल के मुकाबले मोटा अनाज उगाना और खाना दोनों ही ज्यादा सुविधाजनक है। इसके साथ ही मोटे अनाज वाली फसलों में रसायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग करने की जरूत भी नहीं होती है। इसी के साथ ही इन फसलों के अवशेष पशुओं के चारे के काम आते हैं इसलिए इनको धान की पराली की तरह जलाना नहीं पड़ता
महिला बाल विकास विभाग से सुपरवाइजर धर्मा सारेल द्वारा बताया गया की ग्रामीणों को दैनिक जीवन में मोटे अनाज को शामिल करना चाहिए,ताकि उन्हें कुपोषण का सामना न करना पड़े। कार्यक्रम का आभार युवा मंडल अध्यक्ष अनसिंह अरङ द्वारा किया गया।
बनी युवा मंडल हरिओम शर्मा,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कमला डिंडोर, बसंती भुरिया, सूरज,निशा परमार और युवा मंडल सदस्य लोकेंद्र निनामा, राहुल मचार आदि के सहयोग से कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।

Share This Article
Leave a Comment