Mohanlal Sukhadia University : इस समारोह में आप सबके बीच आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूँ। मैं आज गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को विशेष बधाई देता हूँ। आज का दिन सिर्फ डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि उनके शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी विशेष दिन है। मैं सभी शिक्षकों और अभिभावकों का आभार व्यक्त करता हूँ जिनके सहयोग और प्रोत्साहन से विद्यार्थी इस मुकाम पर पहुँचे हैं। मैंने देखा है कि हमारे विद्यार्थी सभी क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। मुझे पता चला है कि आज मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है। यह बहुत खुशी की बात है। मैं मेडल जीतने वाले सभी विद्यार्थियों को विशेष बधाई देता हूँ।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि यह तेजी से बदलाव का समय है, जो ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी हो रहा है। उन्होंने छात्रों को हमेशा “छात्र की भावना” बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि निरंतर कड़ी मेहनत और समर्पण जीवन भर उनके काम आएगा। राष्ट्रपति ने छात्रों को अपनी महत्वाकांक्षाओं और सामाजिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता एक स्वाभाविक गुण है। कुछ लोग परिवेश, शिक्षा और मूल्यों में व्याप्त बुराइयों से अंधे स्वार्थ का रास्ता अपना लेते हैं। उन्होंने कहा कि दूसरों का भला करने से ही अपना कल्याण किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से ऐसा कोई काम न करने का आग्रह किया जिससे उनके चरित्र पर धब्बा लगे। उन्होंने कहा कि उच्चतम नैतिक मूल्यों को उनके आचरण और कार्यशैली का हिस्सा होना चाहिए। उनके जीवन के हर पहलू में ईमानदारी होनी चाहिए। उनका हर कार्य न्यायपूर्ण और नैतिक होना चाहिए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा सशक्तिकरण का सबसे अच्छा माध्यम है। उन्होंने यह जानकर खुशी जताई कि Mohanlal Sukhadia University छह दशकों से अधिक समय से उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। इस विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों से विद्यार्थियों की बड़ी संख्या हैं। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा के माध्यम से सामाजिक न्याय की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण योगदान है।राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने कई गांवों को गोद लिया है और छात्रों को गांव के विकास में शामिल किया है। राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति सजग रवैये की सराहना की।
प्रेसिडेंट ने Mohanlal Sukhadia University के स्टूडेंट्स से कहा भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में आप सहयोग करे
आपको 21वीं सदी की दुनिया में अपना स्थान बनाना है। यह तेजी से बदलाव का समय है। यह बदलाव ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी तेजी से हो रहा है। इस बदलते परिवेश में अपनी शिक्षा की उपयोगिता बनाए रखने के लिए आपको निरंतर एक विद्यार्थी की मानसिकता यानी “विद्यार्थी की भावना” को बनाए रखना होगा। अब तक आपने जो शिक्षा प्राप्त की है, वह जीवन की यात्रा के लिए प्रस्थान बिंदु है। अब आपको अपने निरंतर परिश्रम और लगन के आधार पर जीवन यात्रा का पूरा रास्ता तय करना है। स्वाध्याय में लापरवाही न करने यानी पढ़ाई में आलस्य न करने की सीख सिर्फ विद्यार्थी जीवन में ही नहीं, बल्कि जीवन भर आपके साथ रहती है।
आपको व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और सामाजिक संवेदनशीलता दोनों का समन्वय करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। वास्तव में दोनों के बीच एक स्वाभाविक संतुलन है। संवेदनशीलता एक स्वाभाविक गुण है। वातावरण, शिक्षा और संस्कृति के कारण कुछ लोग स्वार्थ का रास्ता अपना लेते हैं। लेकिन सभी के कल्याण को प्राथमिकता देने का विचार आपकी प्रतिभा को और अधिक विकसित करेगा। कल्याण करने में स्वयं का कल्याण सहज ही हो जाता है। हमने वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखा है। आपकी पीढ़ी के योगदान के आधार पर ही इस राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करना संभव होगा। मुझे उम्मीद है कि आप अपनी क्षमता के अनुसार राष्ट्र निर्माण और देश निर्माण में अपना अधिकतम योगदान देंगे।
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