एस.ज़ेड. मलिक(पत्रकार)
पटना – कहा जाता है कि माता – पिता के बाद शिक्षक – गुरु, का ही बच्चों पर अधिकार होता है – जिसने गुरु – शिक्षक का आदर किया उसका जीवन सफल हुआ उसे कभी किसी का मोहताज नही होना पड़ता है यानी माता-पिता की दुआ के बराबर होता है गुरु – शिक्षक का आशीर्वाद परन्तु यह 70 के दशक के पहले की मान्यता थी आज भी है परंतु पहले की तुलना में कम हो गया है। जबकि 70 के दशक के पहले शिक्षित कम और और माता-पिता घरेलू शिक्षा के कारण बच्चों में संस्कार – सभ्यता अधिक थी, परन्तु 70 से 80 के दशक की तुलना में आज शिक्षित लोगों की संख्या अधिक है बावजूद इसके लोगों में सभ्यता संस्कार कम है, क्यूँ कि माता – पिता दोनो ही रुपया कमाने के चक्कर मे बच्चों को दूसरों के हवाले लालन पालन के लिये छोड़ दीते है – जिन बच्चों की परवरिश, पड़ोसी, या नौकर-चाकर करेंगे वे जब जवान होंगे तो आप उनसे क्या अपेक्षा कर सकते हैं? ज़रा सोंचिये ?
इसी संदर्भ में जहानाबाद के पूर्व सांसद सह रासपा (से) संरक्षक डॉ अरुण कुमार जी के नेतृत्व में पटना के विद्यापति भवन में शिक्षकों के हो रहे तिरस्कार और बढ़ते अपराध के खिलाफ परिचर्चा का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का मूल मक़सद शिक्षकों के साथ हो रहे अनैतिक व्यवहार के खिलाफ आवाज़ उठाना एवं सम्पूर्ण बिहार के शिक्षकों को एकजुट कर अपनी हक़ की लड़ाई लड़ना है।
डॉ अरुण ने उपस्थित शिक्षकों एवं बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए कहा की नीतीश कुमार की सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने का काम किया है। इस सरकार ने शिक्षकों को तिरस्कार कर उन्हें अपमानित किया है। शिक्षक बिहार के शिक्षा व्यवस्था का एक हिस्सा है जिन्हें अपमानित कर सरकार अपनी नाकामी को छुपाने का काम करती है।उन्होंने कहा कि बिहार में 2 लाख शिक्षक के पद खाली है फिर भी सरकार सो रही है। प्रतिवर्ष शिक्षा के बजट में वृद्धि कर रही बिहार सरकार तो आखिर पैसा जा कहाँ रहा है। दूसरे प्रदेशों के मुकाबले बिहार में शिक्षकों का वेतन स्तर भी कम है।
के•जे•राव पूर्व मुख सलाहकार चुनाव आयोग भारत सरकार सह निरक्षक बिहार विधान सभा चुनाव 2005 ने अपने संबोधन में कहा की बिहार हर माइनो में समृद्धि है। यहाँ साधनों की कमी नहीं है बस ज़रूरत है तो उन संसाधनों को सही तरह प्रयोग कर बिहार को विकसित करने की। इन सभी कार्यो के लिए एक ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है जो बिहार का नवनिर्माण करे।
सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता सह राष्ट्रीय अध्यक्ष युवा रासपा (से) ऋतुराज कुमार ने कहां की शिक्षकों के तिरस्कार को रोकने के लिए पहले खुद में सुधार की ज़रूरत है। हम शिक्षक लफ्ज़ का मायना भूलते जा रहे हैं। पहले शिक्षक ही हर कुव्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाते थे और उससे बदलाव आता था समाज में पर आज वो खुद चुप है जो के समाज के लिए एक गलत संदेश है। बिहार को दोबारा विकास के राह पर लेजाने के लिए दोबारा शिक्षकों को जागना होगा।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में पूर्व मंत्री बिहार सरकार नरेंद्र सिंह, पूर्व सांसद रेणु कुशवाहा,मनोज कुमार गुड्डू राष्ट्रीय महासचिव युवा रासपा (से), मुज़्ज़म्मिल ईमाम प्रदेश अध्यक्ष युवा रासपा (से) बिहार,अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अध्यक्ष नूर हसन आज़ाद,प्रिंस सिंह छात्र अध्यक्ष रासपा (से), अविनाश कुमार समाज सेवी,मुश्कें अम्बर इत्यादि उपस्थित थे।