प्रखंड क्षेत्र के कुशहा (मचहा) जाने वाली मुख्य मार्ग स्थित चिलौनी नदी पर पुल के अभाव में बांस की चचरी पर जान जोखिम में डाल कर बच्चे विद्यालय जाने को मजबूर हैं। नदी पार स्थित उच्च विद्यालय,ललित नारायण प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय में उक्त गांव के छात्रों के अलावा मधेपुरा जिले के दर्जनों गांवों के बच्चे भी नदी पर बने चचरी पार कर पढ़ने पहुंचते हैं।अभिभावक अपने दिल पर पत्थर रखकर बच्चों को स्कूल भेजते हैं। स्कूल से बच्चे जब तक घर नहीं पहुंच जाते, अनहोनी की आशंका से ग्रामीण भयभीत रहते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि छोटे-छोटे बच्चों को प्रतिदिन चचरी पार करना पड़ता है। इस कारण गांव के दर्जनों लोग अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेजते।ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बच्चों के शिक्षा के अलावा कृषि कार्य में काफी परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि खाद, बीज के साथ-साथ उत्पादित अनाजों को काफी कम कीमतों में बेचना पड़ता है।स्थानीय प्रशासन ने कई बार डायवर्शन बनाकर दर्द को लोगों के दर्द को कम करने का भरसक प्रयास किया.लेकिन निर्माण कम्पनी के लापरवाही व पानी के तेज धारा में डायवर्शन बह गया.लेकिन इन दिनों ग्रामीणों के चंदे से चचरी बनाकर आवागमन को मजबूर हैं.जो कि कभी किसी बड़ी दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा हैं। जिसे देख किसान सहमे हुए हैं.किसानों के मुताबिक पसीने बहाकर फसल की पैदावार करते हैं।लेकिन ज्यादा समय तक इसे भंडारण कर रखा नही जा सकता हैं.पुल नही होने से बाजार की समस्या सामने आ गई हैं.
ग्यारह बर्ष के बाद भी ध्वस्त पुल का नही हो सका निर्माण,चचरी छतिग्रस्त-आँचलिक ख़बरें-प्रशांत कुमार
