शाहजहांपुर-विद्यालय में आवारा, छुट्टा पशुओं का कब्जा, नन्हे-मुन्ने बाहर बैठने को मजबूर-आंचलिक ख़बरें-राहुल सिंह

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बंडा/शाहजहांपुर। एक ओर सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है। बच्चों की स्कूल ड्रेस से लेकर मध्याह्न भोजन तक उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन बच्चों की पढ़ाई के लिए बनाये गये तमाम भवन या तो जर्जर हो या फिर इन पर अवैध कब्जे हैं। कहीं पर तो आवारा पशुओं ने अपना कब्जा जमा रखा है। सबकुछ जानते हुए भी शिक्षा विभाग के अधिकारी कुम्भकर्णी नींद में सोते हुए बच्चों के भविष्य को बर्बाद होते देख रहे हैं।
बताते चलें कि ब्लाक बंडा के ग्राम में स्थित प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मणपुर गौटिया में आवारा पशुओं ने अपना अड्डा बना लिया है। बच्चों व अपनी जिंदगी को दांव पर लगा कर शिक्षक बच्चों को जानवरों से बचाते हुए पढ़ाने को मजबूर हैं। यही नहीं दबंगों ने स्कूल में अवैध कब्जा भी जमा रखा है। यदि कोई शिक्षक इसका विरोध करता है तो उसे इनके आक्रोश का सामना करना पड़ता है। विभाग द्वारा अब तक विद्यालय की वाउण्ड्री लाल भी नहीं बनवाई गई है। सवाल यह उठता है यदि कोई विभागीय अधिकारी इन स्कूलों का निरीक्षण करता होता तो अवैध कब्जे की नौबत ही नहीं आती। स्कूल की ऐसी दयनीय दशा से यह साफ साबित होता है। कि शायद ही कोई अधिकारी लम्बे समय से स्कूल के निरीक्षण के लिए पहुंचा हो। विद्यालय में तैनात शिक्षक ने बताया स्कूल में 109 छात्र- छात्राएं हैं। अवैध कब्जा हटाने व वाउण्ड्री वाल के लिए कई बार कहा गया। लेकिन कोई सुनता ही नहीं है।एनपीआरसी मुन्ना लाल ने बताया की यह समस्या काफी समय से चल रही है प्रधान जी से भी बाउंड्री वॉल के लिए कहा लेकिन ग्राम प्रधान भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे जब तक बाउंड्री वाल नहीं हो पाएगी तब तक आवारा सांड को रोकना बहुत ही मुश्किल है।
शिक्षा के मंदिर में लगे हैं कई जगह कूड़े के ढेर
हमारे देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ खुद झाड़ू लेकर सफाई करने का संदेश देते हैं वही गांव में तैनात सफाई कर्मचारी इसकी धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं जैसा कि आप तस्वीरों में देख सकते हैं शिक्षा के मंदिर यानी प्राथमिक पाठशाला में जगह-जगह लगे हैं कूड़े के ढेर।
फिलहाल इस पाठशाला की दयनीय दशा है एक तो छुट्टा आवारा जानवरों का आतंक और कब्जा है वही नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ क्या शासन प्रशासन किसी के हादसे का इंतजार कर रहा है। अगर नहीं तो कार्रवाई क्यों नहीं? फिलहाल यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा की आखिर विद्यालय के प्रति शासन प्रशासन क्या एक्शन लेता है?

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