महिलाओं के शरीर में मासिक धर्म (पीरियड्स) एक सामान्य और आवश्यक जैविक प्रक्रिया है, जो उनके प्रजनन स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण संकेतक होती है। सामान्यतः एक स्त्री को हर 28 से 35 दिन में पीरियड आता है। लेकिन कई बार यह चक्र अनियमित हो जाता है या बिल्कुल भी नहीं आता, जिसे मेडिकल भाषा में एमेनोरिया (Amenorrhea) कहा जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे पीरियड न आने के कारण, इसके संभावित दुष्प्रभाव, और इसका निदान।
पीरियड न आने के कारण – एक परिचय
“पीरियड न आने के कारण” महिलाओं की एक आम लेकिन चिंताजनक समस्या है। यह समस्या किशोरियों से लेकर युवतियों और वयस्क महिलाओं तक किसी भी आयु वर्ग में हो सकती है। जब नियमित रूप से मासिक धर्म न हो, तो यह न केवल गर्भावस्था का संकेत हो सकता है बल्कि कई बार यह हार्मोनल असंतुलन, तनाव, जीवनशैली या किसी गहरे रोग का लक्षण भी होता है।
प्राथमिक कारण – पीरियड न आने के कारण
- गर्भावस्था
महिलाओं में पीरियड न आने के सबसे सामान्य कारणों में से एक गर्भावस्था है। अगर महिला यौन संबंध बना चुकी हो और पीरियड समय पर न आए, तो सबसे पहले प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाना चाहिए।
- हार्मोनल असंतुलन
थायरॉइड, प्रोलैक्टिन या पिट्यूटरी ग्रंथि से संबंधित हार्मोन असंतुलन भी पीरियड न आने के कारण हो सकते हैं। इससे पीरियड्स का चक्र पूरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
- पीसीओएस (PCOS) – पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
आजकल किशोरियों और युवतियों में पीसीओएस एक प्रमुख कारण बन चुका है। इसमें अंडाशय में सिस्ट्स बन जाते हैं और अंडोत्सर्जन प्रभावित होता है। यह स्थिति लंबे समय तक पीरियड न आने के प्रमुख कारणों में गिनी जाती है।
- तनाव और मानसिक दबाव
अत्यधिक मानसिक तनाव, डिप्रेशन या चिंता भी पीरियड न आने के कारण हो सकते हैं। तनाव सीधे हाइपोथैलेमस पर प्रभाव डालता है जो मासिक धर्म को नियंत्रित करता है।
- वजन में अत्यधिक कमी या वृद्धि
बहुत कम वजन (जैसे एनोरक्सिया या अत्यधिक डायटिंग) या बहुत अधिक मोटापा भी हार्मोनल संतुलन बिगाड़ सकता है, जिससे पीरियड्स बंद हो सकते हैं।
- अत्यधिक शारीरिक श्रम या व्यायाम
एथलीट महिलाओं या अधिक व्यायाम करने वाली युवतियों में यह सामान्य समस्या होती है। शरीर अत्यधिक श्रम के चलते प्रजनन हार्मोन को दबा देता है जिससे पीरियड नहीं आते।
- दवाइयों का प्रभाव
कुछ दवाइयाँ जैसे एंटी-डिप्रेसेंट्स, कीमोथैरेपी, गर्भनिरोधक गोलियाँ या स्टेरॉइड्स का प्रभाव भी पीरियड न आने के कारण बन सकता है।
- स्तनपान (Breastfeeding)
नवजात शिशु को स्तनपान कराने वाली महिलाओं में प्रोलेक्टिन हार्मोन अधिक बनता है, जो ओव्यूलेशन को रोकता है और इससे मासिक धर्म रुक सकता है।
- रजोनिवृत्ति (Menopause)
महिलाओं में 45–55 की उम्र के आसपास प्राकृतिक रूप से पीरियड्स बंद हो जाते हैं। लेकिन समय से पहले रजोनिवृत्ति भी एक कारण हो सकती है जिसे प्राथमिक रजोनिवृत्ति कहा जाता है।
पीरियड न आने के कारण से होने वाले दुष्प्रभाव
“पीरियड न आने के कारण” केवल एक लक्षण नहीं, बल्कि यह आगे चलकर कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं को जन्म दे सकता है:
- बांझपन: यदि कारण पीसीओएस या हार्मोनल गड़बड़ी है, तो यह महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
- हड्डियों की कमजोरी: एस्ट्रोजन की कमी से हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं।
- मूड स्विंग्स और डिप्रेशन: हार्मोनल असंतुलन मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
- त्वचा और बालों की समस्याएं: मुंहासे, बालों का झड़ना और त्वचा की रूखापन आम है।
- ओस्टियोपोरोसिस: लंबे समय तक पीरियड न आने से यह रोग विकसित हो सकता है।
पीरियड न आने के कारण की जांच कैसे करें?
यदि लगातार तीन महीने तक पीरियड न आएं, तो यह डॉक्टर से संपर्क करने का संकेत है। डॉक्टर निम्नलिखित जांच कर सकते हैं:
- प्रेग्नेंसी टेस्ट
- थायरॉइड प्रोफाइल
- पेल्विक अल्ट्रासाउंड
- हार्मोनल टेस्ट (FSH, LH, Prolactin)
- पीसीओएस की जांच
- वजन और बीएमआई मूल्यांकन
पीरियड न आने के कारण का समाधान
- जीवनशैली में बदलाव
- संतुलित आहार लें जिसमें आयरन, कैल्शियम और विटामिन भरपूर हो।
- पर्याप्त नींद और योग अभ्यास तनाव को कम करते हैं।
- तली-भुनी चीजों और अधिक मिठाई से बचें।
- वजन संतुलन बनाए रखें
यदि बहुत अधिक पतले हैं तो वजन बढ़ाएं और यदि मोटे हैं तो धीरे-धीरे वजन कम करें।
- योग और आयुर्वेद
“पीरियड न आने के कारण” से राहत के लिए नियमित योग अभ्यास जैसे भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, मंडूकासन बहुत सहायक हैं।
आयुर्वेदिक औषधियाँ जैसे अशोकारिष्ट, लोध्रासव आदि भी उपयोगी होती हैं (डॉक्टर की सलाह लें)।
- दवाइयों से उपचार
- पीसीओएस के लिए मेटफॉर्मिन या हार्मोनल दवाइयाँ दी जाती हैं।
- थायरॉइड की समस्या में थायरॉक्सिन दी जाती है।
- डॉक्टर कभी-कभी हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी सुझा सकते हैं।
पीरियड न आने के कारण – किशोरियों में विशेष परिप्रेक्ष्य
कई बार किशोर अवस्था में भी पीरियड न आने के कारण चिंता का विषय बनते हैं। यदि 16 साल की आयु तक पहली बार पीरियड न आएं, तो इसे प्राथमिक एमेनोरिया कहते हैं। इसके पीछे जन्मजात समस्या, गर्भाशय की संरचनात्मक गड़बड़ी या हार्मोनल कारण हो सकते हैं।
पीरियड न आने के कारण – समाजिक और मानसिक पहलू
भारतीय समाज में पीरियड से जुड़ी बातें आज भी वर्जना मानी जाती हैं। कई महिलाएं और लड़कियाँ इस विषय पर खुलकर बात नहीं कर पातीं, जिससे वे देर से इलाज लेती हैं। इसीलिए जरूरी है कि:
- पीरियड और प्रजनन स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलाई जाए।
- स्कूली स्तर पर हेल्थ एजुकेशन में इसे शामिल किया जाए।
- महिलाओं को मानसिक समर्थन मिले ताकि वे खुलकर समस्या साझा कर सकें।
निष्कर्ष
पीरियड न आने के कारण एक जटिल विषय है, लेकिन समय रहते इसकी पहचान और उपचार से समस्या को गंभीर होने से रोका जा सकता है। यह जरूरी नहीं कि हर बार पीरियड न आने का मतलब प्रेग्नेंसी हो, इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। इसीलिए लापरवाही नहीं, समझदारी जरूरी है।
यदि आपको या आपके किसी परिचित को ऐसी समस्या है, तो शर्म या संकोच के बिना डॉक्टर से सलाह लें। याद रखें, महिलाओं का मासिक धर्म केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि उनके संपूर्ण स्वास्थ्य का आईना होता है।
You May Also Like – Healthy Life:लंबी उम्र के लिए जरूरी है अच्छी नींद, दिल और दिमाग भी रहता है स्वस्थ