बीते वक्त और बीते शक्स, को भूलना शायद ही सही है–आँचलिक ख़बरें-जय प्रकाश तिवारी

Aanchalik Khabre
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कल की पहचान करना कहा तक गलत है
बीते वक्त के साथ बदलाव उस हालात के समीप है
जब मुश्किलों से परिचय का दौर आया तो
बदलता रूख ही काम आया
शक्स भी बदलते है शायद पिछे कुछ तो सीखते है,
बीते वक्त के साथ हर एक पहचान बदलते है
पर रिश्ते वही रखना क्योंकि बदलते वक्त के
साथ वह भी बदलते और बिखरते है
क्योंकि बनते नाँव के साथ तुफान भी बनते है
मुस्कानों को बदलते किसने नहीं देखा
सूनी आँखों कि चमक देखने बनती है
और कुछ पल उस मौसम के भी बदलते है
आग में पानी कि तलाश करने वाले
रोज द़रिया से गुजरते है,
कहीं न कहीं शख्स और वक्त दोनों
साथ ही चलते है
पहचान करने से थोड़ा-सा हिचकते है
पर बदलाव के साथ ही संभलते है
मौजूदा माहौल पर बदलता बदलाव बहुत झुकाता है
पर बदलते वक्त के साथ वही ऊपर उठना सिखाता है
हर एक यही बताता है,
बदलता वक्त और शख्स
आपकी अपनों से और गैरों से बहुत
ही अच्छे से परिचय कराता है
इसलिए बदलता वक्त और शख्स बहुत याद आता है।

                                              -युवा लेखिका आँचल सिंह राजपूत

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