Police System का पुलिस (POLICE) शब्द की उत्पत्ति स्पेनिश भाषा से हुई पुलिस के प्रत्येक अक्षर का अर्थ P- Polite, O-Obedient, L-Legal adviser, I-Intelligent, C-Courageous, E- इनरजेटिक हैं। अर्थात पुलिस नम्रताधारी, क्रियाशीलता का प्रतीक भी लगाते हैं पु. पुरुषार्थ, लि लिप्सा रहित, स सहयोग। वास्तव में पुलिस को अपने नाम के अनुरूप होना चाहिए। ये सच है कि लोग आज भी किसी मामले में खुद होकर पुलिस का सहयोग लेने से कतराते हैं और पास नहीं जाते।
Indian Police System, Britain की देन है Britain की पुलिस ने समय के साथ कई परिवर्तन कर लिए,पर हमारे देश में Police System जैसी की तैसी
उन्होनें आगे कहा कि हमारी पुलिस व्यवस्था Britain की देन है। आज भी हमारी पुलिस Britain द्वारा गुलामी के वक्त की गई व्यवस्थाओं के बीच चल रही है। Britain की पुलिस ने समय के साथ कई परिवर्तन कर लिए, पर हमारे देश में Police System जैसी की तैसी ही है। उन्होने कहाकि अब पुलिस अधिकारियों को डंडे पर नहीं डी एन. ए. पर विश्वास करना चाहिए। डण्डे के शार्ट कट का जमाना गया, अब डंडे नही वैज्ञानिक तरीके इस्तेमाल किये जाने चाहिए।
Police System का सबसे ऊपर और सबसे बड़ा उत्तरदायित्व
पुलिस के ऊपर राज्य की भौगोलिक सीमाओं के अंदर शांति व्यवस्था की स्थापना व सर्वसाधारण और उनके संपत्ति की सुरक्षा के लिए अधिनियम में निहित का विधिवत परिपालन करने का उत्तरदायित्व होता है।
सबसे ऊपर और सबसे बड़ा उत्तरदायित्व होता है अपराध पर नियंत्रण रखना। वहीं यातायात नियंत्रण, राजनैतिक सूचनाओं का एकीकरण और राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा का दायित्व भी होता है पुलिस पर।
प्रसिद्ध विचारक श्री धर्म धर्माधिकारी के शब्दों में -“जहां ज्यादा पुलिस की जरूरत हो वह सफल नहीं वरन असफल मानी जायेगी. पुलिस की सफलता उसकी जरूरत न पड़ने मे है।”
आचार्य विनोबा भावे ने पुलिस का कार्य एक योगी का कार्य बताते हुए कहा था – “पुलिस का काम कठिन है, पुलिसवालों को अपना दिल नरम रखना हैं। और हाथ से सख्त काम करना है। महात्म गांधी ने भी पुलिस की कल्पना इस प्रकार की है। पुलिस सहायता करेगी, तब पुलिस जनता के परस्पर सहयोग से क्रमश: प्रेरणा से होते उपद्रवों का ढंग से मुकाबला करेगी।”
भारतीय परिवेश में सबसे पहले पुलिस जैसे विभाग की परिकल्पना ब्रिटिश सत्ता ने किया था। सन् 1765 में जब अंग्रेजों ने बंगाल की दीवानी सत् हथिया ली। तब शांति व्यवस्था का उत्तरदायित्व अंग्रेज़ी शासन पर आया। सन् 1781 ई. में वारेन हेस्टिग्स ने पुलिस प्रशासन की रुपरेखा बनाकर प्रयोग प्रारंभ किया।
फिर लार्ड कार्नवालिस ने एक वेतन भोगी स्थाई पुलिस दल की स्थापना की जरुरत महसूस की। कार्नवालिस ने प्रत्येक जिले के मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया कि हर जिले को पुलिस क्षेत्रों में बांटकर उसे दरोगा नामक अधिकारी के अधिकारी में सौंप दिया जाय। तत्पश्चात ग्रामीण चौकीदारों को भी दरोगा के अधिकार में दे दिया गया।
1861 में एक पुलिस अधिनियम द्वारा समस्त देश में पुलिस व्यवस्था लागू कर दी गई। और उसी अधिनियम के अंतर्गत आज भी देश में Police System चल रहा है।
इस Police System को जहां आंतरिक अपराधों के संबंध में उपयोग किया गया, वहीं उसने ब्रिटिश शासन को टिकाये रखने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के दमन में भी पर्याय महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
वास्तव में आंतरिक शांति व्यवस्था के नाम पर आन्दोलनों को दबाने, जनता के जीवन को तोड़ने उसमें संत्रास पैदा करने उस पर अत्याचार करने और भारत को गुलाम बनाये रखने के लिए ही पुलिस का विकास हुआ था।
यह हमारा दुर्भाग्य है कि ब्रिटिश शासन के समाप्त हो जाने के बाद भी भारत की पुलिस का ढ़ांचा वही बना हुआ है। तथा उसका व्यवहार भी पूर्ववत वैसे ही दमनकारी बना हुआ है। अब निश्चय ही यह समय है कि Police System में सुधार हेतु आमूल परिवर्तन के लिए पहल किया जाए।
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