समन्वित कृषि पद्धति हेतु मुर्गीपालन एक आवश्यक घटक

Aanchalik Khabre
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मनीष गर्ग खबर दतिया
कृशि विज्ञान केन्द्र दतिया पर प्रधानमंत्री कौशल विकास परियोजनांतर्गत बैकयार्ड मुर्गीपालन विशय पर 210 घण्टे का की ाल विकास प्रक्षण दिनांक 29.03.2023 को राजमाजा विजयाराजे सिंधिया कृशि वि वविद्यालय के प्रमण्डल सदस्य श्री अतुल शर्मा जी की अध्यक्षता, डॉ. आर. के. एस. तोमर प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृशि विज्ञान केन्द्र दतिया व मार्गदर्शन एवं डॉ. रूपेश जैन, वैज्ञानिक पशुपालन- प्रशिक्षण समन्वयक के तकनीकी निर्देशन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। प्रक्षिण कृशि विज्ञान केन्द्र दतिया पर लगभग 1 माह तक चला जिसमें दतिया जिले के 27 कृशकों ने भाग लिया। प्रक्षिण में कृशकों ने मुर्गीपालन से संबंधित विभिन्न विशयों पर तकनीकी जानकारी प्राप्त की प्रक्षिण में देके विभिन्न वि वविद्यालय के पशुचिकित्सा वि शज्ञों ने मुर्गीपालन विशय पर तकनीकी व्याख्यान दिया। जिसमे पशुचिकित्सा महाविद्यालय इंदौर से डॉ. विवेक अग्रवाल, डॉ. दानवीर यादव, पशुचिकित्सा महाविद्यालय जबलपुर से डॉ. गिरीराज गोयल कृशि विज्ञान केन्द्र ग्वालियर से डॉ. जीतेन्द्र राजपूत, कृशि विज्ञान केन्द्र लहार भिण्ड से डॉ. एसपी सिंह, कृशि विज्ञान केन्द्र मुरैना डॉ. पी.पी. सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र झाबुआ से डॉ. चंदन सिंह, कृशि विज्ञान केन्द्र रायसेन से डॉ. अंशुमन गुप्ता, कृशि विज्ञान केन्द्र टीकमगढ़ से डॉ. संदीप खरे ने मुर्गीपालन के विभिन्न पहलुओं जैसे आवास प्रबंधन, विभिन्न ऋतुओं में चूजों का प्रवान, मुर्गियों में आहार प्रबंधन, मुर्गियों में बीमारियों का प्रबंधन, टीकाकरण, आहार में प्रोबायोटिक्स का प्रबंधन आदि विशयों पर तकनीकी व्याख्यार दिया। दतिया जिले पचिकित्सा विशज्ञों डॉ. महेन्द्र परिहार, डॉ. बी. के. श्रीवास्तव, डॉ. अनिल अर्गल, डॉ. अविनाश गुप्ता, डॉ. शिवा गुप्ता, डॉ रमा गर्ग, डॉ. भूपेन्द्र, डॉ. धर्मेन्द्र भार्मा, डॉ. मनीश श्रीवास्तव तथा डॉ. विजय भाम ने मुर्गीपालन के अन्य तकनीकी पहलुओं जैसे देशी मुर्गी की विभिन्न नस्लें समन्वित कृषि पद्धति हेतु मुर्गीपालन एवं हैचरी प्रबंधन विशयों पर मुख्य रूप से प्रकाश डाला। प्रशिक्षण के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि श्री अतुल भार्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुये कहा कि कृशि के साथ मुर्गीपालन एक मुख्य व्यवसाय है जिसे अपनाकर किसान एक वैकल्पिक आय का स्रोत तैयार कर सकते हैं। केन्द्र प्रमुख डॉ. आर.के.एस. तोमर ने बैकयार्ड मुर्गीपालन को समन्वित कृषि पद्धति में जोड़ने की समझाई दी। मास्टर ट्रेनर एवं पचिकित्सा वैज्ञानिक डॉ. रूपेश जैन ने एक माह तक चले प्रशिक्षण की प्रतिदिन रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर कृशि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ प्रशान्त गुप्ता, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. एस. के. सिंह, डॉ. राजीव सिंह सहित समस्त स्टाफ उपस्थित रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. व्ही.एस. कंसाना
एवं आभार डॉ. नरेश गुप्ता द्वारा किया गया। इस अवसर पर दतिया जिले के बास्केट बॉल टीम के पूर्व कप्तान श्री विवेक सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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