उत्तर भारत में बाढ़ ने कई राज्यों में भयावह स्थिति पैदा कर दी है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण नदियाँ उफान पर हैं और कई इलाके जलमग्न हो चुके हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इन क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ का अलर्ट जारी किया है। स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है, लेकिन अभी तक स्थिति नियंत्रण से बाहर नजर आ रही है।
पंजाब में बाढ़ का कहर
पंजाब बाढ़ 2025 की सबसे गंभीर प्रभावित राज्य में से एक है।
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मृत्यु और नुकसान: अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है।
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जलमग्न इलाके: राज्य के 23 जिलों में 1,996 गांव प्रभावित हुए हैं, जिनमें घर और खेत पूरी तरह पानी में डूब गए हैं।
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फसलें और कृषि: करीब 1.75 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
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राहत कार्य: NDRF और SDRF की टीमें प्रभावित इलाकों में राहत कार्य कर रही हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और अतिरिक्त सहायता देने की घोषणा की है।
हिमाचल प्रदेश में स्थिति
हिमाचल प्रदेश में भी बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
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पहाड़ी इलाकों में जलभराव और भूस्खलन के कारण कई सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
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प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में सतर्क रहने और आवश्यक बचाव कार्य करने की चेतावनी जारी की है।
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भारी बारिश के चलते ग्रामीण इलाकों में फसलें और पशुपालन प्रभावित हो रहे हैं।
IMD ने हिमाचल प्रदेश में अगले 24 घंटों में भारी से अति-भारी बारिश की संभावना जताई है, जिससे स्थानीय प्रशासन और नागरिक सतर्क हैं।
राजस्थान में बाढ़ का खतरा
राजस्थान के कई जिले भी बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।
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राज्य के कई जिलों में जलभराव और नदियों के उफान के कारण कृषि भूमि प्रभावित हो रही है।
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IMD ने राजस्थान के उत्तरी और दक्षिणी जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।
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प्रशासन ने राहत शिविर, NDRF और SDRF की टीमों की तैनाती कर दी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पानी का बहाव नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में और अधिक नुकसान हो सकता है।
IMD का अलर्ट और भविष्य की चेतावनी
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में भारी बारिश और बाढ़ का अलर्ट जारी किया है।
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IMD ने कहा कि नदियों का जलस्तर अगले 48 घंटे में बढ़ सकता है।
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प्रशासन को सतर्क रहने, आवश्यक बचाव उपकरण तैनात करने और जनता को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने की सलाह दी गई है।
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विशेषज्ञों का अनुमान है कि मानसून के इस सीजन में उत्तर भारत में बाढ़ की घटनाएँ पहले से अधिक गंभीर हो सकती हैं।
राहत और बचाव कार्य
उत्तर भारत में राहत और बचाव कार्यों में प्रशासन और सेना पूरी तरह जुटी हुई है।
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NDRF और SDRF की टीमें लगातार प्रभावित इलाकों में राहत कार्य कर रही हैं।
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बाढ़ में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टर और नाव की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है।
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प्रभावित इलाकों में पानी के स्तर को नियंत्रित करने के लिए तटबंधों और बांधों की मरम्मत की जा रही है।
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स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए आपातकालीन शिविर स्थापित किए गए हैं।
बाढ़ का प्रभाव: मानव जीवन और कृषि
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हजारों लोग अब भी अपने घरों से बेघर हैं।
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बाढ़ के कारण जान-माल का नुकसान हुआ है और ग्रामीण इलाकों में आर्थिक तंगी बढ़ गई है।
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कृषि क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। धान, गेहूं और अन्य खरीफ फसलें बर्बाद हो गई हैं।
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पशुपालन प्रभावित होने से ग्रामीणों की आय और जीवनयापन पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।