Inflation | थोक महंगाई में उछाल: फरवरी में बढ़कर हुई 2.38 प्रतिशत, खाद्य कीमतों में गिरावट से खुदरा महंगाई पर लगाम | Domestic market

News Desk
9 Min Read
1642009608 7787

थोक महंगाई में उछाल: फरवरी में बढ़कर हुई 2.38 प्रतिशत, खाद्य कीमतों में गिरावट से खुदरा महंगाई पर लगाम
थोक महंगाई में उछाल: फरवरी में दर बढ़कर हुई 2.38 प्रतिशत
खाद्य कीमतों में गिरावट से खुदरा महंगाई पर लगी लगाम
महंगाई पर काबू पाने की चुनौती: विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में उछाल
ईंधन और बिजली की कीमतों में राहत, खुदरा मुद्रास्फीति सात महीने के निचले स्तर पर

भारत में महंगाई एक अहम मुद्दा है। जब थोक मूल्य मुद्रास्फीति दर में बदलाव होता है, तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था और आम आदमी के जीवन पर साफ दिखाई देता है। फरवरी महीने में थोक मूल्य मुद्रास्फीति दर यानी थोक महंगाई दर में उछाल देखने को मिला है। यह दर जनवरी में 2.31 प्रतिशत थी, जो बढ़कर फरवरी में 2.38 प्रतिशत हो गई है। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों ने इस बदलाव की पुष्टि की।

थोक मूल्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी: आखिर क्यों हुई वृद्धि?

थोक मूल्य मुद्रास्फीति दर में वृद्धि के पीछे कई कारक जिम्मेदार माने जा रहे हैं। अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का मानना है कि इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण खाद्य उत्पादों, गैर-खाद्य वस्तुओं, कपड़ा निर्माण और अन्य विनिर्माण वस्तुओं की कीमतों में हुई बढ़ोतरी है।

खाद्य उत्पादों में कमी, अन्य वस्तुओं में उछाल
फरवरी में थोक खाद्य मुद्रास्फीति दर जनवरी के 7.47 प्रतिशत से घटकर 5.94 प्रतिशत पर आ गई। यह गिरावट मुख्य रूप से ताजे फलों, सब्जियों और अनाज की कीमतों में कमी के कारण हुई। हालांकि, दूसरी ओर, गैर-खाद्य वस्तुओं और कपड़ा निर्माण की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कपड़ा और अन्य विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में हुई वृद्धि के कारण थोक महंगाई दर में कुल मिलाकर वृद्धि दर्ज की गई।

अर्थशास्त्रियों का अनुमान और वास्तविक आंकड़े

गौरतलब है कि एक सर्वेक्षण में अर्थशास्त्रियों ने फरवरी महीने के लिए थोक मूल्य मुद्रास्फीति दर 2.36 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। हालांकि, वास्तविक आंकड़े इससे थोड़ा अधिक रहे और 2.38 प्रतिशत दर्ज किए गए। यह आंकड़ा बताता है कि महंगाई पर काबू पाना अभी भी एक चुनौती है।

क्या कहती है सरकार?
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में महंगाई बढ़ना चिंताजनक है। सरकार का मानना है कि आने वाले महीनों में महंगाई पर काबू पाने के लिए और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

ईंधन और बिजली की कीमतों में राहत

महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर ईंधन और बिजली की कीमतों में कमी के रूप में आई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में ईंधन और बिजली की थोक कीमतों में 2.78 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी, जो फरवरी में घटकर 0.71 प्रतिशत हो गई। इसका अर्थ यह है कि तेल और बिजली की कीमतों में राहत मिलने से उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिल सकती है।

क्यों घटी ईंधन कीमतें?
विशेषज्ञ मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा है। भारत सरकार ने भी आयात शुल्क में मामूली कटौती की, जिससे ईंधन की कीमतों में गिरावट देखने को मिली।

विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में वृद्धि: उद्योगों पर असर

जहां एक ओर ईंधन और बिजली की कीमतों में राहत है, वहीं दूसरी ओर विनिर्मित उत्पादों की कीमतें बढ़ रही हैं। फरवरी में विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति दर 2.86 प्रतिशत रही, जो जनवरी में 2.51 प्रतिशत थी।

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण उद्योग जगत में चिंता का माहौल है। उद्योगपतियों का कहना है कि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण उत्पादन लागत बढ़ी है, जो अंततः उत्पादों की कीमतों में वृद्धि का कारण बनी।

क्या उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर?
विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में वृद्धि का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। घरेलू वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक उपकरणों और निर्माण सामग्री की कीमतें बढ़ सकती हैं।

खुदरा मुद्रास्फीति में राहत: खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट से बड़ी राहत

थोक महंगाई दर में वृद्धि के बावजूद, खुदरा मुद्रास्फीति में राहत देखी गई है। फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति दर सात महीने के निचले स्तर 3.61 प्रतिशत पर आ गई। जनवरी में यह दर 4.31 प्रतिशत थी।

खाद्य मुद्रास्फीति में कमी: क्या है कारण?
खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का सबसे बड़ा कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट है। खाद्य मुद्रास्फीति जनवरी के 5.97 प्रतिशत से घटकर फरवरी में 3.75 प्रतिशत हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि सब्जियों, दालों और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के कारण खुदरा महंगाई में यह कमी आई है।

महंगाई से निपटने के लिए सरकार की रणनीति

सरकार लगातार महंगाई पर काबू पाने के लिए उपाय कर रही है। वित्त मंत्रालय ने महंगाई के प्रभाव को कम करने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए हैं। इनमें खाद्य वस्तुओं के आपूर्ति श्रृंखला में सुधार, स्टॉक सीमा तय करना और वितरण नेटवर्क को मजबूत करना शामिल है।

रिजर्व बैंक का रुख
महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) भी सतर्क है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने संकेत दिया है कि यदि महंगाई दर में और बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर विचार किया जा सकता है।

आम आदमी की जेब पर असर: क्या होगी कीमतों में गिरावट?

महंगाई के मोर्चे पर मिली-जुली खबरें आम आदमी के लिए चिंता का कारण बन सकती हैं। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में राहत मिलने से रसोई का बजट थोड़ा संतुलित हुआ है, लेकिन विनिर्मित उत्पादों और अन्य वस्त्रों की कीमतें अब भी चुनौती बनी हुई हैं।

विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई का प्रभाव केवल खाद्य पदार्थों तक सीमित नहीं है। अन्य क्षेत्रों में भी कीमतों में वृद्धि देखने को मिल रही है, जो भविष्य में महंगाई को और बढ़ा सकती है।

क्या होगा आगे का रास्ता?

थोक महंगाई दर में वृद्धि और खुदरा महंगाई दर में गिरावट के बीच संतुलन बनाने की चुनौती सरकार के सामने है। कृषि उत्पादन में सुधार और खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता को बनाए रखना प्राथमिकता है।

आम जनता के लिए संदेश
सरकार ने जनता को भरोसा दिलाया है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में और कमी आती है तो खुदरा महंगाई पर भी और राहत मिल सकती है।

महंगाई और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

महंगाई केवल कीमतों में वृद्धि का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर डालता है। जब थोक महंगाई बढ़ती है, तो उत्पादन लागत बढ़ती है, जो उत्पादों की कीमतों में वृद्धि का कारण बनती है। वहीं, खुदरा महंगाई में गिरावट से उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिलती है।

महंगाई एक ऐसी समस्या है जो आम जनता से लेकर उद्योग जगत तक को प्रभावित करती है। थोक महंगाई में उछाल और खुदरा महंगाई में गिरावट के बीच सरकार के लिए संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है।

Share This Article
Leave a Comment