जिन लोगों के नंबरों की जासूसी की जा रही थी उनमें वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी के परिवार के भी लोग हैं। 2018 में तुर्की में सऊदी अरब के दूतावास में जमाल खशोगी की हत्या कर दी गई थी।
2017 में मैक्सिको के पत्रकार सेसिलो बिर्तो की हत्या हुई थी। जासूसी नंबरों की सूची में उनका भी फोन नंबर था। उनका फोन बरामद नहीं हो पाया था।
अब आइए भारत में एल्गार परिषद मामले में जिन कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और वकीलों को जेल में डाला गया है, उनमें से आठ लोगों के नंबर भी इस सूची में थे जिनकी निगरानी की गई. एक अन्य रिपोर्ट में पहले ही बताया जा चुका है कि प्रोफेसर हनी बाबू और कुछ अन्य कार्यकर्ताओं के लैपटॉप में मालवेयर के जरिये फर्जी दस्तावेज प्लांट किए गए और उन्हें साजिशन जेल में डाल दिया गया।
रिपोर्ट कहती है कि रोना विल्सन, हनी बाबू के अलावा वर्नोन गोंजाल्विस, आनंद तेलतुम्बडे, प्रोफेसर शोमा सेन, गौतम नवलखा, अरुण फरेरा और सुधा भारद्वाज के नंबरों की संभावित जासूसी की गई। 2018 के बाद इन सभी बुद्धिजीवियों समेत कुल 16 कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविद इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। इन्हीं लोगों में से एक आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ने वाले 83 साल के बुजुर्ग पादरी स्टेन स्वामी भी थे, हाल ही में जिनकी हिरासत में मौत हो गई। पर्किंसन का मरीज जो अपने हाथ से पानी नहीं पी सकता, उसपर आरोप था कि वह प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश में शामिल है।
आप सोचिए कि क्या प्रधानमंत्री कोई ऐसा छईमुई है जो किसी अशक्त बुजुर्ग के कांपते हाथों से भी कुम्हला सकता है? भारत में ये हास्यास्पद बातें संभव हैं।
रिपोर्ट कहती है कि एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार आरोपियों के अलावा उनके एक दर्जन से ज्यादा उनके रिश्तेदार, दोस्त, वकील और सहयोगी भी इस निगरानी के दायरे में प्रतीत होते हैं. द वायर ने इनके नंबर और पहचान की पुष्टि की है. लीक हुए रिकॉर्ड से पता चलता है कि कवि और लेखक वरवरा राव की बेटी पवना, वकील सुरेंद्र गाडलिंग की पत्नी मीनल गाडलिंग, उनके सहयोगी वकील निहालसिंह राठौड़ और जगदीश मेश्राम, उनके एक पूर्व क्लाइंट मारुति कुरवाटकर, सुधा भारद्वाज की वकील शालिनी गेरा, तेलतुम्बडे के दोस्त जैसन कूपर, केरल के एक अधिकार कार्यकर्ता, वकील बेला भाटिया, सांस्कृतिक अधिकार और जाति-विरोधी कार्यकर्ता सागर गोरखे की पार्टनर रूपाली जाधव, आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता महेश राउत के करीबी सहयोगी और वकील लालसू नागोटी के नंबर भी शामिल हैं। हत्या और जेल के अलावा जासूसी का कोई दूसरा मकसद नहीं होता।