विलुप्त Canal हुई जीवित किसानों को सिंचाई विभाग ने दी सौगात

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
4 Min Read
Extinct Canal comes alive

विलुप्त Canal से साढ़े तीन दशक से सिंचाई के लिए पानी न मिलने से दर्जनों गांवों के किसानों कि मायूसी दूर

चित्रकूट। साढ़े तीन दशक से सिंचाई के लिए पानी न मिलने से दर्जनों गांवों के मायूस किसानों के लिए सिंचाई विभाग खुशी का पल लेकर आया है। सिंचाई निर्माण खंड प्रथम के अधिशाषी अभियंता आशुतोष कुमार के मार्गदर्शन में सहायक अभियंता गुरु प्रसाद ने कई वर्षों से विलुप्त पड़ी Canal को दुरुस्त कराकर अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया है। जिसके बाद से क्षेत्र के किसानों ने शासन और विभागीय अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए खुशी जताई है।
Extinct Canal comes alive
सिंचाई निर्माण खंड प्रथम के अधिशाषी अभियंता आशुतोष कुमार ने बताया कि पयश्वनी Canal प्रणाली का निर्माण वर्ष 1976 में बनकट बंधवइन के पास पयश्वनी नदी पर वियर बना कर कार्य किया गया था।
Canal से लगभग 23 ग्राम सभा के किसानों को पानी मिलता है। मुख्य नहर के लगभग 10 किमी काफी गहरी व कटिंग में होने के कारण 18 से 20 किमी ही पानी पहुंचता था। 20 किमी के बाद पानी न जाने से Canal पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी थी। साथ ही बहुत ज्यादा अतिक्रमण भी हो चुका था और किसान खेत बना लिए थे।

पूर्ववर्ती सरकारों ने नहीं दिया था बजट Canal सफाई का

अधिशाषी अभियंता ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा सिल्ट सफाई का पैसा न देने के चलते यह नहर अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाई थी, लेकिन अब वर्तमान सरकार द्वारा सिल्ट सफाई का बजट हर वर्ष दिया जा रहा है। जिससे सिल्ट सफाई के पैसे से विलुप्त नहर को पुनः खुदाई कर पानी जाने योग्य बनाया गया है। साथ ही अतिक्रमण भी हटाया गया।

विलुप्त Canal हुई जीवित

सहायक अभियंता गुरु प्रसाद ने बताया कि विलुप्त नहर को जीवित कर 26.400 किमी अंतिम छोर तक पानी किसानों को दिया जा रहा है। सिल्ट सफाई द्वारा 6 किमी विलुप्त Canal को पुनः खुदाई कर 35 साल बाद किसानों को अंतिम छोर तक पानी पहुंचाया गया है।

लाभान्वित क्षेत्रीय किसानों ने जताई प्रसन्नता

Canal का पानी 35 साल बाद टेल तक पहुंचाने से लोहदा, अरछाबरेठी, रघुबंशीपुर, कलवारा खुर्द तथा कलावरा बुजुर्ग के किसानों के चेहरे खिल उठे। किसान रुद्रपाल व नर्मदा, सूबेदार वर्मा ने बताए कि यहां सिंचाई बहुत ही मंहगी है।
बोर से एक बीघा सिंचाई का 300 से 350 रुपए एक बार का देना होता है। इस प्रकार 4 से 5 पानी देने पर 1200 से 1500 रुपए प्रति बीघा खर्च आता है, जो गरीब किसानों पर बड़ा बोझ था, लेकिन अब Canal का पानी मिल जाने से खर्च कम फायदा ज्यादा होगा।
किसानों ने बताया कि यह पानी हम सबको 35 साल बाद मिल रहा है। किसानों ने मुख्यमंत्री तथा सिंचाई मंत्री को धन्यवाद दिया तथा अधिकारी और कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त किया।

अश्विनी श्रीवास्तव

आंचलिक खबरे
Visit our social media
Share This Article
Leave a comment