उपेक्षा का दंश या पद की लालसा…..क्यों बेचैन हुए माननीय .
( चुभती बात — मनोज द्विवेदी, अनूपपुर )
राजनीति तथा समय का पहिया हमेशा चलायमान रहता है। समय की गतिशीलता शाश्वत सत्य है जो किसी परिस्थिति में थमती है, ना ही किसी का इंतजार करती है। मध्यप्रदेश की राजनीति विगत एक साल धीमी गति से चलने के बाद विगत कुछ दिनों में काफी तेजी से बदलती दिख रही है।
कांग्रेस तथा भाजपा के कुछ माननीय उपेक्षा से नाराज हैं या मंत्री पद की लालसा में बेचैन , यह तो स्पष्ट नहीं है। लेकिन इतना जरुर है कि जो भी घट रहा है….दोनों ही दलों को परेशान करने वाला है।
मार्च के प्रथम सप्ताह से शुरु शीर्ष कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह के इर्द गिर्द घूम रही राजनीति को समझने में अच्छे – अच्छे राजनैतिक पंडित घनचक्कर हो रहे हैं। बीते मंगलवार को दिग्विजय सिंह ने यह कहते हुए धमाका किया कि भाजपा कांग्रेस विधायकों को ३० – ३५ करोड रुपये का आफर दे रही है। कुछ ही घंटों मे कमलनाथ सरकार के एक मंत्री ने आरोप लगाया कि १०-१२ विधायकों को भाजपा ने बंधक बना लिया है। आधी रात दिग्विजय सिंह के साथ दो मंत्री दिल्ली पहुंच गये । हरियाणा के जिस होटल में कथित रुप से विधायकों को बंधक बनाया गया था, वहाँ गेट पर हंगामा होने की सूचना मिली । लापता विधायकों के फोन बन्द बतलाए गये। होटल में कांग्रेस नेताओं का प्रवेश हो नहीं सका । इसके बावजूद हार्स ट्रेडिंग ( तथाकथित बंधक ) के शिकार विधायकों से इसके बाद भी संपर्क हो जाने का दावा किया जाता रहा। अगली शाम होते होते चार विधायकों के वापस दिल्ली से भोपाल आ जाने की खबरें भी आ गयीं। इससे पूर्व कमलनाथ मंत्रीमंडल के एक अन्य सहयोगी ने सरकार के सुरक्षित होने तथा सारा मामला राज्यसभा चुनाव से जुडा होने का बतला कर सनसनी फैला दी। एक मंत्री ने सरकार गिरने की स्थिति में भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी। यद्यपि बाद में माहौल पलटता देख कमलनाथ सरकार के साथ रहने की घोषणा भी कर दी।
* दूसरी ओर अगले ही दिन बुधवार की अल सुबह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि इस मामले से भाजपा का कोई लेना देना नहीं है । उन्होंने दावा किया कि प्रदेश कांग्रेस की आपसी खींचतान का परिणाम है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चॊहान ने भी दिल्ली पहुंच कर कहा कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के कारण यहाँ आना हुआ।
रोचक तथ्य यह है कि समूचे मामले में पूरी बयानबाजी प्रदेश कांग्रेस के नेता ही करते रहे । लापता किसी विधायक ने ना तो भाजपा पर आरोप लगाया, ना ही भाजपा इसे लेकर बहुत उत्सुक दिखी। बुधवार की देर शाम होते होते संजय पाठक के खदानों को सील करने एवं उमरिया जिला प्रशासन द्वारा बांधवगढ़ में संजय पाठक के रिसोर्ट एवं लहलहाती फसलों पर बुलडोजर चलवाने की खबरें जरुर आने लगीं। ऐसी ही कार्यवाही पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह के विरुद्ध की गयी। उक्त नेताओं तथा भाजपा ने इसे कांग्रेस सरकार द्वारा की गयी बदले की कार्यवाही बतलाया ।
* दर असल म प्र कांग्रेस में सरकार गठन के साथ ही गुटबाजी चरम पर है। विधायकों में अपनी ही सरकार की वायदा खिलाफी को लेकर तथा अलग अलग कारणों से नाराजगी चरम पर है। ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा अजय सिंह राहुल के बयानों से उनकी नाराजगी चर्चा में है। दूसरी ओर सज्जन सिंह वर्मा, विवेक तंखा, सुरेश पचॊरी जैसे नेताओं ने खुल कर नाराजगी जताते रहे हैं।
* प्रदेश के एक अन्य वरिष्ठ आदिवासी कद्दावर नेता, पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं अनूपपुर विधायक बिसाहूलाल के गुरुग्राम पहुंचने की सूचना से हडकंप मच गया । बिसाहूलाल सिंह जनजातीय समाज के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। उनके दिल्ली और गुरुग्राम स्थित होटल में भाजपा नेताओं के साथ दिखाई देने तथा उनके साथ अभद्रता किये जाने के आरोपों से स्थानीय स्तर पर राजनीति का माहौल गरम हो गया। उत्साही पार्टी कार्यकर्ताओं ने आनन- फानन भाजपा का पुतला तक जला डाला।
किसी समय दिग्विजय मंत्री मंडल में लोकनिर्माण , खनिज, जनजातीय विकास, ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे बिसाहूलाल इन दिनों अपनी ही पार्टी में फुसुक इफेक्ट के शिकार हुए लगते हैं।
* जिले में 3 विधानसभा अनूपपुर, पुष्पराजगढ एवं कोतमा हैं, तीनों ही कांग्रेस के पास हैं। बिसाहूलाल सिंह 1980 में पहली बार विधायक चुनकर आए थे। तब से अब तक वे 5 बार इस सीट से चुनकर आ चुके हैं। भाजपा में टिकट वितरण में गडबडी से नाराज पार्टी कार्यकर्ताओं के घर बैठ जाने से जिले की तीनों सीटें कांग्रेस को चली गयीं । कोतमा विधायक सुनील सराफ कमलनाथ के करीबी बतलाए जाते हैं, इनकी बिसाहूलाल से नहीं जमती। वहीं पुष्पराजगढ विधायक फुन्देलाल सिंह की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा चरम पर है। दूसरी बार विधायक बने फुन्देलाल के मंत्री बनने की चर्चाएं उठती रही हैं। कोतमा – पुष्पराजगढ के अनूपपुर से असामान्य संबंधों की खींचतान कॆ दर्शन स्वत: कमलनाथ, दिग्विजय सिंह ने अमरकंटक नर्मदा महोत्सव के मंच पर तब किये , जब कमलनाथ बिसाहूलाल से मंच पर चर्चा कर रहे थे एवं फुन्देलाल भाषण दे रहे थे। तब भरे मंच सभी मर्यादाओं को परे रख अपने से बहुत वरिष्ठ बिसाहूलाल को फुन्देलाल ने नाम लेकर चुप रहने को कह दिया। अप्रत्यक्ष चुप रहने की यह चेतावनी कमलनाथ के लिये भी थी ,जिन्होंने मंच पर किनारे बैठे बिसाहूलाल को अपने पास बुलाकर बैठाया तथा किसी विषय पर चर्चा कर रहे । फुन्देलाल की इस हरकत को कोतमा विधायक की सराहना मिली।
भरे कार्यक्रम मे हुए अपमान को बिसाहूलाल चुप्पी के साथ पचा ले गये। यद्यपि बाद मे दिग्विजय सिंह ने दो दिन में बिसाहूलाल को महत्व देकर मामले को संभालने की कोशिश की। लेकिन कमलनाथ की चुप्पी , पुष्पराजगढ – कोतमा विधायकों का उत्साह बढाने का पर्याप्त कारण बन गया। यह ऐसे वायरस की तरह फैला कि जिसकी परिणति पांच बार के वरिष्ठ कद्दावर जनजातीय नेता को दूसरे खेमे में धकियाता दिखा।
* जानकारों का मानना है कि प्रदेश की राजनीति में दबदबा बनाने की कांग्रेसी क्षत्रपों की आपसी खींचतान के बीच भाजपा को घसीट लिया गया। राज्यसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के प्रस्तावित नाम को प्रदेश से बाहर करने का यह सफल प्रयास था । अब सिंधिया तथा दिग्विजय दोनों इसके दावेदार हैं। जबकि भाजपा दूसरी सीट के लिये प्रयासरत है। मंत्रीमंडल विस्तार में अब निर्दलीय विधायकों तथा बिसाहूलाल सिंह की उपेक्षा कांग्रेस के लिये संभव नहीं दिखता। अन्य को निगम मंडल, आयोग में मनाने की कोशिश होगी।
इन सबके बीच कांग्रेस पर बदले की कार्यवाही के संगीन आरोपों के बीच भारतीय जनता पार्टी आगे बढकर बैटिंग करने के मूड में है। आगे आने वाला समय प्रदेश की राजनीति में बडा उठा पटक करवा सकता है। कौन बनेगा करोड़पति की तर्ज पर कौन बनेगा मंत्री वाला सीरियल जबर्दस्त हिट होने वाला है।