Sand के अवैध उत्खनन और परिवहन को लेकर रेत माफियाओं पर प्रशासन का कोई ख़ौफ़ नहीं है
भितरवार। Sand का काला कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है चाहे सरकार हो या प्रशासन माफियाओं पर लगाम कसने के दावे करते रहे हो लेकिन धरातल पर इसकी हकीकत ही कुछ और है प्रशासन भले ही Sand के अवैध उत्खनन और परिवहन को लेकर रेत माफियाओं पर सख्ती के दावे करता है लेकिन सच्चाई कुछ और ही है जिससे प्रशासन हो या सरकार मुंह नहीं फेर सकती है भले ही कार्यवाही के भी प्रशासन दावे करता हो लेकिन ये कार्यवाही सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही होती है।
ग्वालियर जिले की भितरवार तहसील में स्थित जीवनदायिनी सिंध नदी और पार्वती नदी से Sand के कारोबारियों के द्वारा नदी का सीना छलनी करके रेत का दिन रात अवैध उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है वहीं जिले से लेकर स्थानीय प्रशासन पूरी तरह इन पर लगाम लगाने में नाकाम है और धड़ल्ले से दिन रात रेत के डंपर और ट्रेक्टर ट्राली सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं ऐसा ही बुधवार को नजारा नगर के मैन तिराहे पर देखा जहां दिन दहाड़े रेत की ट्राली पुलिस थाने से निकलती हुई फर्राटे भरती हुई नजर आयी और प्रशासन सिर्फ चुप्पी साधे मूक दर्शक बना देखता रहा।
इधर Sand के अवैध उत्खनन से नदियों का सीना छलनी हो रहा है तो जलीय जीव जंतुओं पर भी जीवन का संकट बना हुआ है तो दूसरी ओर नदियों के बिगड़े स्वरूप से अभिज्ञ लोग नहाने धोने के दौरान पूर्व में कई बार हाद से का शिकार हो चुके हैं तो वहीं नदी क्षेत्र के आसपास के गांव में गर्मियों के मौसम में सबसे बड़ी समस्या गिरते भूजल स्तर को बनती है।
कई गांव में अवैध उत्खनन के कारण जल संकट उत्पन्न हो जाता है। तो पंचायत की बनाई गई सड़क भी ओवरलोड चल रही रेत की अवैध डंपर और ट्रैक्टर ट्राली से गारंटी पीरियड से पहले ही टूट कर नष्ट हो रहे हैं। जहां एक और Sand के अवैध उत्खनन से संबंधित नदी क्षेत्र के आसपास के गांव की आज भी स्थिति जहां आजादी के 75 वर्ष पूर्व थी वही की वही दिखाई दे रही है।
पद्मावती की ऐतिहासिक धरोहर भी हो रही है क्षतिग्रस्त
“पद्मावती , जिसे मध्य प्रदेश में आधुनिक पवाया के साथ पहचाना जाता है , एक प्राचीन भारतीय शहर था जिसका उल्लेख कई क्लासिक संस्कृत ग्रंथों, भवभूति के मालतीमाधवम , [1] बाना के हर्षचरित , [2] और राजा भोज के सरस्वतीकणभरण में किया गया है । भवभूति ने पारा और सिंधु नदियों के बीच स्थित शिखरों और द्वारों वाले ऊंचे मकानों और मंदिरों वाले शहर का वर्णन किया है।
यही देखा जाए तो बुंदेलखंड राज्य की स्थापना आज से 750 वर्ष पूर्व हुई थी जिसका श्रेय प्राचीन पद्मावती नगर के शासक महाराजा पुण्यपाल परमार थे। आज उनके किले के अस्तित्व को पवाया के असमाजिक तत्वों ने अवैध रेत उत्खनन कर नुकसान करने के लिए सतत् कार्य करते हैं, जिस पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से भितरवार एसडीम तहसीलदार और पुलिस थाने में मुख्यमंत्री के नाम गत वर्ष क्षत्रिय राजपूत समाज द्वारा ऐतिहासिक इमारत किले को हो रही छती को लेकर अवगत कराते हुए रेट के निकल रहे वाहनों पर रोक लगाने की मांग की गई थी
लेकिन प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की इसी से आंकड़ों से क्षत्रिय समाज के लोगों ने अपने पूर्वजों की ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए एक बार फिर प्रशासन को चेतावनी दी है कि जल्द से जल्द रेत के अवैध उत्खनन को किले की तलहटी से बंद कराया जाए अन्यथा संपूर्ण क्षेत्र का क्षत्रिय समाज अपने पूर्वजों की उपरोक्त ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा।
वहीं क्षत्रिय समाज के लोगों ने बताया कि सामाजिक स्तर की इसी मामले को लेकर जहां 1 जनवरी 2024 को ऐतिहासिक इमारत ग्राम पवाया में बैठक होना थी लेकिन किसी कारणवश नहीं हो सकी है लेकिन जल्द ही बैठक लेकर आगे के आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
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