Saudi Arab हज यात्रा : साउदी अरब ने हज आने वाले यात्रियों को लेकर एक ऐसा फैसला सुनाया है। जिससे 57 मुस्लिम देशों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
Saudi Arab Haj visit: साउदी अरब में मंगलवार रात को चांद का दीदार हुआ। बकरीद पर चांद दिखने के बाद साउदी अरब सरकार ने हज यात्रा की तारीखों एलान कर दिया है। साल 2025 की हज यात्रा 4 जून से प्रारंभ होगी। जून को इस्लाम का सबसे खास और पाक महीना माना जाता है। साउदी अरब की स्पेस ऑब्जवेट्री ने मंगलवार को चांद देखे जाने की जानकारी दी। जिसके बाद साउदी अरब सरकार ने हज यात्रा की तारीखों का एलान भी कर दिया। यानी अब मक्का में वार्षिक मुस्लिम हज तीर्थ यात्रा 4 जून से शुरू होगी। बता दें कि साउदी अरब की आधिकारिक साउदी प्रेस एजेंसी की तरफ से जारी एक बयान में सुप्रीम कोर्ट ने डेट का एलान किया। वैसे दुनियाभर में बकरीद जुल – हिज्जा 10 तारीख को मनाया जाता है।
हज यात्रा के लिए पहुंचने लगे लोग
आपको बता दें कि ईद – उल- अजहा को ईद- उल – जुहा , बकरीद या कुर्बानी का पर्व कहा जाता है। हज की यात्रा के लिए दुनियाभर के मुस्लिम तीर्थ यात्री मक्का पहुंचते हैं। साउदी अरब के हज मंत्री तौफिक अल रबिया ने बताया कि हज की तारीखों के एलान से पहले ही लगभग 10 लाख हज यात्री साउदी अरब पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल 18 लाख हज यात्री आए थे। इस बार ये संख्या और बढ़ सकती है। हज यात्रा में पुरुष और महिलाएं दोनों ही बड़ी संख्या में आते हैं। बता दें कि हज इस्लाम के पांच प्रमुख स्तंभों में से एक है। और इसे प्रत्येक मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार करना अनिवार्य बताया गया है।
भारत में कब होगी बकरीद
इस बार हजयात्रा 4 जून से होगी। हजयात्रा की तारीख इस्लामिक चंद कैलेंडर के अनुसार तय होती है। यह तारीख हर साल बदलती रहती है। साउदी अरब में इस वर्ष अधिक गर्मी महसूस की जा रही है। पिछले साल साउदी अरब का तापमान 51 डिग्री सेल्सियस तक गया था। इतनी गर्मी के बीच 1300 लोगों की मौत हुई थी। भारत में 27 मई को चांद देखा गया। जिसके अनुसार 28 मई को जुल हिज्जा का महीना शुरू होगा। यानी बकरीद 6 जून को मनाई जाएगी। क्योंकि जुल हिज्जा के ठीक दसवें दिन ही बकरीद मनाई जाती है। लेकिन भारत , पाकिस्तान , मलेशिया, बांग्लादेश और दक्षिण एशियाई देशों में बकरीद 7 जून को होगी।
क्यों की जाती है हज यात्रा
इस्लाम के पांच स्तंभ प्रमुख माने जाते हैं। जिसमें कलमा, नमाज, रोजा, हज और जकात हैं। ये सभी अरबी शब्द है। इस्लामी मान्यता के अनुसार हर एक मुस्लिम को हज यात्रा करना चाहिए। एक सच्चे मुसलमान को अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार हज यात्रा जरुर करनी चाहिए। जिनको बीमारी है , आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उनके लिए छूट दी गई है। इस्लाम की पवित्र किताब कुरान की तीसरी सुरह अल इमरान की आयत नंबर 96 में सभी मुसलमानों को हुक्म दिया गया है कि लोगों की इबादत के लिए , जो पहले घर बनाया गया हो वो यकीनी तौर पर खाना ए काबा है। 97 सूरा में कहा गया है कि जो लोग सक्षम है। वो हज यात्रा जरुर करें। बता दें कि 628 ईस्वी में पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अपने 1400 अनुयाइयों के साथ हज यात्रा शुरू की थी। इसे इस्लाम की पहली तीर्थ यात्रा भी कहा गया था। ऐसा माना जाता है कि हज यात्रा करने से हर दुआ कबूल होती है। बड़ी से बड़ी बीमारी , परेशानी ठीक हो जाती है। बुरा इंसान भी अच्छे रास्ते पर चलने लगता है |
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