चित्रकूट के खूबसूरत जंगल को विभाग ही बना रहा बदसूरत
रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य जंगल समेत चित्रकूट जनपद के जंगलों की हरियाली को खतरा पैदा हो गया है। यह खूबसूरत जंगल बदसूरत होता चला जा रहा है। रोजाना प्रतिबंधित वृक्षों की लकड़ियांऊ बेधड़क काटी जा रही है। रात्रि मे वाहनों द्वारा काटी गई लकड़ी का परिवहन किया जाता है। इस खेल मे विभागीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। जिनके हाथों मे जंगल की रखवाली का जिम्मा है वही अधिकारी मोटी कमाई के चक्कर मे जंगल के अस्तित्व को खत्म करने मे तुले हुए हैं। इन अधिकारियों पर लगाम न लगाए जाने की वजह से जंगलों की हरियाली खत्म होती जा रही है। जिम्मेदार महकमे के अधिकारी और कर्मचारी कोई ध्यान नहीं दे रहे है। मानिकपुर और मारकुंडी वन परिक्षेत्र के रानीपुर वन्य जीव बिहार के जंगल से हर रोज सैकड़ों गठ्ठर लकड़ी निकाली जा रही है। लकड़ी तस्करों के इसारे पर स्थानीय लोग प्रतिबंधित वृक्षों में कुल्हाड़ा चटका रहे है। इसी लकड़ी को ट्रेनों और चार पहिया वाहनों के जरिए बड़े शहरों में बिक्री के लिए भेजी जाती है। इससे अब जंगल की हरियाली को खतरा पैदा हो गया है। प्रत्येक वर्ष हरियाली लाने के नाम पर पौधरोपण अभियान चलाया जाता है। इसमें सरकार का मनमानी पैसा खर्च होता है। लेकिन जिम्मेदार महकमे के कर्मचारी इस तरह से काटे जा रहे वृक्षों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे है। अभयारण्य से बेखौफ होकर हरे-भरे जंगल को उजाड़ा जा रहा है। लगातार कई वर्ष से सेंचुरी के जंगल मे अवैध कटान हो रहा है। अवैध कटान की वजह से जंगल में रहने वाले वन्यप्राणियों का भी अस्तित्व संकट में है।
वन्यजीवों के शिकार का केन्द्र मानिकपुर जंगल।
वन्यजीवों के शिकार का केन्द्र रानीपुर वन्यजीव बिहार मानिकपुर वन परिक्षेत्र का जंगल शिकारियों के लिए मुफीद बना हुआ है। यहां करंट प्रवाहित बिजली के नंगे तार तार मे फंसा कर वन्यजीवों का शिकार किया जाता है। इसका ज्वलंत उदाहरण निहीं चरैया जंगल मे भालू, तेंदुआ, बंदर इत्यादि जानवरों की डेडबॉडी के साथ मानिकपुर सेंचुरी क्षेत्र के करौंहा जंगल मे भालू का झुलसा शव मिलना है। फिर भी अधिकारियों को जंगल और वन्यजीवों के हिफाजत की कोई फिक्र नहीं है।
बेसकीमती पेड़ों का हो रहा सफाया।
रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य जंगल मे लोगों का प्रवेश पूर्णतः वर्जित है। लेकिन जिस जंगल मे घुसने के लिए पूर्णतः मनाही है उन्हीं जंगलों के बेसकीमती पेड़ों को काटा जा रहा है। जंगल मे हो रहे अवैध कटान से वन्यजीवों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। लगातार जंगल क क्षेत्रफल सिमटता जा रहा है। तमाम विशेषताओं को अपने आप मे समेटे रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य क यह खूबसूरत जंगल अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है।
उच्चाधिकारियों के आने पर तस्करों कर दिया जाता है सतर्क।
तस्करों और अधिकारियों के मिली भगत से जब भी कोई अधिकारी इस जंगल का निरीक्षण करने आता है तो उन्हें जंगल न घुसने के लिए सतर्क कर दिया जाता है। साथ ही रास्तों के आसपास कटे पड़े पेड़ों को वन वाचरों से हटवा दिया जाता है। जिससे अधिकारियों को कमी नजर न आए।
संसाधनों के अभाव मे निहत्थे गश्त कर रहे वनकर्मी- वनकर्मियों के लिए संसाधन अपर्याप्त हैं। हर वन रेंज को दो रायफलें व अन्य सुरक्षा उपकरण दिए जाने चाहिए लेकिन वनकर्मियों के पास अपने बचाव से लेकर वन्यजीवों के सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं है। जबकि वन विभाग के एसडीओ आरके दिक्षित का कहना है की हर वन रेंज मे दो-दो रायफलें दी गई हैं, जबकि सच्चाई यह है की आज भी वनकर्मी निहत्थे होकर गश्त कर रहे हैं।
इन जंगलों मे होती अवैध कटान
निहीं चरैया
●रानीपुर
●कल्याणपुर
●नागर
●मऊ गुरदरी
●करौंहा
●मारकुंडी
●ददरीमाफी
●कर्बी
●बहिलपुरवा
●रैपुरा
●बरगढ
●डोड़ामाफी
●जारोमाफी
●कुसुमी
●बम्भिया
●जमुनिहाई
●देवांगना