प्रशासकों के समक्ष वितीय संकट-आँचलिक ख़बरें-संजय सोनी

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पंचायतों का वितीय प्रबन्ध गड़बड़ाया

झुंझुनू।जिले में चुनावी वर्ष में निवर्तमान सरपंचों द्वारा नियमित बजट की आस में उबलब्ध राशि से अधिक के कार्य करवाकर ग्राम पंचायतों पर अतिरिक्त देनदारियां सृजित कर दी है।दूसरी ओर केंद्रीय तथा राज्य अनुदानों की यू-सी समय पर नहीं देने के कारण आगामी साल के अनुदान प्राप्त होने में विलंब के चलते पंचायतों के नियमित खर्च का वितीय प्रबन्ध गड़बड़ा गया है।
चालू वित्तीय वर्ष में जिले की तीनों स्तर की पंचायती राज संस्थाओं की केंद्रीय तथा राज्य वित्त आयोग की अभिशंषा पर 142 करोड़ की राशि आवंटित की गई थी। जिसमे से 58 करोड़ रुपये जनवरी के अंतिम सप्ताह में प्राप्त हुये,जब तक सरपंच,प्रधान, प्रमुख का कार्यकाल समाप्त होने को था। सरपंचों ने सोची समझी रणनीति के तहत इस राशि की आस में उपलब्ध राशि से अधिक के सड़क,नाली,सोख्ता गड्ढे,पाइप लाइन आदि अधिक बचत वाले काम करवा दिये।जिसके कारण सामग्री आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों के पक्ष में देनदारियां सृजित हो गई।
उधर कई महीनों तक बिजली बिल,पंचायत सहायकों,पम्प चालकों सुरक्षा गार्डों का मानदेय,इंटरनेट बिल,ऑडिट फीस आदि का चुकारा नहीं करने के कारण व्यवस्था गड़बड़ाने की स्थिति में आ गई।पंचायत समिति नवलगढ़ को छोड़कर जिले में ग्राम विकास अधिकारियों के प्रशासक लग जाने पर उनके समक्ष व्यवस्था बनाये रखने तथा पूर्व सरपंचों द्वारा करवाये गये कामो का भुगतान करने का दोहरा दबाव पड़ रहा है। संविदा कर्मियों के मानदेय भुगतान महीनों तक बकाया होने की शिकायत के बाद जिला परिषद के सीईओ रामनिवास जाट ने सभी प्रशासकों को सख्त हिदायत दी है कि बिजली बिल,ऑडिट फीस तथा कर्मचारियों का मानदेय भुगतान न होने तक पूर्व सरपंच या ठेकेदार को कोई भुगतान नही किया जावे।
उधर नवलगढ़ ब्लॉक में नवनिर्वाचित सरपंचों ने विकास कार्यों के वादे कर रखे हैं,परन्तु पूर्व में प्राप्त राशि का समायोजन न होने के कारण आगामी वितीय वर्ष के लिए आवंटित होने वाली राशि आगामी जुलाई से पूर्व प्राप्त होने की संभावना नहीं लगती।ऐसी स्थिति में पंचायतों के समक्ष आगामी 6 महीनों तक नियमित खर्च का वितीय संकट ही रहेगा।

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