अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक रावण दहन सम्पन्न-आँचलिक ख़बरें-महताब आलम

News Desk
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 अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक रावण दहन सम्पन्न

डीएम गाज़ीपुर के हाथों रावण दहन हुआ सम्पन्न।

कोविड काल में मास्क पहने रावण पुतले ने समाज को दिया संदेश।

गेट बंद कर सीमित लोगो के बीच जिला प्रशासन और आयोजको ने निभाई परंपरा।

 

गाज़ीपुर में अतिप्राचीन रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित दशहरा कोरोना प्रोटोकाल के तहत मानाया गया, कोरोना महामारी के चलते इस बार विजयादशमी पर जिला मुख्यालय के लंका मैदान में रावण के पुतले का दहन राम रावण युद्ध के मंचन के बाद किया गया, इस दौरान गाज़ीपुर जिलाधिकारी एमपी सिंह और पुलिस अधीक्षक रामबदन सिंह, भारी पुलिस बल के साथ उपस्थित रहे,

पहले से तय कार्यक्रमानुसार शाम् को दशमी की बेला में डीएम के हाथों रावण का दहन परम्परानुसार हुआ। इस दौरान डीएम ने एमपी सिंह ने कहा कि आज पावन पर्व विजयदशमी के अवसर पर सर्वप्रथम जनपद के सभी जनपद वासियों को हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं देता और प्रार्थना करता हूं कि जनपद गाजीपुर में सुखी रहे समृद्ध रहे और सदैव अपने विकास पथ पर अग्रसर होते रहे आज का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई का और सत्य पर असत्य का प्रतीक है लोगों से प्रार्थना है कि लोग मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी के सत्य कर्मों से और उनके जीवन आचरण से सीख ले और हमेशा अच्छे कार्य करें और बुराई पर अच्छाई का यह त्यौहार हमेशा मनाते रहे

वहीं सुरक्षा सुरक्षा को लेकर गाज़ीपुर एसपी राम बदन सिंह ने कहा कि यह अति प्राचीन रामलीला कमेटी है और सैकड़ों वर्षो से यहां रावण दहन का प्रोग्राम होता रहा है आज देख करके थोड़ा सा कष्ट हुआ कि कोरोना की वजह से मिलो अंदर नहीं आ सके क्योंकि सबको सुरक्षित रहने का और अपने आप को बचाना है पूरे देश को बचाना है और उसी के तहत यह पूरा कार्यक्रम संपन्न किया गया है और इसके लिए लोगों से मैं क्षमा भी चाहता हूं कि कुछ लोगों को कष्ट भी हुआ कि हम लोग अंदर नहीं आ पाए हैं लेकिन यह कोरोना के चलते सब करना पड़ा है फिर भी जनता को मैं बहुत-बहुत बधाई दूंगा कि उन्होंने बड़े धैर्य से ही हमारा साथ दिया जिससे प्रोग्राम सकुशल संपन्न हो सका है.

बतादें की जिले की साढ़े 4 सौ साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए आयोजको द्वारा 30 फीट का रावण बनाया गया था जो हर साल 70 से 80 फ़ीट का रावण के पुतला बनाया जाता था। लेकिन कोरोना को देखते हुए रावण के पुतले को छोटा कर दिया गया था। रावण दहन के बाद सुंदर आतिशबाजी मौजूद लोगों का मन मोह लिया। इस बार दशहरा बिना भीड़ और मेला आयोजन के अधिकारियों की मौजूदगी में परंपरा को निभाते हुए रावण दहन कार्यक्रम प्रतीकात्मक रुप से सम्पन्न कराया गया।

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