हरकार्य की शुरुआत रावण पूजा के बाद
मंदिर में लेटी मुद्रा में है रावण की विशाल काय प्रतिमा
दशहरे को उत्सव के रूप में मनाते है रावण के ग्रामीण
गाँव के युवक अपने हाथों पर आदि पर गुदवाते ह ‘जय लंकेश
रावन गाँव मे बर्षो से चली आ रही है रावण पूजा की प्रथा
रावण एक ऐसा नाम. जिसे सुनते ही एक दानव और एक भक्त की मिली जुली छवि, दिमाग में बनती है.रावण एक महान शिव भक्त के साथ साथ विद्वान भी था. आइये आपको एक ऐसे गांव ले चलते हैं, जहां रावण प्रथम पूज्य हैं।
ये गांव है रावन विदिशा जिले की नटेरन क्षेत्र में, रावन इस गांव के अराध्य हैं रावण बाबा. गांव में किसी के घर शादी हो. या किसी नए काम की शुरुआत, यहां सबसे पहले रावण बाबा की पूजा करने की प्रथा सालों पुरानी हैं. कभी आपने बुराई के प्रतीक माने जाने वाले, रावण को शुभ काम में पूजते हुए नहीं देखा होगा, लेकिन यहां ऐसा हजारों सालों से चला आ रहा है।
पूरा देश विजयादशमी में रावण दहन के साथ ही, बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न मनाता हैं. लेकिन विदिशा के रावन गांव में लोग रोजाना ही रावण बाबा को पूजते हैं. और शुभ काम की शुरुआत रावण के नाम से ही करते हैं. कुछ ऐसी ही भारत की विविधताओं से भरी संस्कृति. और शायद इसलिए ही कहा जाता है कि, इंसान के भीतर राम भी हैं, और रावण भी।