बदायूं!जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी दलाली का अड्डा बन गया है। यहां चाहे पट्टी कराने आओ या फिर हड्डी जुड़वाने। यहां हर काम का रुपया जाता है।सबसे बड़ा दलाली और वसूली का काम झगड़े के मेडिकल मुआयने में हो रहा है।रुपया खर्च करो जिस धारा में चाहो रिपोर्ट ले लो। स्कूल में मेडिकल
सार्टिफिकेट बनवाने हों तो रुपया खर्च करो, यहां हर काम का रुपया वसूला जा रहा है। वसूली का सच सामने आया तो बड़े अफसर बच गये और छोटे कर्मचारी को निलंबित कर दिया।
जिला पुरुष अस्पताल की इमरजेंसी पर वसूली का मामला सामने आया है। जिसके बाद सीएमएस ने माली को निलंबित
कर दिया है जिसमें रिश्वतखोरी का मामला उजागर होने पर माली की भूमिका नजर आई थी। इमरजेंसी में काम करने वाले कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सीएमएस ने तो मामला उजागर होने पर एक छोटे कर्मचारी को नाप दिया है। जबकि सब जानते हैं कि वसूली कौन कर रहा और रुपया
कौन ले रहा है। बंगले में क्या क्या हो रहा है। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में हड्डी तोड़कर और जोड़कर दोनों प्रकार से धारा बनाने के नाम पर वसूली की जाती है। यहां मेडिकल को लीगल करने की फीस 50 रुपये है लेकिन यहां धारा 307, 302 और 326 सहित गंभीर धारायें बनाने के नाम पर 50-50 हजार रुपये तक लिये जाते हैं। इसके बाद ड्यूटी खत्म होने पर हिस्सेदारी होती है।
इमरजेंसी की ड्यूटी लगवाने के पांच से दस हजार
जिला पुरुष अस्पताल में हर कुर्सी पर खेल चल रहा है। ऐसा नहीं है कि इमरजेंसी में ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों से लेकर कर्मचारियों तक ऐसे ही मोटी मलाई मार रहे हैं। जब महीने की 30 और 31 तारीख को अगले पूरे महीने की जब ड्यूटी लगाई
जाती है। तब ड्यूटी लगाने वाले को पांच से दस हजार चुपचाप देने पड़ रहे हैं। डॉक्टर स्तर पर दस हजार, फार्मासिस्ट पांच हजार और वार्डव्याय स्टाफ नर्स तीन हजार रुपये देकर ड्यूटी लगवा रहे हैं।मलाई दार इमरजेंसी की ड्यूटी को कर्मचारी भी
खुशी खुशी रुपया दे देते है।फिर शुरू होती है गरीब जनता से ब्याज सहित वसूली।कितनी भी शिकायत करो कोई सुनने वाला नहीं।सरकारी अस्पताल में भ्रष्टाचार चरम पर है।फिर भी जिम्मेदार खामोश हैं