दिन विशेष का बनकर रह गया शहीद स्मारक
झुंझुनू। कहा तो यह जाता है कि शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा लेकिन झुंझुनू के शहीद स्मारक पर तो अव्यवस्थाओं का आलम इस प्रकार से फैला हुआ है की शहीदों की याद प्रशासन व नेताओं को महज दिन विशेष पर ही याद आती है।शहीद स्मारक झुंझुनू के रखरखाव हेतु कोई विशेष इंतजाम कहीं नजर नहीं आते हैं एक तरफ प्रदेश में जितने भी शहीद हुए हैं उनकी मूर्तियों को स्वयं के खर्चे लगाने का बीड़ा उठाए हुए है पूर्व जिला सैनिक कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजौर वही झुंझुनू के शहीद स्मारक पर आमजन हेतु बैठने को लगी कुर्सियां जो प्रेम सिंह बाजौर की नाम पट्टिका लगी हुई है की दयनीय स्थिति बनी हुई है जो जिला प्रशासन की नाक तले बने शहीद स्मारक में आमजन के लिए पीड़ादायक तो है ही साथ ही जिला प्रशासन के लिए गहन चिंतन का विषय होना चाहिए।देश में सबसे अधिक सैनिक और शहीद देने वाले जिला झुंझुनू के शहीदों को और उनके परिजनों को यह बात अवश्य खलती होगी कि जिन सैनिकों ने अपने प्राण देश की रक्षा हेतु न्यौछावर कर दिए उनकी याद में बना शहीद स्मारक पर उन शहीदों के नाम भी आज उजले हुए दिखाई देने की बजाय धुंधले पड़ते नजर आ रहे हैं। शहर के गांधी उद्यान हो या शहीद स्मारक उसकी ओर जिला प्रशासन का ध्यान ना जाना या उसे गौण करना किसी भी तरह से जायज नहीं कहा जा सकता। शहीद स्मारक पर पक्षियों के लिए लगाए गए परिंडे भी आज अपना स्वरूप खोते जा रहे हैं।परिंडो के अंदर पानी के अभाव में कई परिंडों को पेड़ पर ही उल्टा लटकाया जा चुका है तो साथ ही कुछ परिंडे टूटे हुए भी शहीद स्मारक पर नजर आ रहे हैं।
जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते दिन विशेष का बनकर रह गया है शहीदों की याद में बना झुंझुनू का शहीद स्मारक।दिन विशेष पर आए पुष्प अर्पित कर शहीदों के बारें में दो शब्द, सौ वादे के साथ ही खत्म होते विशेष दिन शहीदों को श्रद्धांजलि के नाम पर शहीदों का अपमान प्रतीत ना हो इस बाबत जिला प्रशासन को तत्काल शहीद स्मारक की सुध लेनी चाहिए।