कई प्रदेशों में है जिले के तेंदूपत्ता की मांग, हर साल सीधे समितियों से अनुबंध कर रहे ठेकेदार
जिला कटनी – तेंदूपत्ता वनोपज के माध्यम से संग्राहकों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर में बढ़ोत्तरी की है ताकि संग्राहकों को सीधे लाभ मिल सके। दर में वृद्धि करने से संग्राहकों में भी खुशी है।
कटनी जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण के माध्यम से 45 हजार संग्राहकों के एक लाख 26 हजार 866 परिवारिक सदस्यों का जीवन खुशहाल हो रहा है। जिले में 5 मई से वन उपज समितियों के माध्यम से तेंदूपत्ता की खरीदी की जा रही है और हर साल करोड़ों रूपये का भुगतान संग्राहकों को किया जा रहा है। इसके अलावा वनोपज से होने वाली आय के लाभांश का हिस्सा भी संग्राहकों तक पहुंचाने का कार्य वन विभाग कर रहा है।
वन संरक्षक आरसी विश्वकर्मा ने बताया कि जिले के जंगलों में पैदा होने वाले तेंदूपत्ता की डिमांड प्रदेश के साथ ही दूसरे प्रदेशों में भी है और यही कारण है कि हर साल ठेकेदार समितियों से सीधे अनुबंध कर लेती हैं और तेंदूपत्ता की सीधी खरीदी करती हैं। इस साल जिले में 30 समितियों के माध्यम से तेंदूपत्ता की खरीदी का कार्य जिले भर में किया जा रहा है। 30 समितियों में से 27 समितियों से सीधे ठेकेदार खरीदी कर रहे हैं जबकि तीन समितियों से तेंदूपत्ता की खरीदी विभागीय स्तर पर हो रही है। जिले में इस साल मध्यप्रदेश के साथ ही उत्तरप्रदेश और तेंलगाना की कंपनियों ने सीधे खरीदी के लिए अनुबंध किया है।
37 सौ मानक बोरा का रखा गया है लक्ष्य
इस साल जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए 37 सौ मानक बोरा का लक्ष्य तय किया गया है और उसके माध्यम से संग्राहकों को 11 करोड़ 33 लाख रूपये का भुगतान किया जाना है। जिसमें से अभी तक 16 हजार 521 मानक बोरा का संग्रहण हो चुका है और 25 जून तक संग्रहण का कार्य जारी रहेगा।
3000 रूपये मानक बोरा की मान से होगा भुगतान
तेंदूपत्ता संग्राहकों को इस साल प्रदेश सरकार ने प्रति मानक बोरा 500 रूपये अधिक देने की घोषणा की है। जिसके आदेश जारी हो चुके हैं और जिले में भी इस साल 250 रूपये प्रति सैकड़ा तेंदूपत्ता के स्थान पर 300 रूपये प्रति सैकड़ा का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा लाभांश का वितरण भी शासन के निर्देशानुसार संग्राहकों को किया जाएगा।