सतना, जांच के बाद जिले की तहसीलों में कितने एकड़ जमीन शासकीय घोषित की गई और कितने प्रकरणों पर आरोपियों के खिलाफ संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। मैहर के भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने यह सवाल विधानसभा पटल पर राजस्व मंत्री के समक्ष रखते हुए मामले से संदर्भित जानकारी प्रकरण वार तहसीलवार चाही हैं। मैहर विधायक द्वारा विधानसभा में लगाए गए अतारांकित प्रश्न क्रमांक 1080 के तहत चाही गई इस आशय की जानकारी का जबाब विधानसभा भेजने प्रशासनिक अमले को पसीना छूट रहा है।
सूत्रों की मानें तो विरसिंहपुर तहसीलदार ने अपने क्षेत्र से संदर्भित चाही गई जानकारी में तत्कालीन कलेक्टर के पत्र क्रमांक 87 दिनांक 22-06-2016 द्वारा बंदोबस्त
मैहर के भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने विधानसभा में पूछा सवाल | पांच साल बाद फिर विधानसभा में गूंजेगा जिले की सरकारी जमीन खुर्द-बुर्द करने का मामला
मैहर जवाब
प्रकरण तहसीलवार
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गए ये सवाल
क्या यह सत्य है कि तत्कालीन कलेक्टर सतना द्वारा पत्र क्र. 87 दिनांक 22032016 को पत्र जारी कर वर्णित प्रकरणों की पूर्व बन्दोबस्ती एवं वर्ष 1959 की भूस्वामी शासकीय स्थिति के आधार पर कार्यवाही करते हुए जांच हेतु जिले के समस्त अनुविभागों के संबंधित अनुविभागीय अधिकारियों की अध्यक्षता में एक विशेष जांच समिति गठित की गयी थी। कमेटी को गठित हुए 5 वर्ष से अधिक हो गए। उक्त 5 वर्षों में पूरे जिले के तहसीलों में कितने एकड़ जमीन शासकीय घोषित की गई और कितने प्रकरणों में संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है।
1958-59 की भू.स्वामी शासकीय स्थिति के आधार पर जिले के समस्त अनुविभाग के संबंधित अनुविभागीय अधिकारियों की अध्यक्षता में एक विशेष जांच कमेटी गठित होने मात्र का जिक्र करते हुए शेष जानकारी का बिरसिंहपुर तहसील में निरंक होना बताया
विधानसभा में उठाए
अगर एफआईआर नहीं कराई गई
तो कब तक करा दी जाएगी तथा राजस्व विभाग के पटवारी एवं तहसीलदार जो शासकीय जमीन को खुर्द-बुर्द करने में शामिल रहे उन पर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई। तहसील रघुराजनगर उचेहरा मैहर के अंतर्गत आने वाले पटवारी हल्का चाहे शहर के हो या ग्रामीण के उन हल्कों में कितनी आराजी 1958- 59 में शासकीय थी। कितनी आवंटित हुई एवं आवंटित आराजी बिना कलेक्टर के मंजूरी के कितनी बिक गई। हल्कावार बताएं तथा कितनी शासकीय आराजियों में भू-माफियाओं का आज भी यह है कब्जा है। रिकार्ड में मप्र शासन है और कब्जा दूसरों का है। उक्त तहसील में कितनी आवंटित आराजियों के नामांतरण हो गए. कितने प्रकरण पटवारियों द्वारा रोके गए तथा कितने ऐसे प्रकरण हैं जिसमें पटवारी ने अपने प्रतिवेदन में कहा हो कि उक्त आराजी 1958-59 में शासकीय है, सूत्रों के अनुसार मैहर के उमरी पहला मैं ज्यादातर जमीन लील जी बांध की है या कृषि फार्म हाउस की है यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम से मकान बनवा लिए गए हैं एवं तालाब के सामने आलू की खेती तार लगाकर की जा रही है आंचलिक समाचार ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया है उचेहरा में कुछ पहाड़ काटकर मकान बनवा लिए गए हैं मंदिर की आड़ में हेल्थ क्लब और दुकानें चल रही है

