आखिर क्या है स्टार्टअप इंडिया की स्टार्टअप सीड-फंड स्कीम?

Aanchalik Khabre
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SISFS

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS) का परिचय

भारत में स्टार्टअप कल्चर तेज़ी से बढ़ रहा है, लेकिन शुरुआती चरण में फंडिंग पाना कई उद्यमियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसी जरूरत को देखते हुए उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (Startup India Seed Fund Scheme – SISFS) की शुरुआत की।

  • लॉन्च डेट: 19 अप्रैल 2021

  • बजट: ₹945 करोड़

  • उद्देश्य: शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स को Proof of Concept, प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, प्रोडक्ट ट्रायल, मार्केट एंट्री और बिज़नेस विस्तार के लिए फंडिंग देना।

  • तरीका: फंड सीधे स्टार्टअप को नहीं, बल्कि देशभर के मान्यता प्राप्त इनक्यूबेटर्स के माध्यम से दिया जाता है।


इस योजना का उद्देश्य

इस स्कीम का मकसद स्टार्टअप्स को इतना मज़बूत बनाना है कि वे आगे चलकर:

  • एंजेल इन्वेस्टर्स या वेंचर कैपिटलिस्ट से निवेश जुटा सकें

  • बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लोन ले सकें

  • अपने बिज़नेस को स्केल कर सकें


कौन सा बिज़नेस “स्टार्टअप” कहलाएगा?

किसी इकाई को स्टार्टअप मानने के लिए ये शर्तें पूरी करनी होंगी:

  1. कंपनी का प्रकार – प्राइवेट लिमिटेड, पंजीकृत पार्टनरशिप फर्म या LLP।

  2. उम्र – पंजीकरण के 10 साल के भीतर।

  3. टर्नओवर – किसी भी वित्तीय वर्ष में ₹100 करोड़ से अधिक नहीं।

  4. नवाचार – नए उत्पाद, सेवा या प्रक्रिया में इनोवेशन या सुधार।

  5. स्केलेबिलिटी – रोजगार और संपत्ति निर्माण की क्षमता हो।

  6. मूल व्यवसाय – किसी मौजूदा बिज़नेस के विभाजन या पुनर्निर्माण से स्थापित न हो।


योजना की मुख्य विशेषताएं

  • आवेदन पूरे साल खुले रहते हैं (स्टार्टअप और इनक्यूबेटर दोनों के लिए)

  • किसी भी सेक्टर के स्टार्टअप आवेदन कर सकते हैं

  • फिजिकल इनक्यूबेशन ज़रूरी नहीं

  • पूरे भारत के लिए खुला

  • एक स्टार्टअप एक साथ 3 इनक्यूबेटर्स को आवेदन कर सकता है


योजना से मिलने वाले लाभ

  1. ग्रांट – ₹20 लाख तक (Proof of Concept, प्रोटोटाइप, प्रोडक्ट ट्रायल के लिए)

  2. किस्तों में भुगतान – माइलस्टोन पूरे होने पर अगली किस्त

  3. निवेश – ₹50 लाख तक (मार्केट एंट्री, बिज़नेस विस्तार के लिए)

  4. शर्तें

    • नई बिल्डिंग/ऑफिस के लिए पैसा इस्तेमाल नहीं होगा

    • लोन ब्याज दर रेपो रेट से अधिक नहीं

    • लोन अवधि अधिकतम 5 साल, शुरुआती 12 महीने तक भुगतान से छूट


पात्रता (Eligibility)

  • DPIIT मान्यता प्राप्त स्टार्टअप

  • आवेदन के समय कंपनी 2 साल से अधिक पुरानी न हो

  • बिज़नेस आइडिया में मार्केट फिट और स्केलिंग की क्षमता हो

  • टेक्नोलॉजी-आधारित समाधान हो

  • प्राथमिकता इन क्षेत्रों को:

    • सोशल इम्पैक्ट

    • वेस्ट/वॉटर मैनेजमेंट

    • फाइनेंशियल इन्क्लूज़न

    • शिक्षा, कृषि, हेल्थकेयर, बायोटेक, फूड प्रोसेसिंग

    • ऊर्जा, मोबिलिटी, रक्षा, अंतरिक्ष, रेलवे, तेल-गैस, टेक्सटाइल्स

  • पहले किसी अन्य सरकारी योजना से ₹10 लाख से अधिक न मिले हों (कुछ अपवाद छोड़कर)

  • भारतीय प्रमोटर्स की हिस्सेदारी कम से कम 51% हो


आवेदन प्रक्रिया

  1. ऑनलाइन आवेदनStartup India Seed Fund Portal पर।

  2. लॉगिन – वही क्रेडेंशियल्स इस्तेमाल करें जो स्टार्टअप रजिस्ट्रेशन के समय थे।

  3. इनक्यूबेटर चयन – अधिकतम 3 इनक्यूबेटर्स प्राथमिकता क्रम में चुनें।

  4. दस्तावेज़ अपलोड – टीम प्रोफाइल, बिज़नेस मॉडल, मार्केट साइज, फंड उपयोग योजना आदि।

  5. कोई शुल्क नहीं – न आवेदन शुल्क, न चयन के बाद फीस।


चयन प्रक्रिया

ISMC (Incubator Seed Management Committee) मूल्यांकन करती है, जिसमें शामिल होते हैं:

  • इनक्यूबेटर प्रतिनिधि (चेयरमैन)

  • राज्य सरकार प्रतिनिधि

  • वेंचर कैपिटल/एंजेल नेटवर्क प्रतिनिधि

  • उद्योग और अकादमिक विशेषज्ञ

  • सफल उद्यमी

चयन मानदंड:

  • मार्केट गैप और समस्या का समाधान

  • तकनीकी दावे और रोडमैप

  • ग्राहकों और देश पर असर

  • तकनीक की विशेषता, IP अधिकार

  • टीम की क्षमता

  • निवेश की सही योजना

समय सीमा – 45 दिन में चयन, रिजल्ट पोर्टल पर उपलब्ध।


जरूरी दस्तावेज़

  • बोर्ड रेज़ोल्यूशन / ऑथराइजेशन लेटर / पावर ऑफ अटॉर्नी

  • पैन कार्ड, जीएसटी नंबर, आधार कार्ड

  • बैंक डिटेल्स

  • कंपनी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट / पार्टनरशिप डीड

  • वित्तीय विवरण

  • प्रोडक्ट/सर्विस डिटेल्स वाला वीडियो

  • अन्य आवश्यक दस्तावेज़ (यदि मांगे जाएं)


प्रोजेक्ट फेल होने पर

यदि प्रोजेक्ट सफल नहीं होता है, तो उद्यमी को:

  • अपनी सीख और असफलता के कारण रिपोर्ट में बताने होंगे

  • अंतिम रिपोर्ट और ऑडिटेड खर्च प्रमाण पत्र जमा करना होगा


इनक्यूबेटर फीस नीति

इनक्यूबेटर या उसके स्टाफ को चयन, भुगतान, निगरानी के लिए कोई शुल्क (नकद या वस्तु में) लेने की अनुमति नहीं है। सभी प्रक्रियाएं पारदर्शी और नि:शुल्क होती हैं।


शिकायत या देरी की स्थिति

DPIIT ने शिकायत निवारण सेल बनाया है, जहां आवेदन की देरी, फंड रिलीज में देरी जैसी समस्याएं दर्ज कराई जा सकती हैं।

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