जीवन की बुराइयां शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी

News Desk
By News Desk
4 Min Read
WhatsApp Image 2023 02 16 at 5.23.55 PM

भैयालाल धाकड़

 

विदिशा // प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सेवाकेंद्र गुलाबगंज में शिव जयंती महोत्सव के उपलक्ष में भव्य शोभायात्रा मुख्य मार्गो से निकाली गई एवं गोकुल गार्डन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने शिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि महाशिवरात्रि पर्व पर हम शिवालयों में अक-धतूरा, भांग आदि अर्पित करते हैं। इसके पीछे आध्यात्मिक रहस्य यह है कि जीवन में जो कांटों के समान बुराइयां हैं, गलत आदतें हैं, गलत संस्कार हैं, कांटों के समान बोल, गलत सोच को आज के दिन शिव पर अर्पण कर मुक्त हो जाएं। हम दुनिया में देखते हैं कि दान की गई वस्तु वापस नहीं ली जाती है। इसी तरह परमात्मा पर आज के दिन अपने जीवन की कोई एक बुराई जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही है, सफलता में बाधक है उसे शिव को सौंपकर मुक्त हो जाएं। अपने जीवन की समस्याएं, बोझ उन्हें सौंप दें। फिर आपकी जिम्मेदारी परमात्मा की हो जाएगी।WhatsApp Image 2023 02 16 at 5.23.54 PM
एक बच्चे का हाथ जब उसके पिता पकड़कर चलते हैं तो वह निश्चिंत रहता है। इसी तरह हम भी यदि खुद को परमात्मा को सौंपकर जीवन में चलते हैं तो सदा निश्चिंत रहते हैं। परमपिता शिव इस धरा पर अवतरित होकर हम सभी विश्व की मनुष्यात्माओं को सहज राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं। परमात्मा आह्नान करते हैं मेरे बच्चों तुम मुझ पर अपनी बुराइयों अर्पण कर दो। अपने बुरे विचार, भावनाएं, गलत आदतें शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है। अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर जीवन में ज्ञान की ज्योत जगाएं। धर्म का आचरण ड्रेस पहनने से नहीं बन जाता है। उसे जीवन चरित्र में उतारना होगा। रुकमणी दीदी ने बताया कि जिसे हम युगों-युगों से पुकार रहे थे, जिसकी तलाश में हमने वर्षों तक जप-तप और यज्ञ किए। आज वही भगवान इस धरा पर पुन: अवतरित हो चुके हैं। अपने पांच खोटे सिक्के अर्थात् काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को प्रभु को अर्पण कर रोज ईश्वर के दर पर एक बार आना अर्थात् भगवान के घर में एक बार जरूर आना। परमपिता शिव और शंकर जी में महान अंतर हैं। शिव जी और शंकर जी में वही अंतर है जो एक पिता-पुत्र में होता है। इस सृष्टि के विनाश कराने के निमित्त परमात्मा ने ही शंकर जी को रचा। यहीं नहीं ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के रचनाकार, सर्वशक्तिमान, सर्वोच्च सत्ता, परमेश्वर शिव ही हैं। वह ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की स्थापना, शंकर द्वारा विनाश और विष्णु द्वारा पालना कराते हैं। ‘शिवलिंग’ परमात्मा शिव की प्रतिमा है। परमात्मा निराकार ज्योति स्वरूप है। शिव का अर्थ है ‘कल्याणकारी’ और लिंग का अर्थ है ‘चिंह्न’ अर्थात् कल्याणकारी परमात्मा को साकार में पूजने के लिए ‘शिवलिंग’ का निर्माण किया गया। शिवलिंग को काला इसलिए दिखाया गया क्योंकि अज्ञानता रूपी रात्रि में परमात्मा अवतरित होकर अज्ञान-अंधकार मिटाते हैं। बीके नंदनी बहन एवं प्राची बहन ने सभी अतिथियों का फूल माला पटका आदि से स्वागत किया इस कार्यक्रम में राकेश कटारे जी ने ब्रह्माकुमारीज की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे भव्य कार्यक्रम गुलाबगंज में सदा होते रहे। छत्रपाल शर्मा, प्रकाश गुप्ता, सचिन यादव, दिनेश महाराज, राजेंद्र सेठ, सोनू खत्री, राजकुमार रैकवार, अरुण खैरा जगदीश सेठ, दीपक गुप्ता, बद्री कुरेले, सुरेश कटारे, शेरा मालवीय आदि नगर के गणमान्य लोग शामिल हुए।

Share This Article
Leave a Comment