गणगौर व ईशर की प्रतिमाएं बनाई
खेतड़ी। राजस्थान का 16 दिन तक चलने वाला सबसे लोकप्रिय त्योहार गणगौर का आरंभ हो चुका है। सुबह-सुबह सुहागन औरतें व गणगौर की पूजा करने वाली बालिकाओं ने शीतला माता को जल अर्पण किया और फिर चिकनी मिट्टी लाकर भगवान भोलेनाथ और पार्वती की गणगौर व ईशर के स्वरूप में पूजा अर्चना करने के लिए उनकी छोटी-छोटी प्रतिमाएं बनाई। खेतड़ी में अब तक 50 से भी अधिक घरों में गणगौर बना चुकी पुष्पा देवी ने बताया कि शंकर भगवान व माता पार्वती की पूजा करने के लिए एक विवाहिता के साथ अन्य बालिकाएं गणगौर की पूजा करती है। शीतला माता का पूजन कर चिकनी मिट्टी से गणगौर बनाई जाती है जिसमें गणगौर, ईशर, कान्जी, रोंया तथा ढोली मालन सहित पांच स्वरूप की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं और उनकी 16 दिन तक पूजा की जाती है। प्रतिदिन सुबह उठकर विवाहिता के साथ बालिकाएं मंगल गीत गाती है और सभी प्रतिमाओं को नींद से जगाना, दंत मंजन करवाना, नहलाना सहित नित्य कर्म करवाती है। दोपहर में शुद्ध जल लाकर उन्हें पानी पिलाया जाता है, भोजन कराया जाता है, रात्रि को भोजन करवाकर सुलाया भी जाता है। साथ ही महिलाओं ने बताया कि राजस्थान में हिंदू संस्कृति में गणगौर उत्सव का खासा महत्व है। इन दिनों महिलाएं अलग-अलग वेशभूषा में तैयार होकर ईसर और गणगौर की पूजा करती है और भगवान भोलेनाथ और पार्वती को मन ही मन याद कर परिवार और अपने पति की लंबी आयु व सुख समृद्धि के लिए मंगल गीत गाकर शंकर पार्वती से आशीर्वाद लेती है। खेतड़ी में गणगौर उत्सव की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। अनेक घरों में गणगौर बनाई जा रही है। वार्ड नंबर 10 व 11 में कई घरों में गणगौर बनाकर उनकी पूजा अर्चना आरंभ कर दी गई है। गणगौर पूजन में काजल, अंजलि, नेहा, साक्षी, पूजा, दिव्या, चंचल, हिमांशी, दिशा सहित अन्य बालिका मौजूद रही।