Rare Minerals की आवश्यकता दुनिया में तेजी से बढ़ रही

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
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Rare Minerals की आवश्यकता
Rare Minerals की आवश्यकता

Rare Minerals नए-नए संसाधनों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं

जैसे-जैसे दुनिया भर के देश स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं। तब दुर्लभ संसाधन उस पारिस्थितिकी तंत्र के लिये महत्त्वपूर्ण हैं जो इस परिवर्तन को बढ़ावा देता है। इनमें से किसी की भी आपूर्ति में कमी Rare Minerals की खरीद के लिये दूसरे देशों पर निर्भर देश की अर्थव्यवस्था और सामरिक स्वायत्तता को गंभीर रूप से संकट में डाल सकती है।

Rare Minerals की आवश्यकता जो अब परिष्कृत होती दुनिया और नए-नए संसाधनों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। तब ऐसी स्थिति में दुर्लभ खनिज की उपलब्धता वाले देशों की चांदी हो रही है। वैसे भी दुर्लभ खनिज की ज्यादा आवश्यकता रक्षा संसाधनों और दवाओं के लिए, सौर ऊर्जा और सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे कार्यों के लिए सबसे अधिक जरूरत पड़ती है।

Rare Minerals की आवश्यकता
Rare Minerals की आवश्यकता

अत्याधुनिक उद्योगों में आत्मनिर्भर बनने के लिए इन खनिजों की अत्यंत आवश्यकता पड़ती है। उपलब्धता की दृष्टि से देखें तो इन Rare Minerals  का उत्खनन अभी विदेश में ही हो रहा है, इसलिए वहां की सरकारों की भूमिका अहम हो जाती है। भारत सरकार भी आपूर्ति के लिए इन देशों से उच्च स्तर पर बात कर रही है। तो दूसरी तरफ खनन मंत्रालय घरेलू दुर्लभ खनिज उत्पादन के लिए नीति बनाने जा रही है।

दुनिया में सबसे अधिक Rare Minerals संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, जापान, कोरिया गणराज्य, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय आयोग के पास मौजूद है। भारत सरकार भी अब इन दुर्लभ खनिजों को उद्योगों के लिए दवा निर्माण के लिए जुटाने में लग गई है।

इस संबंध में यह जानकारी आवश्यक होगी कि भारत में 30 खनिजों को दुर्लभ खनिज घोषित किया है इन्हें रणनीतिक खनिज भी कहा जाता है ,जो इस तरह हैं एंटीमोनी, बैरिलियम, विस्मथ, कोबाल्ट, कॉपर, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हाफनियम, इडिमियम, लिथियम मोलीबडेनम, नैरोबियम, निकल,पीजीई, फास्फोरस,आरइड,रेनियम, सिलिकन, स्टोनियम, टेटालम, टैलुरियम, टिन, टाइटेनियम, वानडियम, जिंकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम प्रमुख रूप से दुर्लभ खनिजों में शामिल हैं।

इस संबंध में एमएसपी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि दुर्लभ खनिजों का उत्पादन, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण इस तरह से किया जाए कि देशों के उनके भूवैज्ञानिक प्रबंधन के पूर्ण आर्थिक विकास का लाभ प्राप्त कर सकें।

Rare Minerals ऐसे तत्त्व हैं जो आधुनिक युग में महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों की बुनियाद हैं

Rare Minerals  ऐसे तत्त्व हैं जो आधुनिक युग में महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों की बुनियाद हैं और इनकी कमी की वजह से पूरी दुनिया में आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ा है। इन खनिजों का उपयोग अब मोबाइल फोन और कंप्यूटर बनाने से लेकर बैटरी, इलेक्ट्रिक वाहन तथा हरित प्रौद्योगिकी जैसे सौर पैनल एवं पवन टरबाइन बनाने में किया जाता है।

Rare Minerals की आवश्यकता
Rare Minerals की आवश्यकता

EV बैटरी बनाने के लिये ग्रेफाइट, लिथियम और कोबाल्ट का उपयोग किया जाता है। एयरोस्पेस, संचार और रक्षा उद्योग भी कई ऐसे खनिजों पर निर्भर हैं, जिनका उपयोग लड़ाकू जेट, ड्रोन, रेडियो सेट तथा अन्य महत्त्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण में किया जाता है।

एयरोस्पेस, संचार और रक्षा उद्योग भी कई ऐसे खनिजों पर निर्भर हैं, जिनका उपयोग लड़ाकू जेट, ड्रोन, रेडियो सेट और अन्य महत्त्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण में किया जाता है। जबकि कोबाल्ट, निकेल और लिथियम इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली बैटरी के लिये आवश्यक हैं, अर्द्धचालक और हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में दुर्लभ हैं।

दुर्लभ-पृथ्वी अयस्क के भंडार पूरी दुनिया में पाए जाते हैं। प्रमुख अयस्क चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और रूस में हैं, जबकि अन्य व्यवहार्य अयस्क निकाय कनाडा, भारत, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाते हैं।

आस्ट्रेलिया लिथियम का सबसे बड़ा और कोबाल्ट का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत सरकार और ऑस्ट्रेलिया सरकार में इस संबंध में तेजी से बात चल रही है। और दोनों सरकारें मिलकर आदान-प्रदान व खनिज संसाधनों की जानकारी बांटने के लिए तत्परता से आगे बढ़ रही है।

भारत बड़ी संख्या में धात्विक और गैर-धात्विक खनिजों के संसाधनों से संपन्न है

वैसे देखा जाए तो भारत के पास प्रचुर मात्रा में खनिज संसाधन हैं, जिनमें कोयला (भंडार के मामले में विश्व स्तर पर चौथा स्थान), लौह अयस्क, मैंगनीज अयस्क, अभ्रक, बॉक्साइट, क्रोमाइट, प्राकृतिक गैस, हीरे, चूना पत्थर और थोरियम शामिल हैं (दुनिया के सबसे बड़े भंडार यहां के समुद्र तट पर पाए जाते हैं)। केरल) । महत्वपूर्ण खनिज संपदा वाले भारतीय राज्यों में एक है। भारत में शीर्ष खनिज उत्पादक राज्यों के साथ-साथ दुनिया भर में उन विशिष्ट खनिजों का उत्पादन करने वाले देश हैं ।

Rare Minerals की आवश्यकता
Rare Minerals की आवश्यकता

भारत और विश्व में शीर्ष खनिज उत्पादक राज्य भारत धात्विक और गैर-धात्विक खनिजों में समृद्ध है। भारत बड़ी संख्या में धात्विक और गैर-धात्विक खनिजों के संसाधनों से संपन्न है। ये संसाधन देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि इनका उपयोग निर्माण, विनिर्माण और ऊर्जा उत्पादन जैसे विभिन्न उद्योगों में किया जाता है।

पृथ्वी के संसाधन – तेल और गैस से लेकर धातु अयस्कों से लेकर ताजे पानी तक सब कुछ आधुनिक सभ्यता का आधार हैं। इन संसाधनों के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक चट्टान के माध्यम से तरल पदार्थ का प्रवाह है। बहता गर्म पानी धातुओं को घोल देता है और उन्हें अयस्क भंडार में केंद्रित कर देता है।

क्षयित कार्बनिक पदार्थ चट्टानों की दरारों और छिद्रों से बहकर तेल भंडारों में जमा हो जाते हैं। भूमिगत बहता हुआ पानी छिद्रपूर्ण चट्टानों में एकत्रित होता है और जलभृत बनाता है, जिसका उपयोग ताजे पानी के लिए किया जाता है। पेनाइट : न केवल सबसे दुर्लभ रत्न, बल्कि पृथ्वी पर सबसे दुर्लभ खनिज, पेनाइट के नाम पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है।

वर्ष 1951 में इसकी खोज के बाद अगले कई दशकों तक पेनाइट के केवल दो नमूने ही अस्तित्व में थे। वर्ष 2004 तक, दो दर्जन भी कम ज्ञात रत्न थे। म्यांमार में पाया जाने वाला क्यावथुइट दुनिया का सबसे दुर्लभ खनिज है। पृथ्वी पर सबसे दुर्लभ खनिज का केवल एक ही नमूना है, और वह म्यांमार से है। पृथ्वी पर सबसे दुर्लभ खनिज क्यावथुइट है।

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